आपने काला जादू / तंत्र मंत्र का नाम तो ज़रूर सुना होगा, जिसका नाम सुनते ही रूह काप उठती है. लोग काला जादू का प्रयोग किसी व्यक्ति को वश मे करने के लिए, या किसी से बदला आदि लेने के लिए ज़्यादा करते है.
आज हम समझेंगे की क्या है काला जादू, तंत्र, मंत्र और यन्त्र ( चारो ke baare mein अंतर) –
Black Magic काला जादू क्या होता है? –
कहते है इस ब्राहमंड मे कई तरह के रूप मे ऊर्जा उपलब्ध है, जिसका एक उदाहरण सूर्य से है जो ऊर्जा का अपार भंडार है. ठीक उसी तरह से कुछ से अगर समझा जाए तो विजली एक ऊर्जा जिसका उपयोग हम रोशनी के लिए करते है, तो वो हमारे लिए अच्छी है. पर अगर किसी को नुकसान पहुचाना हो तो करंट आदमी को मार भी देता है. तो वो हमारे लिए बुरा है. Law of Conservation of Energy से समझा जा सकता है। जिसके अनुसार‘’Energy may be transformed from one form to another, but it can not be created or destroyed’’. हिंदी में “ऊर्जा को न ही पैदा किया जा सकता है और न ही इसे खत्म किया जा सकता है।सिर्फ इसके स्वरूप को दूसरे स्वरूप मे बदला जा सकता है।” यदि ऊर्जा का सकारात्मक इस्तेमाल है, तो नकारात्मक इस्तेमाल भी है।
गीता में कहा गया है…
अर्जुन ने भी श्री कृष्ण भगवान से यही सवाल पूछा था – कि आपका यह कहना है कि हर चीज एक ही ऊर्जा से बनी है और हर एक चीज दैवीय है, अगर वही देवत्व दुर्योधन में भी है, तो वह ऐसे काम क्यों कर रहा है?
श्री कृष्ण भगवान ने जवाब दिया – ‘ईश्वर निर्गुण है, दिव्यता निर्गुण है। उसका अपना कोई गुण नहीं है।’ इसका अर्थ है कि वह बस विशुद्ध ऊर्जा है। आप उससे कुछ भी बना सकते हैं। जो बाघ आपको खाने आता है, उसमें भी वही ऊर्जा है और कोई देवता, जो आकर आपको बचा सकता है, उसमें भी वही ऊर्जा है। बस वे अलग-अलग तरीकों से काम कर रहे हैं।
क्या Jadu Tona क्या सच में होता है? –
काला जादू तंत्र की एक विद्या है। जिसे भगवान शिव ने अपने भक्तों को दिया था। पुराने समय में एक तरह का पुतला बनाकर उस पर प्रयोग सिर्फ कहीं दूर बैठे रोगी के उपचार व परेशानियां दूर करने के लिए किया जाता था। उस पुतले पर रोगी का बाल बांधकर विशेष मंत्रों से उसके नाम के साथ जागृत किया जाता था। उसके बाद रोगी के जिस भी अंग में समस्या होती थी। पुतले के उसी अंग पर सुई को गड़ाकर विशेषज्ञ अपनी सकारात्मक ऊर्जा को वहां तक पहुंचाता था। कुछ समय तक ऐसा करने पर तकलीफ खत्म हो जाती थी।
Tantra Vidya साधना क्या है?
कहते है तन्त्र की साधना बहुत ही कठिन होती है, इसके लिए साधको को अपना मन, तन को एक जगह पर केंद्रित करके सकारात्मक ऊर्जा या नकारात्मक ऊर्जा को प्राप्त करना होता है, ये काला जादू भी उसी तन्त्र साधना का हिस्सा माना जाता है. हालाँकि ज्यादातर तांत्रिक विद्याये स्थानीय होती है। जिनका उपयोग वामपंथियों द्वारा किया जाता है। तंत्र शास्त्र में तंत्र का ज्ञान सिर्फ मोक्ष प्राप्ति हेतु है।
लेकिन निम्न बुद्धि रखने वालों ने उसे स्वार्थ सिद्द करने के लिए उसका दुरपयोग करने से नहीं चूकते।
आइए जानते हैं क्या होता है काला जादू व इससे जुड़े रहस्य …
Tantra क्या है?
तंत्र का अर्थ है “आतंरिक शक्तियों को जगाकर ब्रह्माण्ड से जोड़ना” | इस कार्य को सरल बनाने के लिए मंत्र और यंत्र का सहयोग लिया जाता है.
आप जो “बाजार” में घूमते ढोंगी बाबाओं को देखते हैं,, जो की आम जनता की आँखों में धुल झोंक के उन्हें ताबीज,यन्त्र बाँटते चलते हैं, वह सच्चा तंत्र नहीं है | वह केवल ढोंग, या छलावा है | तंत्र साधक कभी भी इस प्रकार के ढोंग नहीं करता क्युकी उसे इसकी आवश्यकता ही नहीं है। उसे जो चाहिए वह उसे अपनी विद्या से प्राप्त करता है। फिर ढोंग की क्या आवश्यकता।
एक बार “माता पार्वतीजी” ने “परमपिता महादेव शिव” से प्रश्न किया की—— ” हे महादेव, कलयुग मे धर्म या मोक्ष प्राप्ति का क्या मार्ग होगा ” ? उनके इस प्रश्न के उत्तर मे महादेव शिव ने उन्हे समझते हुए जो भी व्यक्त किया उसमे कुछ भाग में तंत्र विद्या भी थी।
तंत्र के प्रायोगिक क्रियाओं को करने के लिए एक साधक को सही मंत्र, और यन्त्र का ज्ञान जरुरी है। तंत्र- शास्त्र से तात्पर्य उन गूढ़ साधनाओं से है जिनके द्वारा इस संसार को संचालित करने वाली विभिन्न दैवीय शक्तियों का आव्हान किया जाता है।
Mantra क्या है?:
मंत्र एक सिद्धांत को कहते हैं। जैसे गणितज्ञ कठिन से कठिन प्रश्न को हल करने के लिए सूत्रों का इस्तेमाल करते है। किसी भी आविष्कार को सफल बनाने के लिए एक सही मार्ग और सही नियमों की आवश्यकता होती है।
मंत्र वही सिद्धांत है जो एक प्रयोग को सफल बनाने में साधक को मदद करता है। मंत्र द्वारा ही यह पता चलता है की कौन से तंत्र को किस यन्त्र में समिलित कर के लक्ष्य तक पंहुचा जा सकता है । मंत्र के सिद्ध होने पर ही पूरा प्रयोग सफल होता है।
Yantra क्या है?
