भेदभाव Bhedbhav in Hindi – एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी माँ बाप को लग सकती है। और आज हर के माँ बाप को लगी हुयी है। पर क्षमा करे सबको नहीं। एक अध्ययन के मुताबिक, माता-पिता भी बच्चों के बीच भेदभाव करते हैं
BhedBhav kya hai?
मान लीजिये किसी माँ-बाप के 2 बच्चे है। अब कौन सा बच्चा दिमाग से तेज़ है और कौन सा नहीं ये बात माँ-बाप अपनी बुद्धि से पूर्वाग्रह करते है फिर उनके साथ भेदभाव करते है। क्युकी माँ बाप को लगता है दोनों बच्चे समान रूप से आगे बढे और तरक्की करे ।
Bhedbhav kab hota hai?
जिसे माँ बाप तेज़ दिमाग का समझकर जिसके साथ भेदभाव करते आये है वो तो सिर्फ अपने छोटे या बड़े भाई के धर्म और कर्तव्य के लिए सब देखकर चुप हुआ था । उसने भी सोच लिया था, की हो सकता है की माँ-बाप ने जो सोचा है तो गलत थोड़े ही होगा, हो सकता है मेरे भाई में कम दिमाग हो, इत्यादि।
अर्थात 95 प्रतिशत माँ बाप इसी भेदभाव के चलते अपने घर में एक वामपंथी / नास्तिक सोच को पैदा करते है। क्युकी जैसे ही उन्होंने भेदभाव करना चालू किया वैसे ही घटिया या नीच सोच का जन्म हो जाता है, जिसका तात्पर्य सबके हिस्से या अधिकार को पहले किसी न किसी तरह विक्टिम कार्ड के रूप में खाना वो भी बिना कर्म किये, जब विक्टिम कार्ड फ़ैल हो जाता है तो छीन के लेंगे वाली सोच आ जाती है। ये सोच हर घर, समाज और देश के लिए घातक होती है, जो बटवारे पर ही ख़त्म होती है।
ऐसे नास्तिक को पुराणों में नीच कहा गया है। आपको पता चल गया होगा की जाति से नीच नहीं होता, बल्कि कर्म से होता है। ये वो राक्षसी सोच होती है जो चिराग से बाहर तो आ जाती है लेकिन अंदर नहीं जाता। अर्थात ये बाद में माँ बाप के नियंत्रण से भी बाहर होता है।
अतः माँ बाप अपने ही घर में अशांति पैदा कर लेते है। ऐसे माँ बाप न उस लड़के के लिए भले या अच्छे हो पाते है जिसके साथ भेदभाव किया और न उसके भले हो पाते है जिसके लिए भेदभाव किया होता है। समझते है कैसे –
क्युकी जिसके साथ भेदभाव किया जाता है ( बड़ा बेटा ) –
वो जीवन पर्यन्त अपने माँ-बाप की कथनी पर विश्वास नहीं करता। वो अपने माता पिता को गलत, या अधर्मी समझने लगता है। धीरे धीरे माता पिता से दूर हो जाता है
क्युकी भरोसे और विश्वास की डोर से ही रिश्ते जुड़े होते है। जो की विश्वास खोने से टूट चुकी होती है।
उदाहरण के लिए –
एक बकरी के दो बच्चे समान रूप से दूध पीते है। फिर बकरी अपने बड़े बच्चे को कुछ दिनों बाद अपने सींग से मारकर भगाना चालू कर देती है अर्थात अपने ही बच्चों में भेदभाव करती है। क्यूकी उसे लगता है की मेरा बड़ा वाला बेटा तो उम्र में बड़ा है शायद इसलिए ज्यादा दूध पी जाता है और मेरा छोटा बच्चा कमजोर है, छोटा है, तो भूखा रह जाता है।
बकरी रोज़ रोज़ यही करती, तो धीरे धीरे बड़ा बच्चा कम दूध पीने से कमजोर होने लगता है। रोज़ रोज़ की मार और अपमान से वो बड़ा बच्चा धीरे धीरे दूध पीना कम कर देता है और बाद में बंद ही कर देता है।
और फिर वह बाहर चल फिरकर कभी सूखी तो कभी हरी घास चुनने की कोशिश करने लगता है। वह कमजोर भी हो जाता है लेकिन न तो माँ का विरोध करता है न छोटे भाई का।
बस उनसे दूर जाकर अपने पेट भरने का प्रयत्न करने लगता है। बकरी उसको देखती रहती है लेकिन फिर भी दूध नहीं पिलाती क्युकी बकरी फिर ये सोचती की बड़ा बेटा तो घास खाना सीख गया है ये छोटा क्या करेगा। इस तरह से बड़े बेटे के साथ भेदभाव जीवन भर किसी न किसी रूप में चलता रहता है।
