ज्योतिष शास्त्र में कुंडली का महत्वपूर्ण स्थान है, जिसमें व्यक्ति के जीवन के बारे में विभिन्न जानकारी शामिल है। कुंडली में ग्रहों का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है, जो व्यक्ति के स्वभाव, व्यक्तित्व और जीवन की घटनाओं को प्रभावित करते हैं। देवगण, मानव गण और राक्षस गणों में तीन प्रमुख गण हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना-अपना गुण और प्रभाव होता है। यहाँ गणो का अर्थ गुण समझने से बुध्दि सकारात्मक होती है।

प्रकृति और स्वभाव में अंतर –

राक्षस गण –

राक्षस गण के जातक आमतौर पर साहसी, दृढ़ संकल्पी और स्पष्ट वक्ता होते हैं। उनके व्यक्तित्व में आत्मविश्वास की कमी नहीं होती और वे अपने लक्ष्यों को पाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं।

लेकिन अज्ञान की स्थिति में इनके अंदर गुस्सा, अभक्ष का भोजन, असत्य भाषण अर्थात जीवन में तमस अधिक होता है।

जैसे जैसे ज्ञान प्राप्त करते है, वैसे वैसे ये अध्यात्म की तरफ बढ़ते है, इन्हे अध्यात्म में ज्ञान के साथ साथ तंत्र अधिक आकर्षित करता है। ये एक अच्छे साधक हो सकते है। इन गुणों को धारण करके वे भवसागर से पार होने का मार्ग खोजने का प्रयत्न करते है।

देव गण –

इसके विपरीत, देव गण के जातक आमतौर पर शांत, दानवीर, विनम्र और सहयोगी होते हैं।

अज्ञान होने की दशा में ये धर्म, अर्थ और काम की काम की कमी से झुझते है, और अप्रसन्नता से भरा जीवन जीते है।

तो वही थोड़ा सा भी ज्ञान होने पर इनकी दृष्टि आध्यात्म ज्ञान की ओर हो जाती है। अगर इन्हे अपने स्वरुप का ज्ञान हो जाता है तो इनका जीवन सत्व अर्थात सात्विक गुणों से भरा रहता है। सत्य की प्रधानता अधिक होती है। फिर जैसे जैसे ज्ञान प्राप्त करते रहते है वैसे वैसे अपनी प्रवृति से निवृति (संन्यास या संतो की सेवा) की ओर बढ़ते है। और इन गुणों को धारण करके वे भवसागर से पार होने का मार्ग खोज लेते है।

मानव गण –

मानव गण के जातक बीच का रास्ता अपनाने वाले होते हैं, जो संतुलन बनाए रखने की कोशिश करते हैं।

अगर सनातन ज्ञान से दूर है तो भ्रमित जल्दी हो जाते है, अपने ही सपनों की दुनियां में जीते है, हर किसी को अपना दुश्मन समझने लगते है, लालच और स्वार्थ इनको सबसे प्रिय होता है। पड़ोसी के सुख को देखकर दुःखी होते है।

लेकिन जैसे जैसे ज्ञान प्राप्त करते है वैसे वैसे इनमे दया, क्षमा, जीव सेवा के गुण प्रकट हो जाते है। फिर ये लेने आने नहीं, देने वाले बन जाते है। और इन गुणों को धारण करके वे भवसागर से पार होने का मार्ग खोज लेते है।

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अन्य गणों से कुंडली में राक्षस गण विशेष क्यों होता है?

इन गणों को समझने से व्यक्ति के स्वभाव, व्यक्तित्व और जीवन की घटनाओं के बारे में जानकारी मिल सकती है। यह आवश्यक है कि व्यक्ति अपनी इन विशेषताओं का सही तरीके से उपयोग करे और ज्ञान को माध्यम बनाकर अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाए।

तो अगर आप मनुष्य गण राक्षस गण विवाह के लिए देख रहे है तो विशेषताएं या उपाय खोजने की बजाय ज्ञान की परीक्षा ले, उस ज्ञान की परीक्षा से आप निर्णय ले सकते है कि रिश्ता सुखद होगा या।

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