Hindi Hai Blog – आज हम बात करेंगे अडालज बाबड़ी की जो की गुजरात में अहमदाबाद के निकट स्थित है, यह अहमदाबाद से 18 किलोमीटर दूर अडालज गांव में स्थित है। इस बाबरी का नाम भी इसी गांव के नाम पर रखा गया है। बाबरी को गुजराती भाषा में “वाव” कहते है. ये कला और इतिहास का जीता जागता उदाहरण है. कहते है इसका आधा निर्माण हिन्दू साम्राज्य राजा वीर सिंह के शासन में और आधा निर्माण कार्य मुस्लिम हमलावर सुल्तान बेघारा ने करवाया था.

आजादी के बाद से देश में ऐसी सरकारे रही है जो हिन्दू सनातन धर्म, हिन्दू और उनके राजाओं के इतिहास से घृणा करती आयी है। क्युकी इसी घृणा के कारण नेता बिना पढ़े लिखे होने के बावजूद आसानी से देश पर राज करते है। साथ ही साथ परिवाद की खेती करके अपने बच्चो को भी राजकुमार बनाते है, वे पढ़ाते तो विदेश में है, लेकिन गरीबी की राजनीति भारत में करते है। इसी कारण से वे देश में सनातन धर्म और उसके इतिहास से घृणा करते आये है। ऐसी ही राजनीतिक उपेक्षा का शिकार अडालज वाव या अडालज बावड़ी है।

इसके पीछे की कहानी Adalaj Vav History in Hindi :

कहते है राजा वीर सिंह अपनी प्रजा के लिए इस बाबरी या वाव का निर्माण करा रहे थे, जैसा की आप जानते है की गुजरात में हमेशा से ही काम वारिश होती रही है, जिसके कारण प्रजा को पानी की बहुत समस्या होती थी. इस वाव का निर्माण इस तरह से कराया गया की पानी की भी समस्या हल हो जाए और आने जाने वाले व्यापारी और चरवाहे इसके अंदर ठंडक में विश्राम कर सके। लेकिन वो ऐसा कर न सके।

इसकी पहली मंजिल पर लगे शिला लेख के अनुसार इस वाव का निर्माण रानी रुदाबाई ने किया था जो की राजा वीर सिंह की पत्नी थी. यह वाव पांच मंजिला है और अष्टभुजाकार बनी हुयी है. यह वाव जमीन में १६ स्तम्भों पर खड़ी हुयी है. इसके भीतर का तापमान बाहर की तुलना में ६ से ७ डिग्री कम रहता है।

आज भी यहाँ गाँव वाले यहाँ आते है तथा दीवारों पर बनी हुयी नवग्रह की मूर्तियों की पूजा करते है। इन दीवारों पर कलश एवं गणेश भगवान की भी प्रतिमाये है. जो इस वाव की रक्षा करती है। गरमी के मौसम में यहाँ काफी चहल पहल होती है क्युकी गांव वाले आज भी यहाँ पानी भरते है तथा इनके बने हुए कमरे यानि विश्राम गृह में आराम करते है।

यहाँ के गांव वालो के अनुसार राजा वीर सिंह मुस्लिम आक्रमण का शिकार हुए और सुल्तान बाघेला के हाथो युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए. रानी रुदाबाई बहुत ही रूपबती थी जिसके कारण सुल्तान ने उनसे निकाह करने का प्रस्ताव भेजा।

रानी ने यहाँ वीरंगना की भांति बुद्धि और कूटनीति से काम लिया और सुल्तान के प्रस्ताव पर सन्देश भिजवाया की वो राजा की अंतिम इच्छा पूरा होने पर ही निकाह कर सकती है।

उन्होंने सन्देश भेजा की अगर सुल्तान, राजा का अधूरा काम यानि अडालज वावरी का निर्माण तय समय में पूरा कर दे तो वो निकाह के लिए तैयार है. इसके बाद सुल्तान बाघेला ने उस बाबरी का निर्माण कर अपने हाथ में लिया और उसे तय समय में पूरा भी किया। तभी इस बाबरी का ऊपरी हिस्सा मुस्लिम चित्रकारी या कला के अनुसार बना है. उसके बाद रानी कहे अनुसार वाव को देखने आयी और सुल्तान अपने निकाह की तैयारी करने लगा। तभी उसी वाव से रानी ने छलांग लगा कर अपनी मौत को गले लगा लिया और सुल्तान के लिए एक संदेश छोड़ दिया की सुल्तान आप बहुत ही नेक इंसान है जिसने प्रजा के हित के लिया बहुत ही अच्छा काम किया लेकिन में मजबूर थी, हिन्दुओं में सिर्फ एक ही शादी की अनुमति है में दिल और दिमाग से राजा वीर सिंह की पतिव्रता पत्नी थी और हूँ। आप समझ सकते है.

इस वाव के पास ही काम करने वाले कारीगरों की कब्रे है जिन्हे राजा ने मरवा दिया था ताकि इस तरह का निर्माण दुबारा न हो सके। आज भी ये वाव रानी का प्रजा के प्रति प्यार को प्रदर्शित करती है और चीख चीख कर बताती है की कैसे इतिहास में क्षत्रियो और राजाओ के परिवारों ने अपनी प्रजा के लिए जाने दी। कहते है अंग्रेजो ने प्रजा को राजाओ के प्रति भड़काकर उनके राज्यों को हड़पना चालू कर दिया, जो आज की सरकारों के द्वारा भी वोटो के लिए जारी है।

अगर आप गुजरात या अहमदाबाद घूमने जाए तो यहाँ जाना कभी न भूले, ये यादें आपके जीवन पर्यन्त आपके साथ रहेगी। और अपने इतिहास पर आप गर्व करेंगे. मानव द्वारा निर्मित इस अदृभुत कला को अब भारत के Archaeological Survey of India द्वारा सरंक्षित कर लिया गया है।

अगर आप अपने इस इतिहास की धरोहर को देखने जाना चाहते है तो ऐसे जा सकते है।

विमान द्वारा  Adalaj Vaav by Plain –

आप अहमदाबाद तक विमान से आ सकते है उसके बाद लोकल टूरिस्ट कार बुकिंग करके जा सकते है।

भारतीय रेल द्वारा Adalaj Vaav by Train –

अहमदाबाद रेलवे स्टेशन देश के सभी स्टेशन से जुड़ा हुआ है आप अहमदाबाद तक या कालूपुर रेलवे स्टेशन तक आ सकते है उसके बाद लोकल वाहन से जा सकते है।

सड़क मार्ग Adalaj Vaav by Road –

आप चाहे तो गुजरात राज्य परिवहन बस के द्वारा भी जा सकते है।

अदालज नी वाव की ज्यादा जानकारी को आप Gujarat Tourism की वेबसाइट पर देख सकते है।

ऐसी जानकारियों या Hindi me Advice के लिए Hindi Hai वेबसाइट पर समय समय पर आते रहे।

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FAQs –

अदलज की वाव किसने बनवाया था?

अदलज की वाव को वीरसिंह की पत्नी, रानी रुदाबाई द्वारा 1499 में निर्मित करवाया गया था।

अदलज की वाव कितने साल की है?

अदलज की वाव 524 साल की है?

अडालज वीएवी के पीछे की कहानी क्या है?

गुजरात की ऐतिहासिक धरोहर रानी की वाव बावड़ी की कहानी ऊपर दी गयी है।

रानी की वाव बावड़ी को कौन सा दर्जा मिला है?

रानी की वाव’ को विश्व विरासत की नई सूची में शामिल किए जाने का औपचारिक ऐलान किया गया है।

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