और जिसके लिए भेदभाव किया है ( छोटा बेटा ) –
वो कभी अपने माँ बाप को सुख नहीं दे पता क्युकी उसकी सोच नीच हो चुकी होती है, ये प्रयन्तशील भी कम होते है क्युकी बिना मेहनत किये इनको जिंदगी सब मिला होता है। उसने सिर्फ नोचना और खाना ही सीखा होता है। और वो पूरी ज़िंदगी अपने माँ बाप को कोसने और नोच-नोच कर खाने में ही लगा रहता है। कभी विक्टिम या दुखी बनकर तो कभी जोर जबरदस्ती से।
इस प्रकार दोनों ही बेटे अपने माँ बाप का सम्मान करना बंद कर देते है।
फिर क्या होना चाहिए –
अज्ञान ही हर समस्या की जड़ है। जिस व्यक्ति के पास ज्ञान होगा वो कभी अपने बच्चो में भेदभाव नहीं करेगा। जब तक किसी मनुष्य को अपने कर्तव्य और धर्म का ज्ञान नहीं है तो वो कभी भी अच्छे माता पिता, और अच्छे पुत्र या पुत्री नहीं बन सकते है। अगर आपका एक पुत्र गरीब है और दूसरा अमीर है तो ये समय का खेल है। एक 3-4 साल बड़ा है तो उसके पास जीवन का अनुभव ज्यादा है। यही 3-4 साल छोटे बेटे के बीतेंगे तो हो सकता है वो भी इसी जगह पर हो। आप कौन होते है भेदभाव करने वाले।
भेदभाव के क्या कारण है?
भारत सहित किसी भी देश में होने वाले भेदभाव का प्रमुख कारण झूठा या सही अनुमान लगाना होता है। अनुमान या पूर्वाग्रह कभी सत्य होता है तो कभी झूठ। इस पर भरोसा करना अर्थात अपने आप को दलदल में डालने जैसा है। पूर्वाग्रह से ग्रसित कार्य की अपेक्षा अपने कर्तव्यों का निर्वहन श्रेष्ठ होता है।
क्युकी जैसे ही कोई व्यक्ति भगवान् की सृष्टि या प्रकृति को बदलने की कोशिश करता है उसे सर्वनाश ही हाथ लगता है। इसलिए घर में नास्तिक या वामपंथी पैदा न करे।
भेदभाव कब होता है?
जब कोई पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर बरताव करता है तो इससे भेदभाव हो सकता है। किसी भी व्यक्ति को धर्म, जाति, लिंग या क्षेत्रीयता के आधार पर किसी सुविधा से वंचित रखने को भेदभाव कहते हैं।
बच्चो में भेदभाव के घातक परिणाम –
- सयुंक्त परिवारों का बिखर जाना या घर का बटवारा
- बच्चो का अपने माता पिता पर भरोसा या विश्वास न करना
- माता पिता का अपने बच्चो पर भरोसा या विश्वास न करना
- बुरे समय में एक दूसरे की मदद न करना
- अच्छे समय में एक दूसरे को न पूछना
- हमेशा एक दूसरे को नीचा दिखाना
- खुद को अच्छा इंसान और दूसरे को अहंकारी समझनाआदि अवगुण पैदा हो जाते है, जिसके कारण भविष्य में बड़े से बड़े महल ढह जाते है। और माता पिता या पूर्वजो के द्वारा की गयी मेहनत मिटटी में मिल जाती है।
जीवन से जुडी ऐसी और भी ज्ञान कमाने वाली पोस्ट यहाँ से पढ़े। इसलिए अपने दिव्य ज्ञान को पढ़ते रहे और सभी बच्चो और समाज में लोगो को समान रूप से देखे और वर्ताव करे। इससे सुख रुपी दिन बड़ा होगा और दुःख रुपी रात छोटी।
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कृपया ध्यान दे –
इस पोस्ट की बातें बड़े और छोटे दोनों पर ही लागू होती है। यहाँ हमारा तात्पर्य बड़े या छोटे भाई की बात करके एक नए भेदभाव को पैदा करने की नहीं अपितु माता पिता द्वारा किया गया बड़े या छोटे किसी भी बच्चे के प्रति भेदभाव से है। बड़े या छोटे शब्द का इस्तेमाल उदाहरणार्थ किया गए है।
आपके प्रश्न –
भेदभाव कब होता है?