एक ऐसा पात्र जो तंत्र और मन्त्र को अपने में समिलित कर के आसानी से प्राणियों के कष्ट दूर करे वही यन्त्र है। तंत्र के रसायनों अर्थात सूत्रों के लिए को एक उचित पात्र को आवश्यकता होती है। ताकि साधारण मनुष्य उस पात्र को आसानी से अपने पास रख सके या उसका प्रयोग कर सके। इस पात्र या साधन को ही यन्त्र कहते हैं।
उदाहरण के लिए हवन कुंड को सबसे श्रेष्ठ यन्त्र माना गया है। “आसन”, इत्यादि भी यंत्र माने जाते है। कई प्रकार की आकृति को भी यन्त्र माना गया है,, जैसे “श्री यन्त्र”, “काली यन्त्र”, “महामृत्युंजय मंत्र” इत्यादि ।
“यन्त्र” शब्द “यं” तथा “त्र” के मिलाप से बना है। “यं” को पुर्व में “यम” अर्थात “काल” कहा जाता था। इसलिए जो यम से हमारी रक्षा करे उसे ही यन्त्र कहा जाता है।
आप तंत्र को ऐसे भी समझ सकते है की मानो आप गणित का कोई प्रश्न हल कर रहे हो और उस प्रश्न को हल करने के लिए अगर सूत्र का प्रयोग कर लिया जाए तो वो सवाल चुटकी मे हल हो जाता है. और आपका प्रश्न लंबा नही होता.
ठीक उसी तरह से, सुना जाता है की मनुस्य अपनी मनोकामना पूरी करने या अपनी किसी कष्ट निवारण के लिए हजारो वर्षो तक तपस्या करनी पड़ती थी, तंत्र उन इच्छाओं को पूरा करने के लिए एक सूत्र की तरह है .
Tantra Mantra की University या School –
मितावली का 64 योगिनी मंदिर ( Chausath Yogini Temple in Morena) –
यह भारत का प्राचीन मंदिरो मे से एक है, जो की मुरैना जिले में Mitaoli गांव के पास है, इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में महाराजा देवपाल ने बनवाया था। इस मंदिर के लिए एक खुले बरामदे प्रवेश द्वार है। एक मंडप जो खुला है, बाहरी दीवार के बाहरी सतह देवी-देवताओं की नक्काशिय है। बाहरी चक्र में 64 कक्षों में से प्रत्येक में शिव की एक छवि है। इसलिए मंदिर चौंसठ योगिनी मंदिर के रूप में जाना जाता है
लेकिन आपने इसका नाम या तो सुना नही होगा या बहुत कम, वो इसलिए की तंत्र साधना से जुड़ी हुई साधानो की जानकारी कोई भी साधक आम नही कर सकता या किसी की बताना निषेध है.
चौंशठ योगिणीं मंदिर (In Mitaoli village) को एकत्त्तरसो महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, कहते है विश्व मे कुछ ही चौंशठ योगिणीं मंदिर है जिनमे से इस मंदिर की हालत बहुत ठीक है,
कुछ जानकार ये भी कहते है की भारत का संसद भवन जो की (1920) दिल्ली मे है, का निर्माण की चौंशठ योगिनी मंदिर तर्ज पर किया गया है
आज कल तंत्र मन्त्र की जानकारी के लिए कुछ किताबे भी मिलती है। उनकी सत्यता की पुष्टि हम नहीं करते।
ध्यान दे – किसी भी साधना का, तंत्र या मन्त्र का दुरपयोग या स्वार्थ सिद्धि में प्रयोग निषिध्द है। इसके घातक परिणाम भी मिलते है। क्युकी बाहरी आक्रमणकारियों ने हमारे मन्त्र में मिलावट करके कुछ अलग ही शाबर मन्त्र बना दिए है। इसलिए बिना गुरु के इस मार्ग में आगे नहीं बढ़ना चाहिए। नहीं निश्चित ही रासायनिक विस्फोट की संभावना बनी रहती है।
नोट – काला जादू आम या साधारण नहीं है। , क्योंकि इसकी सही जानकारी न के बराबर है। और सच्चे गुरु भी नहीं मिलते है। गुरु के रूप में बहरूपिये जरूर मिल जायेगे। जो आपको ठगने का काम करते है। इस लेख को हम सिर्फ एक जानकारी के रूप में प्रकाशित कर रहे हैं न कि अंधविश्वास को बढ़ावा देने के लिए। अंधविश्वास अर्थात जिसके बारे में ज्ञान न हो। फिर भी उस पर विश्वास करना। विश्वास करने के लिए ज्ञान की आवश्यकता हमेशा से रही है।
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