जैसा कि हम जानते है भगवान भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग है| जो कि देश के अलग-अलग भागों पर पाये जाते है| इनमे से जो पहला ज्योतिर्लिंग है उसका नाम सोमनाथ ज्योतिर्लिंग है|

पहले ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ मंदिर के बारे में (Somnath Mandir in Hindi)

आज हम आपको सोमनाथ मंदिर में स्थित इसी ज्योतिर्लिंग का इतिहास बताने जा रहे है| इसके इतिहास के साथ हम आपको ये भी बतायेंगे कि यह कहाँ स्थित है और इस तक पहुंचा कैसे जा सकता है|

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का इतिहास –

सोमनाथ मंदिर (Somnath Mandir ka Itihas) में जो ज्योतिर्लिंग स्थित है उसके पीछे एक कथा है –

ब्रह्माजी के मानस पुत्र प्रजापति दक्ष के 27 पुत्रियाँ थी| उनकी सभी पुत्रियों का विवाह चन्द्र देवता से हुआ था| चन्द्र देवता अपनी सभी पत्नियों में रोहिणी को सबसे अधिक प्रेम करते थे| लेकिन ये बात उनकी बाकी 26 पत्नियों को अच्छी नहीं लगती थी| इसलिए उन्होंने अपने पिता के समक्ष यह बात रखी ,तो प्रजापति दक्ष ने चन्द्र देवता को समझाया लेकिन चन्द्रदेव पर इसका कोई असर नहीं हुआ| तो राजा दक्ष ने  क्रोधित होकर चन्द्र देवता को क्षयग्रस्त हो जाने का श्राप दे दिया| जिस कारण पृथ्वी पर सुधा शीतलता वर्षण रुक गया और चारो ओर त्राहि-त्राहि मच गई| यह सब देखकर इन्द्रदेव बहुत चिंतित हुए और चंद्रदेव को इस श्राप से मुक्त करने के लिए ब्रह्माजी के पास गये| तो ब्रह्माजी ने चन्द्र देवता को भगवान शिव की आराधना करने के लिए बोला|

चन्द्र देवता ने ब्रह्माजी के कहे अनुसार भगवान शिव की तपस्या की ,उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें राजा दक्ष के श्राप से मुक्त कर दिया| जब चन्द्रदेव श्राप से मुक्त हो गये तो उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना की वे इस जगह पर माता पार्वती के साथ सदा के लिए निवास करने लगे| उनकी इस प्रार्थना को स्वीकार करके भगवान शिव माता पार्वती के साथ ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गये| क्योंकि चंद्रदेव ने भगवान शिव को अपना नाथ-स्वामी मानकर तपस्या की थी इसलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम सोमनाथ रख दिया गया| क्योंकि चंद्रदेव का दूसरा नाम सोम भी है|

इस प्रकार सोमनाथ ज्योतिर्लिंग स्थापित होने के कारण इस मंदिर का नाम सोमनाथ मंदिर पड़ गया| इस ज्योतिर्लिंग का उल्लेख ऋग्वेद में भी किया गया है| इस मंदिर को 1025 में महमूद ग़ज़नवी ने आक्रमण करके लूटकर नष्ट कर दिया था| लेकिन गुजरात के राजा भीम व मालवा के राजा भोज ने इसका फिर से निर्माण कराया| लेकिन 1297 में दिल्ली के सुल्तान ने जब गुजरात पर कब्ज़ा कर लिया तो इस मंदिर को फिर से गिरा दिया| इस प्रकार इस मंदिर को 6 बार तोड़ा गया लेकिन फिर भी इसके अस्तित्व को मिटाया नहीं जा सका|

आज जो मंदिर हमारे सामने खड़ा है उसका निर्माण सरदार वल्लभ भाई पटेल ने कराया था| इसके बाद इस मंदिर को 1 दिसम्बर 1995 में राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने राष्ट्र को समर्पित कर दिया|

Somnath Mandir कहाँ पर स्थित है –

सोमनाथ मंदिर गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह पर स्थित है|

सोमनाथ मंदिर की संरचना –

सोमनाथ मंदिर समुद्र के किनारे वेरावल बंदरगाह पर बनाया गया है| इस मंदिर का शिखर 150 फुट ऊँचा है| इसके शिखर पर लगभग 10 टन का कलश रखा हुआ है| इसकी जो ध्वजा है वो 27 फुट ऊँची है| सोमनाथ मंदिर गर्भग्रह ,सभामंड़प व नृत्यमंडप जैसे 3 प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है| इसकी दीवारों पर शिव भक्ति की कलाकृति अद्भुत रूप से दर्शाई गई है| सोमनाथ मंदिर की संरचना अपने आप में ही अद्भुत है जो कि उसे बनाने वाले कारीगरों की कुशलता को दर्शाती है|

सोमनाथ मंदिर कैसे पहुंचे? –

सोमनाथ मंदिर पर हम वायु मार्ग ,रेल मार्ग व सड़क परिवहन किसी भी माध्यम से आसानी से पहुँच सकते है|

सोमनाथ मंदिर का महत्व –

  • यहा पर श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था|
  • सोमनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग में से पहला ज्योतिर्लिंग है|
  • यह तीर्थ पितृगणों के श्राध्द व नारायण बलि आदि कर्मो के लिए भी प्रसिद्ध स्थल है|
  • यहां पर तीन नदियों हिरण, कपिला और सरस्वती का महासंगम होता है| इस संगम में स्नान करने का बहुत महत्व है|
  • यहा पर भक्त जो भी कामना करते है भगवान शिव उसे पूरी करते है|

भगवान शिव की कितनी ज्योतिर्लिंग है? –

  1. Shree Bhimashankar Jyotirlinga, in Maharashtra
  2. Shree Mahakaleshwar Jyotirlinga, in Ujjain, Madhya Pradesh
  3. Shree Kedarnath jyotirlinga, in Rudraprayag, Uttarakhand
  4. Shree Mallikarjuna Jyotirlinga, Srisailam, Andhra Pradesh
  5. Shree Somnath Jyotirlinga, Gir, Gujarat
  6. Omkareshwar Jyotirlinga in Khanda, Madhya Pradesh
  7. Baidyanath Jyotirlinga in Deoghar, Jharkhand
  8. Ramanathaswamy Jyotirlinga in Rameshwaram, Tamil Nadu / Jyotirling jageshwar (ज्योतिर्लिंग जागेश्वर)
  9. Nageshwar Jyotirlinga in Dwarka, Gujarat
  10. Kashi Vishwanath Jyotirlinga in Varanasi, Uttar Pradesh
  11. Trimbakeshwar Jyotirlinga in Nasik, Maharashtra
  12. Ghrishneshwar Jyotirlinga in Aurangabad, Maharashtra

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