जब माता पिता को लगता है की एक लड़का ज्यादा कमा रहा है और एक कम। या माता पिता को लगता है एक दिमाग वाला है दूसरा मुर्ख। या माता पिता को लगता है एक पढ़ा लिखा होनहार और कमायु है दूसरा कमजोर।
यह सब झूठे पूर्वाग्रह या पूर्वानुमान से होता है।
लोगों में असमानता क्यों है इसके मुख्य कारण क्या है?
सरकार जब भी गलत पालिसी बनाती है तो उसके कारण असमानता फैलती है। जैसे की भारत में गरीब को आरक्षण या अधिकार (आर्थिक सहायता) सही से नहीं मिलते बल्कि कुछ जाति वालो को ज्यादा मिलते है। क्युकी वो एक ख़ास जाति से है या हिन्दू धर्म से दूसरे धर्म में धर्म-परिवर्तन कर चुके है।
Sir mere sath to pichle 23 saale se ho raha app ko mai bata nahi sakta ki meri halat kya hai kai baar to maine sucide ka soch per bujdil hu nahi kar paya.mentally treatment lena pada per abhi bhi bahut pareshan hu kya karu.samaj mai bahut izzat hai but ghar mai durvyavahar ho raha hai jiski charam sima par ho chuki hai.kya karu sir suxxxxxxe kar lu ya inko khatam kar du
सर आप किसी को नहीं बदल सकते आप चाहे उन्हें कितना भी समझा ले। बेहतर है खुद बदल जाए। सबसे अच्छा तरीका है रामानंद सागर की श्रीकृष्ण धारावहिक में से श्रीमद भगवद गीता वाला भाग वीडियो को कट करो, उसे MP3 में बदलो और हैडफ़ोन लगाकर अकेले में अर्जुन और श्रीकृष्ण की वार्तालाप सुने।
श्री रामानंद सागर के सीरियल वाली गीता इसलिए क्युकी उससे आसान भाषा में श्रीमद भगवदगीता को कोई नहीं समझा सकता। जब ये समझ में आ जाये तो गीता का as it is वाला पढ़ सकते है।
लेकिन उसकी जरुरत नहीं पड़ेगी, आप सुखी हो चूकेंगे होंगे और आपको रास्ता भी मिल जायेगा।
फिर भी कोई समस्या को तो उपनिषद गंगा के सभी एपिसोड ध्यान पूर्वक देखे और समझे।
आपके लिए – सुखी कौन है कहानी जरूर पढ़े
https://www.mahapuran.com/sat-chit-ananda-in-hindi/
ओर अगर छोटे भाई पर भेद भाव होता हो तो अगर माता पिता छोटे भाई पर ध्यान ना दे और बड़े भाई को उसकी मन मानी करने दे जब कि छोटा भाई अपने दम पर कुछ करना चाहता है बड़ा भाई सिर्फ माता पिता के पेसो से अपनी खुवाईशे पूरी करता हो उसके लिए आप क्या बोलोगे
कृपया ध्यान दे –
इस पोस्ट की बातें बड़े और छोटे दोनों पर ही लागू होती है। यहाँ हमारा तात्पर्य बड़े या छोटे भाई की बात करके एक नए भेदभाव को पैदा करने की नहीं अपितु माता पिता द्वारा किया गया बड़े या छोटे किसी भी बच्चे के प्रति भेदभाव से है।
बड़े या छोटे शब्द का इस्तेमाल उदाहरणार्थ किया गए है।