Hindi Hai Blog – जीवनसाथी के गुण – हिंदू धर्म में पत्नी को पति की अर्धांगिनी भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है पत्नी पति के शरीर का आधा अंग होती है। आपने शिव जी और पार्वती मां का अर्धनारीश्वर रूप मंदिर में जरूर देखा होगा, जो बताते है की कैसे स्त्री और पुरुष एक दूसरे के पूरक है. कैसे प्रकर्ति इस सृष्टि के साथ जुडी हुयी है.
अगर आपकी पत्नी में है Adarsh Patni ke Gun तो आप है दुनियाँ के भाग्यशाली व्यक्ति –
हिन्दू ग्रंथो में पत्नी के गुण एवं अवगुण बताये गए है जैसे महाभारत में भीष्म पितामाह ने कहा है कि पत्नी को सदैव प्रसन्न रखना चाहिए क्योंकि उसी से वंश की वृद्धि होती है. गरुड़ पुराण में भी पत्नी के कुछ गुणों के बारे में बताया गया है। इसके अनुसार जिस व्यक्ति की पत्नी में ये 4 गुण हों, उसे स्वयं को देवराज इंद्र यानी भाग्यशाली समझना चाहिए।
सा भार्या या गृहे दक्षा सा भार्या या प्रियंवदा।
सा भार्या या पतिप्राणा सा भार्या या पतिव्रता।। (108/18)
अर्थात – जो पत्नी
- गृहकार्य में दक्ष है
- जो प्रियवादिनी है
- जिसके पति ही प्राण हैं और जो
- पतिपरायणा है
वास्तव में वही पत्नी है।
Patni Ka Dharm क्या होता है? –
1: गृह कार्य में दक्ष यानी घर संभालने वाली पत्नी –
गृह कार्य यानी घर के काम, जो पत्नी घर के सभी कार्य जैसे- भोजन बनाना, साफ-सफाई करना, घर को सजाना, कपड़े-बर्तन आदि साफ करना, बच्चों की जिम्मेदारी ठीक से निभाना, घर आए अतिथियों का मान-सम्मान करना, कम संसाधनों में ही गृहस्थी चलाना आदि कार्यों में निपुण होती है, उसे ही गृह कार्य में दक्ष माना जाता है। ये गुण जिस पत्नी में होते हैं, वह अपने पति की प्रिय होती है।
2: प्रियवादिनी यानी मीठा बोलने वाली पत्नी –
पत्नी को अपने पति से सदैव संयमित भाषा में ही बात करना चाहिए। संयमित भाषा यानी धीरे-धीरे व प्रेमपूर्वक। पत्नी द्वारा इस प्रकार से बात करने पर पति भी उसकी बात को ध्यान से सुनता है व उसके इच्छाएं पूरी करने की कोशिश करता है। पति के अलावा पत्नी को घर के अन्य सदस्यों जैसे- सास-ससुर, देवर-देवरानी, जेठ-जेठानी, ननद आदि से भी प्रेमपूर्वक ही बात करनी चाहिए। बोलने के सही तरीके से ही पत्नी अपने पति व परिवार के अन्य सदस्यों के मन में अपने प्रति स्नेह पैदा कर सकती है।
3: पतिपरायणा यानी पति की हर बात मानने वाली पत्नी –
जो पत्नी अपने पति को ही सर्वस्व मानती है तथा सदैव उसी के आदेश का पालन करती है, उसे ही धर्म ग्रंथों में पतिव्रता कहा गया है। पतिव्रता पत्नी सदैव अपने पति की सेवा में लगी रहती है, भूल कर भी कभी पति का दिल दुखाने वाली बात नहीं कहती। यदि पति को कोई दुख की बात बतानी हो तो भी वह पूर्ण संयमित होकर कहती है। हर प्रकार के पति को प्रसन्न रखने का प्रयास करती है। पति के अलावा वह कभी भी किसी अन्य पुरुष के बारे में नहीं सोचती। धर्म ग्रंथों में ऐसी ही पत्नी को पतिपरायणा कहा गया है।
4: धर्म का पालन करने वाली पत्नी –
एक पत्नी का सबसे पहले यही धर्म होता है कि वह अपने पति व परिवार के हित में सोचे व ऐसा कोई काम न करे जिससे पति या परिवार का अहित हो। गरुड़ पुराण के अनुसार, जो पत्नी प्रतिदिन स्नान कर पति के लिए सजती-संवरती है, कम बोलती है तथा सभी मंगल चिह्नों से युक्त है। जो निरंतर अपने धर्म का पालन करती है तथा अपने पति का प्रिय करती है, उसे ही सच्चे अर्थों में पत्नी मानना चाहिए।
अगर आप यह देख रहे है कि –
कुंभ राशि का जीवनसाथी
तुला राशि का जीवनसाथी
मेष राशि का जीवनसाथी
वृषभ राशि का जीवनसाथी
कन्या राशि का जीवनसाथी
मकर राशि के जीवनसाथी
मीन राशि का जीवनसाथी
वृश्चिक राशि का जीवनसाथी
धनु राशि के जीवनसाथी
सिंह लग्न का जीवनसाथी
तो ये थोड़ा बहुत सही हो सकता है, लेकिन अगर आपका जीवनसाथी साधक मिलता है, तो समझो आपसे ज्यादा कोई सुखी नहीं हो सकता। क्युकी आपके बच्चो को संस्कार सिर्फ एक साधक ही दे सकता है, कोई अन्य नहीं।
जिसकी पत्नी में यह सभी गुण हों, उसे स्वयं को देवराज इंद्र ही समझना चाहिए। क्युकी उसके पास स्त्री शक्ति है। अन्य पंथो के लोग अपनी अपनी शक्ति को छुपा कर रखते है, और सनातन धर्म की शक्तियों को मॉडर्नता के सपने दिखाकर उनका धर्म परिवर्तन करते है। फिर वे उसे अपने वश में रखते है।
नोट : श्री गरूड पुराण की बातें एक दम सत्य है। लेकिन सत्य आस्तिको के लिए है, नास्तिको का सत्य कुछ और हो सकता है। इसलिए जानकारी अच्छी लगे तो वोट अवश्य करे।
ऐसी जानकारियों या Hindi me Advice के लिए Hindi Hai वेबसाइट पर समय समय पर आते रहे।
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