भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल ऑटोनॉमस लैंडिंग मिशन (RLV LEX) का सफल परीक्षण किया है.  इसे रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. इसरो और उसके सहयोगियों ने एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर), चित्रदुर्ग, कर्नाटक में इस टेस्ट को सफलता पूर्वक पूरा किया. India Reusable Launch Vhicle के परीक्षण के साथ ही दुनिया के गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है, भारत ने पहली बार इस तरह का काम किया है, ह काम पूरी तरह मशीनों के सहारे हुआ है. यह सचमुच ऐतिहासिक है

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है . उसने रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल ऑटोनॉमस लैंडिंग मिशन (RLV LEX) का सफल परीक्षण किया है. इसे रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल कहते है।

ISRO RLV LEX – भारत की नजर अब अंतरिक्ष पर्यटन पर

इस लांच के साथ ही भारत स्पेस टूरिज्म की ओर भी देखेगा. भारत का यह Vhicle 2030 तक तैयार हो जाएगा, उसके बाद Space Tourism के लिए भारत भी अपने दरवाजे खोल सकता है. अभी एक अंतरिक्ष यात्री को लगभग 6 करोड़ रुपए लगते हैं.

आरएलवी ने भारतीय वायु सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से सुबह 7:10 बजे 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ान भरी। तय मापदंडों तक पहुंचने के बाद मिशन प्रबंधन कंप्यूटर की कमान के आधार पर आरएलवी को बीच हवा में 4.6 किलोमीटर की दूरी से छोड़ा गया था।

Quick Information :

  • ISRO का Reusable Launch Vehicle India नासा के स्पेस शटल की तरह ही है.
  • 2030 तक यह पृथ्वी की निचली कक्षा में 10 हजार किलोग्राम तक का वजन भी ले जा सकता है.
  • ISRO के साथ भारतीय वायु सेना (IAF), सेंटर फॉर मिलिट्री एयरवर्थनेस एंड सर्टिफिकेशन (CEMILAC), वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (ADE) और एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ADRDE) ने इस परीक्षण में योगदान दिया।
  • RLV LEX में कई स्वदेशी सिस्टम्स का इस्तेमाल किया गया है। इसमें लगे नेविगेशन सिस्टम, इंस्ट्रूमेंटेशन और सेंसर जैसे सिस्टम इसरो ने ही विकसित किए गए हैं।
  • रीयूजेबल तकनीक अमीर कारोबारी एलन मस्क की कंपनी SpaceX ने सबसे पहले ऐसे 9 रॉकेट बनाए.

 

 

 

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