प्री-वेडिंग एक प्रकार का फोटोशूट होता है जो से विवाह से पहले कपल द्वारा करवाया जाता है। इसमें कपल के यादगार क्षणों को कैमरे में कैद किया जाता है, जो अक्सर शादी के दिन से पहले के क्षणों को दर्शाते हैं।
प्री-वेडिंग फोटोशूट की आवश्यकता –
प्री-वेडिंग फोटोशूट में कपल अपने रिश्ते की खूबसूरत क्षणों को संजो सकते हैं, और इन तस्वीरों को विवाह के दिन या बाद में साझा कर सकते हैं। कुछ लोग विवाह के दिन ही उसको सिनेमेटिक रूप में आने वाले मेहमानों को दिखाते है। यह उन सभी मेहमानों को खुश कर सकता है, जिससे स्वतः ही वे सभी शुभ आशीर्वाद देने लगते है।
समय बदलने के साथ साथ भारतीय संस्कृति में प्री-वेडिंग फोटोशूट का चलन बढ़ने लगा है। अगर घर में फालतू का पैसा है, और खर्च करने का बहाना ढूढ़ रहे है, तोआप भी प्री-वेडिंग फोटोशूट करवा सकते है।
लेकिन तब भी स्मरण रहे है कि प्री वेडिंग शूट का मतलब ऐसा हो जिसे जाने वाली पीढ़ी, साथ में रहने वाली पीढ़ी, और आने वाली पीढ़ी सम्मान के साथ देख सके, और आशीर्वाद दे सके।
भारतीय संस्कृति में विवाह –
भारतीय संस्कृति में विवाह मनुष्य के सात जन्मों का बंधन है। क्युकी जब शव में शक्ति आती है, तब वह शिव बनता है। इसलिए विवाह के समय माता पार्वती और शिव के द्वारा लिए और दिए गए सात वचनों को आज भी लिया और दिया जाता है।
सनातन धर्म में विवाह किसी प्रकार का सौदा अर्थात Deal या Contract नहीं होती है, और इसे समाप्त भी करने का कोई विधान नहीं है। जहाँ शिव, शक्ति का सम्मान करते है, और शक्ति शिव का सम्मान करती है वो बंधन कभी नहीं टूट सकता। कुछ क्षण के लिए दूर हो सकते है, लेकिन वे फिर मिल जाते है।
प्री वेडिंग के नुकसान –
एक बार जब ब्राह्मण विवाह मुहूर्त निकाल देते है, उसके बाद से वर और वधु का दर्शन करना शुभ नहीं माना जाता । श्रीशिवमहापुराण में जब ब्रह्मा जी ने शिव विवाह का मुहूर्त निकाल लिया था, तो उसके बाद शक्ति (पार्वती) ने ओट में रहकर ही शिव जी से थोड़ी बात की थी, बाकि की बातचीत देवर्षि नारद ने की थी।
आज कलियुग में ऐसा हो सकता है कि विवाह-मुहूर्त निकल जाने के बाद से नकारात्मक शक्तियों को वर और वधु के विवाह के बारे में पता चल जाता है, और वे विवाह में व्यवधान डालने के प्रयत्न करते है। क्युकी वे नकारात्मक शक्तियाँ कभी नहीं चाहती कि सनातन धर्म की वृद्धि हो। इसलिए उन क्षुद्र नकारात्मक शक्तियों को दूर रखने के लिए विवाह संस्कार तक वर को शस्त्र और शास्त्र दोनों प्रदान किये जाते है।
इसलिए ये भी ध्यान रखे कि विवाह संस्कार में किसी भी विधर्मी चाहे वे मित्र या पडोसी क्यों न हो, का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित होना चाहिए। क्युकी वे न चाहते हुए भी कही भी थूक, मूत, गाय-मांस इत्यादि मिलाकर विवाह संस्कार को नष्ट करने का प्रयास कर सकते है। ये वे स्वयं नहीं करते है बल्कि क्षुद्र नकारात्मक शक्तियाँ ऐसा करवाती है।
प्री-वेडिंग फोटोशूट का उदाहरण –
इस प्री-वेडिंग फोटोशूट के लिए ऐसी थीम चुनी है। जिसने हर किसी का दिल जीत लिया है। जिसका वीडियो देख लोग खुद को कपल्स की तारीफ करने से नहीं रोक पा रहे हैं। जब यह वीडियो वर-वधू की शादी में चलाया गया था, तो उन्हें देखने के लिए इकट्ठा हुई भीड़ भी मंत्रमुग्ध रह गई।
प्रिवेडिंग शूटिंग हो तो ऐसा हो, वर्ना न हो !
परंपरा, प्रतिष्ठा, अनुशासन, सनातन, संस्कृति !!
जय श्री राम ! pic.twitter.com/YI4FeMmeDw
— Hardik Bhavsar (@Bitt2DA) December 25, 2024
तो अगर आपके पास भी कोई ऐसा ही उदाहरण है तो हमें बताये, हम उसे यहाँ जोड़ेंगे ताकि अन्य लोग भी उससे प्रेरणा ले सके।
तो इसलिए pre wedding एक खूबसूरत तरीका हो सकता है जिससे कपल अपने प्रेम और बंधन को गृहस्थ आश्रम में प्रवेश से पहले सेलिब्रेट कर सकते हैं। लेकिन फालतू का धन और माता पिता का सहयोग, नैतिक आचरण, सही भेष-भूषा को ध्यान रखना आवश्यक है।
भ्रम से सावधान –
जरुरी नहीं है कि जिस किसी लड़के का नाम सनातनी या हिन्दू जैसा है, वह सनातनी ही हो। वे या तो झूठा नाम रखते है या वे सरकार से आरक्षण लेने के लिए हिन्दू रहते है, हालाँकि वे मानसिक रूप से Converted होते है, उनसे सावधान रहे। क्युकी उनसे धोखा ही मिलेगा और वे सनातन धर्म से आपकी श्रध्दा और विश्वास को चोट पहुंचा सकते है। इसलिए लड़की के माता पिता का कर्म और कर्तव्य है लड़के के कुल या शास्त्रों के ज्ञान के बारे में पता करके ही विवाह संस्कार करे।
आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी कैसी लगी, कृपया कमेंट करके बताये।
डिस्क्लेमर – सनातन धर्म में विवाह संस्कार श्रध्दा, भक्ति और विस्वाश का प्रतीक है, जिसमे कई लोग और कई तरह के कार्य वर्जित हो सकते है, जैसे कि मांस खाना इत्यादि। ये सबकी अपनी अपनी आस्था है, इसका अर्थ किसी अन्य का असम्मान करना नहीं है। ये विचार स्वयं के है, इनका किसी से कोई सम्बन्ध नहीं है।
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