ईमानदारी हिंदी कहानी – एक मंदिर में पुजारी को दो युवक चाहिए थे मंदिर की देखभाल के लिए, उसने दोनों युवको को काम पर लगाया. दोनों ने बहुत ही अच्छी तरीके से मंदिर की देखभाल की , साफ़ सफाई की आदि आदि, एक दिन पुजारी ने सोचा ये युवक तो अच्छे है “पर क्या भरोसा आज कल के लडको का अगर किसी के मन में लालच आया और मंदिर के आभूषण गायब कर दिए तो क्या होगा.. गांव वाले मुझे छोड़ेंगे नहीं.
उसने दोनों युवको को बुलाया और बोला आप दोनों काम बहुत अच्छा करते हो, लेकिन फिर भी में अपनी संतुष्टि के लिए ये गीता हाथ में लेकर आया हु आप दोनों बारी बारी से इसपर हाथ रखकर कसम खाओ की “न मंदिर का कोई रहस्य बाहर करोगे और न कभी अपनी नियत इन गहनों पर ख़राब करोगे..
दोनों युवको ने कसम खायी और चले गए.. सुबह जब पुजारी जगा तो मंदिर में पहले से ही साफ़ सफाई थी, सही से बंद था पर गहने गायब थे..और मंदिर की सिडियो पर एक पत्र रखा हुआ था. जिसमे लिखा हुआ था.
” आदरणीय गुरु जी..
में ये अपना काम छोड़कर जा रहा हु, क्युकी विश्वास ही वो डोर है जिसमे मानवता नाम के मोती पिरोये हुए है, जैसे ही विस्वास टूटता है मोती बिखरने में समय नहीं लगता है. अगर उस डोर को द्वारा से बांधने की कोशिश करोगे तो बीच में एक गठान पड़ जाएगी, जो की मुझे सहन नहीं होगा की कोई मेरी स्वामिभक्ति पर शक करे. इसलिए में जा रहा हु, में इस पत्र में अपना नाम नहीं लिख रहा हु क्युकी मेरे साथ का भी युवक काम छोड़ने की कह रहा है और मुझे नहीं पता की वो कितना ईमानदार है और कैसे जायेगा..आपका एक ईमानदार शिष्य
धन्यबाद “
पुजारी जी ये पत्र पड़कर कुछ बातें सोचते है…
- जो इंसान मंदिर से गहने चुरा सकता है उसके लिए “गीता की कसम” का क्या महत्त्व है?
- हो सकता है की दोनों ईमानदार हो , उसमे से किसी एक ने गुस्से में ये कदम उठाया हो?
- हो सकता है की दोनों चोर हो और ये पत्र मुझे उलझाने के लिए छोड़ा हो ? पर मेने उनपर नज़र क्यों नहीं रखी ?
- हो सकता है की अगर दोनों युवक रहते मंदिर में तो ईमानदार युवक, उस चोर को कभी चोरी नहीं करने देता ??
- आज गहने भी गए और उनमे से एक ईमानदार युवक भी ??
आपको ये कहानी कैसी लगी, आप के हिसाब से किस ने चोरी की ?? और क्यों की ??
मेरे हिसाब से पुजारी उन दोनों पर नज़र रखता बिना अपना शक ज़ाहिर किये, इससे गलत आदमी भी पकड़ा जाता, ईमानदार आदमी भी मिल जाता और गहने भी चोरी नहीं होते…
बाकी नियति अपना काम किसी न किसी के ऊपर दोष रख कर ही करती है. लेकिन जो सत्य के मार्ग पर होता है नियति उसे ससम्मान मुक्त भी करती है। नैतिक शिक्षा और आत्मरक्षा प्रत्येक मनुष्य के लिए आवश्यक है।
ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है (Honesty is the best policy)
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