Hindi Hai – भगवान् भोलेनाथ की कृपा अपने भक्तो पर होगी, ऐसा किसी ने सोचा नहीं था क्युकी अब भगवान भोलेनाथ के भक्त बिना चीन जाए भारत की देवभूमि से कैलाश पर्वत के दर्शन कर सकेंगे। इसका फायदा देश के सनातनियों को ही नहीं मिलेगा अपितु विदेशो में रहने वाले सनातनी भक्तो को भी मिलेगा।

उत्तराखंड के लोगो के लिए यह किसी मणि से कम नहीं है क्युकी भक्तो के आवागमन से वहां वे अपना लोकल प्रोडक्ट्स, संस्कृति तथा कल्चर को दुनियां को दिखा सकते है।

कैलाश मानसरोवर के दर्शन करने वाले पहले प्रधानमंत्री –

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रमोदी जी भारत के पहले प्रधानमंत्री है, जिन्होंने कैलाश मानसरोवर के दर्शन किये है।

2018 में भारत से दिखा था कैलाश मानसरोवर पर्वत –

साल 2018 में पिथौरागढ़ के गांव वालो को कैलाश मानसरोवर पर्वत के दर्शन हुए थे और उन्होंने सरकार को सूचना दी थी। सौभाग्य से केंद्र में सभी धर्मो को सम्मान देने वाली सरकार थी और सरकारी अफसरों के प्रयत्नों से पिथौरागढ़ में खोजे गयी जगह हो को व्यू प्वाइंट घोषित किया गया।

अब इसका शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 से 12 अक्टूबर को पिथौरागढ़ दौरे के समय कर रहे है। वहां तक रोड डाली जाएगी। नरेंद्र मोदी सरकार की कोशिश है कि श्रद्धालुओं को इस व्यू प्वाइंट तक की यात्रा कराई जाए।

ओम पर्वत के दर्शन –

जो भक्त कैलाश मानसरोवर पर्वत के दर्शन करने जायेगे, वे मौसम साफ होने पर ओम पर्वत के दर्शन भी कर सकेंगे।

आपको बता दे कि भारत की सीमा से कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील करीब 60 किलोमीटर दूर है। कैलाश व्यू प्वाइंट तक पहुंचाने के लिए ओल्ड लिपुलेख दर्रे को पार करना पड़ता है। यह भारत-चीन सीमा से करीब 4 किलोमीटर पहले पड़ता है।

सनातन धर्म के उन्मूलन में वाधा –

ज्यादातर राजनितिक पार्टियाँ और इनको वोट देने वाले लोग सनातन धर्म के उन्मूलन में लगे हुए है। राजनीतिक पार्टियां इसके लिए एक हो गयी है और सनातन धर्म को अन्धविश्वास बताकर इसे ख़त्म कर रहे है, जिसमे लोगो की सहायता, शिक्षा और लालच के नाम पर धर्म परिवर्तन, जातिवाद में बांटकर उनका नरसंहार करती रही है। नेता श्रीरामचरित मानस का अपमान राक्षसों की भांति कर रहे है।

इसलिए राजनितिक दलों का झुण्ड श्री कैलाश मानसरोवर पर्वत और ॐ पर्वत मिटाने के लिए क्या नया कृत्य करते है। देखने वाली बात होगी।

फिलहाल भक्त तो श्री कैलाश मानसरोवर पर्वत के दर्शन के लिए भाव-विभहल हो रहे है। व्यास घाटी के ग्रामीणों ने भी मीडिया को बताया कि पुराने समय में भी श्री कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए बहुत से श्रद्धालु पुराने लिपुलेख दर्रा चोटी का प्रयोग करते थे जो वृद्धावस्था या किसी रोग के कारण मानसरोवर तक नहीं जा पाते थे।

इसलिए सनातन धर्म के लोगो की वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियां श्री प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का यह उपकार कभी नहीं भूल सकेगी।
इसलिए हिन्दीहैहम ब्लॉग भी श्री मोदी जी के चरणों में सनातन धर्म के लोगो की तरफ से सहस्त्र बार दंडवत करता है। उनकी शिव भक्ति को शत शत नमन करता है।

ऐसी ही जानकारियों के लिए हिन्दीहै ब्लॉग को फॉलो करना न भूले, ताकि आपको हमारे लेटेस्ट पोस्ट नोटिफिकेशन मिलते रहे।


FAQs –

क्या भारत से कैलाश पर्वत देखा जा सकता है?

जी हाँ, कैलाश दर्शन अब भारत से हो सकते है। इसके लिए उत्तराखंड में व्यू पॉइंट मिल गया है यहाँ से यह पवित्र पर्वत 50 किमी दूर है।

कैलाश पर्वत पर कैसे जाया जा सकता है?

पहले कैलाश पर्वत पर जाने के तीन मार्ग है – पहला उत्तराखंड का लिपुलेख दर्रा है, दूसरा सिक्किम का नाथू दर्रा और तीसरा नेपाल का काठमांडू है।

कैलाश पर्वत पर कौन चल सकता है?

कैलाश पर्वत शिखर पर आज तक कोई नहीं चढ़ पाया, जितनी भी खबरे है चढ़ने की सभी झूठ या अफवाह के रूप में फैलाई गयी है।
जैसे कि रशिया के वैज्ञानिकों की एक रिपोर्ट ‘यूएनस्पेशियल’ मैग्जीन के 2004 के जनवरी अंक में प्रकाशित की थी। कि 11वीं सदी में एक तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेपा ने इस पर चढ़ाई की थी। हालांकि मिलारेपा ने इस बारे में कभी कुछ नहीं कहा, और न किसी के चढ़ने का कोई प्रूफ है।

कैलाश पर्वत पर हेलीकॉप्टर से जाया जा सकता है क्या?

कैलाश यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर की उड़ान नेपालगंज से शुरू होती है। हेलीकाप्टर मार्ग से यात्रा में नेपाल का अधिकतर यात्रा हवाई जहाज़, हेलिकॉप्टर एवम कुछ सड़क मार्ग से होती है।

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