जब से हम पैदा हुए है तभी से सिर्फ एक बात हर साल अवश्य सुनते आये है कि इतने बोरे गेहू भीग गए, चावल भीग गए, दाल भीग गयी। हमारे देश में जब भी अच्छा उत्पादन हो जाता है तो रखने के लिए गोदाम ही नहीं होते है। और जो गोदाम होते भी है वहां सुविधाएं नहीं होती। इस योजना के तहत, सरकार हर शहर में आधुनिक तकनीक के आधार पर गोदाम बनाने का प्रयास कर रही है। इन गोदामों में संग्रहीत फसलों को सुरक्षित रखा जाएगा, जिससे किसान अपनी फसलों को अच्छी मूल्य से बेच सकेंगे। इससे फसलों को दामों की भारी गिरावट, फेंकने की आदत और संकट के समय मंडी में भंडारण की समस्याओं से बचाया जा सकेगा।

लेकिन अब सरकार ने किसानो के लिए बड़ा ही धामकेदार काम करने जा रही है। सरकार अब हर शहर में फसल को सुरक्षित रखने के लिए आज की तकनीक के हिसाब से गोदाम बनाने जा रही है, इससे किसान अपने पास के शहर में ही फसल को बेंच सकता है। अब मंडी भी खरीदने से मना नहीं करेंगी क्युकी उनके पास अब उचित भंडार करने की व्यवस्था होने वाली है।

सरकार का उदेश्य –

  • मंडी द्वारा ख़रीदा गया अनाज को रखने की उचित व्यवस्था न होने के कारण कभी भीग जाता है, तो कभी सड़ जाता है।
  • कभी कभी फसल ज्यादा सस्ती होती है तो वे रोड पर फेकने लगते है
  • किसानों को संकट के समय अपनी उपज उल्टे सीधे दाम पर बेचने से रोकना

आयात पर निर्भरता कम करना –

  • पहले देश के उत्पादन को लापरवाही से बर्बाद कर देना फिर विदेशो से मंगा लेना, ये नेता अब नहीं कर पाएंगे।
  • किसान का माल ढ़ुलाई का खर्चा बचेगा, अपनी फसलों को नयी तकनीक से और उन्नत बनायेगे, जो काम और रोजगार पैदा करेंगे।

भारत में अन्न के भंडारण की क्षमता केवल 47% –

चाहे देश हो या व्यक्ति अपनी कमाई या उगाई हुयी फसल को रखने की व्यवस्था अवश्य करता है। दुनियां के ज्यादातर देश जितना उत्पादन उनके यहाँ होता है उससे ज्यादा भंडार की व्यवस्था बनाकर बैठे है। लेकिन भारत में अगर 100% उत्पादन होता है तो उसका भंडार करने की क्षमता केवल 47% प्रतिशत है।

देश में सालाना करीब 3,100 लाख टन खाद्यान्न का उत्पादन होता है। इसलिए सरकार बहुत ही आवश्यक काम करने जा रही है। फिलहाल इस योजना को शुरू में १० जिलों से शुरू किया जायेगा और इसमें करीब एक लाख करोड़ के आस पास का खर्चा होगा।

 

Source: Twitter/Shri Anurag Thakur

 

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