अग्रसेन की बावली (Agrasen ki Baoli ) एक ऐतिहासिक संरचना है जो कि आज भी अच्छी स्थिति में है| इसका निर्माण जल संरक्षण के लिए किया गया था ताकि जल की कमी को पूरा किया जा सके| इसे भारत सरकार द्वारा अवशेष अधिनियम 1958 के अंतर्गत संरक्षण प्रदान किया गया है| इस बावली का निर्माण 14वी शताब्दी में अग्रवाल समाज के वंशज महाराज अग्रसेन ने करवाया था इसलिए इस बावली को अग्रसेन की बावली कहते है| इस बावली के निर्माण में लाल बलुए पत्थर का इस्तमाल किया गया ,इसकी लम्बाई 60 मीटर और चौड़ाई 15 मीटर है| इस बावली के नीचे तक पहुचने के लिए लगभग 105 सीढ़िया बनाई गई है|

Agrasen ki baoli kya hai?

इस बावली में अब पहले जैसा पानी नहीं है और जो भी पानी है वो काफी गंदा और हरे रंग का है| इस बावली का जल स्तर केवल बरसात के दिनों में अधिक हो जाता है| इस बावली में कबूतरों और चमगादड़ो ने अपना बसेरा किया हुआ है| इस बावली के पास तीन द्वार वाली मस्जिद भी है जिसका एक हिस्सा टुटा हुआ है| इस बावली के चारों ओर घनी आबादी है जिसके कारण लोगों को यह पता ही नहीं चलता है कि यह पर एक ऐतिहासिक बावली भी है| लेकिन जब से कुछ फिल्मों में इस जगह को दर्शाया गया है तब से ये बावली काफी प्रसिद्ध हो गई है| इस बावली को देखने के लिए देश व विदेशों से लोग भी आते है|

agrsen_ki_babri_1_1
agrsen_ki_babri_1_2

अग्रसेन की बावली कहाँ स्थित है ? agrasen ki baoli kaha par hai

अग्रसेन की यह बावली (Agrasen ki Baoli ) दिल्ली के कनॉट प्लेोस के हेली मार्ग पर स्थित है| इस जगह पर ऑटो ,रिक्शा या अपने किसी भी साधन से आसानी से पहुंचा जा सकता है|

अग्रसेन की बावली देखने का समय :

सुबह 9 बजे से शाम के 6 बजे तक यह बावली सप्ताह के सातों दिन खुली रहती है और इसे देखने के लिए किसी प्रकार का टिकट भी नहीं लगता है|

agrsen_ki_babri_1_9
agrsen_ki_babri_1_3

दिल्ली में स्थित अग्रसेन की बावली किस प्रकार की ऐतिहासिक स्मारक है? :

अग्रसेन की बावली से संबंधित कई सारी भ्रान्तिया लोगों में फैली हुई है जैसे कि इस बावली में कई सालो पहले काला जादुई पानी भर गया था जो कि लोगों को आत्महत्या करने के लिए उकसाता था| इस काले पानी के कारण कई लोगों ने इस बावली में कूद कर अपनी जान भी दे दी थी| कहा जाता है – तब से ही इस बावली का पानी सुख गया है और यहाँ पर उन आत्महत्या करने वाले लोगों की आत्मायें अभी भी भटकती है जिसे कई सारे लोगों ने देखा है| इसी कारण यह पर रात में जाना मना है तभी ये बावली केवल शाम के 6 बजे तक ही खुली रहती है|
agrsen_ki_babri_1_4
agrsen_ki_babri_1_5

जैसा की आप जानते है की महाभारत काल में दिल्ली (इन्द्रप्रस्ठ) ही भारत की राजधानी थी. कहते है तभी इस बाबरी का निर्माण महाराज अग्रसेन द्वारा किया । बाद में अग्रवाल समाज ने इस बावली का जीर्णोद्धार कराया। पर इस बाबरी का भी इतिहास मिटाने की कोशिश मुग़ल काल में ही की गयी, क्योकि इसकी स्थापत्य शैली उत्तरकालीन तुग़लक़ तथा लोदी काल (13वी-16वी ईस्वी) से मेल खाती है।

agrsen_ki_babri_1_6

इमारत की मुख्य विशेषता है कि यह उत्तर से दक्षिण दिशा में 60 मीटर लम्बी तथा भूतल पर 15 मीटर चौड़ी है, इसमें 103 सीढ़ियाँ है। पश्चिम की ओर तीन प्रवेश द्वार युक्त एक मस्जिद है, जिसमे अरबिक या फ़ारसी भाषा में कुछ साकेंतिक चिन्ह मिलते है। यह एक ठोस ऊँचे चबूतरे पर किनारों की भूमिगत दालानों से युक्त है। इसके स्थापत्य में ‘व्हेल मछली की पीठ के समान’ छत, ‘चैत्य आकृति’ की नक़्क़ाशी युक्त चार खम्बों का संयुक्त स्तम्भ, चाप स्कन्ध में प्रयुक्त पदक अलंकरण इसको विशिष्टता प्रदान करता है।

agrsen_ki_babri_1_8

हमने इस बाबरी का निरीक्षण करने का निर्णय लिया तो पता चला नीचे जाकर इसमें अभी भी पानी है, वो भी हरा पानी न की काला पानी जैसा की लोग बोलते है. बाबरी की छत पर कबूतरों और चमगादड़ो का झुण्ड लड़ता रहता है. बाबरी के अंदर मतलब नीचे उतरने पर बहुत ज्यादा उमस महसूस होती है, मतलब गर्मी के साथ साथ ठंडक लगती है,

agrsen_ki_babri_1_10

अगर आप यहाँ घूमने और देखने आना चाहते है तो जरूर आये वो भी परिवार के साथ, पर में जब में भी परिवार के साथ वहां गया तो वहां परिवार कम और प्रेमी जोड़े ज्यादा थे. जो उस ऐतिहासिक ईमारत का नाम और काम को ख़राब कर रहे थे. कुछ हमें विदेशी परिवार भी मिले हमने मुस्कराकर स्वागत किया। पर वो भी इन सबकी हरकतों से नाखुश थे., देखकर बुरा लगा और इसलिए जल्दी से हम भी वहां से वापस आ गए.

agrsen_ki_babri_1_7

जब भी में ऐसी भारतीय जगहों पर घूमता हु तो एक बात सोचकर बहुत दुखी होता हु की भारत की सरकारों ने ही भारत की संस्कृत, भारत की संस्कृति और भारत के इतिहास को अर्थी दे दी. खैर हमारे समाज को संस्कृति और इतिहास जीवित रखना चाहिए। क्युकी किसी भी देश की पहचान वहां के इतिहास और संस्कृति से होती है.

Common questions received by comment or msg :
agrasen ki baoli is really haunted?
no it is not true.

agrasen ki baoli delhi metro station:
Agarsen ki Baoli historical step well available on Hailey Road near Connaught Place. You can deboard from “mandi house or Indiagate metro stations and take auto or taxi to reach here.

agrasen ki baoli ticket:
There is no ticket

agrasen ki baoli map
Check on Google Map

agrasen ki baoli timing :
You can visit from 9:30 AM to 6:00 PM.

How useful was this Hindi Hai post?

Please rate hindihai.com Post!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.