आपको जानकार बहुत ख़ुशी होगी और आश्चर्य होगा की अब वैज्ञानिको ने ब्लैक हॉल की असली तस्वीर ले ली है। पर सबसे आश्चर्य की बात यह है की ब्लैक व्होल की तस्वीर कुछ वैसी ही आयी है जैसी की हमने हॉलीवुड फिल्मो और Discovery Science आदि चैनलो पर देखी है। इसे हम कल्पना का सच में परवर्तित होना कह सकते है। यह खगोल विज्ञान या खगोलशास्त्र की बहुत बड़ी घटना है।
ब्लैक होल को हिंदी में कृष्णा विवर कहा जाता है। अर्थात काला विन्दु, काला छिद्र । ब्लैक होल इतने शक्तिशाली होते है की शायद ही इनसे बड़ी शक्ति किसी के पास हो. इसमें समाने वाली किसी भी चीज़ का कोई अता पता नहीं चलता।

ये तस्वीर इवेंट हॉरिज़न टेलिस्कोप से ली गई है जो आठ टेलिस्कोप का एक नेटवर्क है. ये हमारे सोलर सिस्टम से भी बड़ा है और वज़न में सूर्य से 650 करोड़ से ज़्यादा भारी है. ये ब्रह्मांड में मौजूद सबसे बड़ा ब्लैक होल है. इस ब्लैक होल में बेहद गरम गैसें हैं जो इस ब्लैक होल में जाकर गिरती हैं. यह गैलैक्सी में लगभग 4000 करोड़ में फैला हुआ है और आकार में पृथ्वी से तीस लाख गुना बड़ा है.

साइंस के क्षेत्र में यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। इसे पूरा करने में सुपर कम्प्यूटर्स, पूरी दुनिया में अलग-अलग जगह लगाए गए 8 टेलीस्कोपस, कई रिसर्चर और बड़ी तादात में डाटा लगा है। इस प्रोजेक्ट के परिणाम की घोषणा, जिसे Event Horizon Telescope (EHT) कहा गया है, आज पूरी दुनिया में स्ट्रीम की जा रही प्रेस कॉन्फ्रेंस में की गई।  इस प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर हेनियो फ़ैल्के ने बीबीसी को बताया कि ब्लैक होल एम87 गैलेक्सी में पाया गया है.

ब्रह्मांड के करोड़ों तारों को मिलाकर जितनी रौशनी होगी यह ब्लैक होल उससे भी ज़्यादा चमकदार है. इसीलिए इसे इतनी दूरी होने का बावजूद टेलीस्कोप के ज़रिए देखा जा सका.

ये तस्वीर विज्ञान की परिभाषाओं और कई हॉलीवुड फ़िल्मों में ब्लैक होल की परिकल्पना से बिलकुल मेल खाती है.

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रोफ़ेसर डॉक्टर ज़िरी यॉन्सी भी ईटीएच कोलैबरेशन का हिस्सा रहे हैं. वो कहते हैं, ”ब्लैक होल अंतरिक्ष और प्रकृति से जुड़े कई जटिल सवाल खड़े करता है, इसके अलावा ब्लैक होल हमारे वजूद से जुड़ा हुआ मुद्दा है. ये बेहतरीन है कि ब्लैक होल हमारी परिभाषाओं में जैसा था वैसा ही तस्वीर में दिखता है. ऐसा लगता है कि एक बार फिर आइन्सटाइन सही थे. ”

ब्लैक क्या है?

ब्लैक होल अंतरिक्ष का ऐसा हिस्सा है जिससे होकर कुछ भी गुज़र नहीं सकता. यहां तक की प्रकाश भी इसमें गायब हो जाता है. नाम के उलट ये क्षेत्र खाली नहीं होता बल्कि इसमें कई तरह के पदार्थ होते हैं जो इस इसके क्षेत्रफ़ल को बहुत ज़्यादा गुरुत्वाकर्षण बल देते हैं. ब्लैक होल से आगे अंतरिक्ष का एक क्षेत्र है जिसे इवेंट होरिज़ोंटल कहा जाता है. इसके आगे जाने वाली कोई भी वस्तु कभी वापस नहीं आती.

इसके खिंचाव से कुछ नहीं बच सकता. ब्लैक होल के चारों ओर एक सीमा होती है. उस सीमा को घटना क्षितिज कहा जाता है. उसमें वस्तुएं गिर तो सकती है लेकिन वापस नहीं आ सकती. इसलिए इसे ब्लैक होल कहा जाता है. क्योंकि यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को अवशोषित कर लेता है. और उसके बदले में कुछ भी परावर्तित नहीं करता है.

ब्लैक होल कैसे बना?

प्रो. फ़ैल्के के मन में ब्लैक होल की तस्वीर प्राप्त करने का विचार तब आया था जब वह 1993 में पीएचडी छात्र थे. उस समय किसी ने भी नहीं सोचा था कि ब्लैक होल की तस्वीर प्राप्त करना संभव होगा. लेकिन प्रो. फ़ैल्के यह महसूस करने वाले पहले व्यक्ति थे.

सनातन धर्म के अनुसार ब्लैकहोल –

सनातन धर्म के अनुसार ब्लैकहोल किसी दूसरी गैलेक्सी या दूसरे ब्रह्माण्ड में जाने के लिए मार्ग है। हालाँकि यह वह ब्रह्मण्ड भी हो सकता है, जिसे हर कल्प के बाद महारुद्र के द्वारा नष्ट कर दिया जाता है।

 

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