वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के अपने वादे को अमल में लाने के लिए केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में व्यापक सुधार की पहल की है। इसी क्रम में संसद से तीन नए कानून पारित हुए हैं। हालांकि, किसानों का एक वर्ग इनका विरोध भी कर रहा है। आइए, एक बार फिर जानते हैं कि इन कानूनों में क्या प्रावधान किए गए हैं और उनसे किसानों को क्या लाभ होंगे? यहाँ आप आराम से krishi bill 2020 details in hindi, know what is kisan bill 2020 in hindi में पढ़ सकते है। krishi kanoon kya hai.
Krishi Bill kya hai in Hindi?
भारत सरकार ने किसानो से वादा किया था की उनकी आय 2022 तक दोगुनी हो जाएगी। जैसा की चुनाव से पहले मोदी सरकार ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था। इसके लिए केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में व्यापक सुधार की पहल की है। इसी क्रम में संसद से तीन नए कानून पारित हुए हैं। जिसे Krishi Vidheyak Bill 2020 या Krishi Bill 2020 कहा गया है। लेकिन किसानों का एक वर्ग (आढ़ती अर्थात किसान के रूप में व्यापारी) इनका विरोध भी कर रहा है।
Kiisan bill kya hai in hindi 2020 –
सरकार को न्यूज़ पेपर में इस तरह की खबरे हमेशा मिलती थी और मिलती है की – ” बिचौलियों का गिरोह सक्रिय हो गया है। वे किसानों से एक हजार रुपये से लेकर 1100 रुपये प्रति क्विटल धान की खरीद कर स्टाक करने में लगे हुए हैं। बाद में स्टाक में रखे गए धान को बिचौलिए सरकारी पदाधिकारियों की मिली भगत से उंची कीमत पर बेचकर मुनाफा कमाएंगे।”
लेकिन सरकार चाहती है (krishi kanoon bill 2020 kya hai) की किसान अब बिज़नेसमैन की तरह काम करे। अर्थात उत्पादन करके सीधे बाजार में फसल बेंचे। इससे टैक्स आदि का फायदा तो होगा ही साथ ही साथ MSP से ज्यादा रेट भी मिल जाएगी।
इसके लिए आपको किसानो की कुछ समस्याएं समझनी होगी। ये सच्चाई किसान या किसान के बेटे ही समझ सकते है।
- एक किसान जिसने मेहनत करके फसल की उगाई की और तैयार होने के बाद अब उसे बेंचना है ताकि वो अपना कर्ज़ा चूका सके। अब आप कहेगे कौन सा कर्जा ?
मान लीजिये - में किसान हु तो पहले हो अपने खेत में पानी दूंगा ताकि फालतू के खरपतवार या घास या कूड़ा हटा सकू। पैसे नहीं होंगे तो ट्यूबवेल या नहर के पानी का कर्ज़ा हो जायेगा जिसे आमपासी कहते है।
- जमीन की सफाई करने के बाद अगर नमी है तो ठीक है नहीं तो फिर से पानी देना होगा और थोड़ी बहुत जैविक खाद डालनी होगी। इसके लिए भी कर्ज़ा लेना होगा।
- खेत साफ़ होने के बाद इसमें बुवाई करनी होगी, इसकी लिए भाड़े पर ट्रैक्टर चाहिए। ट्रैक्टर है तो डीजल चाहिए। इसके लिए भी कर्ज़ा लेना होगा।
- फसल वोने के लिए कोई भी बीज नहीं चलता, सहकारी केंद्र से स्पेशल खरीदना होता है। इसके लिए भी कर्ज़ा लेना होगा।
खेत की वुवाई होने के बाद देखभाल करनी होती है, जिसमे पैसा नहीं, कमरतोड़ मेहनत लगती है। - जब फसल के थोड़ी बड़ी होती है तो फसल के अनुसार उसमे पानी / खाद देना होता है। जो एक से तीन बार तक होता है। अर्थात जितने बार पानी, उतनी बार कर्ज़ा और मेहनत। कभी कभी रात में जागकर पानी देना होता है। सारी सारी रात सुनसान खेत पर पानी की कलकल और जानवरो की आवाज़ में निकलती है। सर्दी गर्मी अलग से।
इतना करने के बाद, समयुनसार फसल तैयार होती है काटने के लिए। - फिर घऱ में आदमी औरत कम और कटाई ज्यादा है तो मजदूर देखने पड़ते है। नहीं तो खुद ही काट लेते है। इसमें मेहनत और कर्ज़ा दोनों हो सकते है।
- फिर थ्रेसर से फसल को काटने का खर्चा वो भी एक कर्ज़ा होता है। ज्यादातर किसान फसल का कुछ हिस्सा दे देते है।
इतना करने के बाद हाथ में आती है मेहनत की फसल, कमाई नहीं।
- अब मेहनत की फसल को मेहनत की कमाई में बदलने का वक़्त आ गया, आँखों में कुछ सपने और योजनाए होती है की पहले कर्ज़ा चूकयूंगा, फिर ये खरीदूंगा फिर वो आदि आदि।
- लेकिन अभी तो फसल को मंडी में बेचने जाना है। जिसके लिए ट्रैक्टर चाहिए होगा। फिर भाड़े पर ट्रैक्टर देखते है। और फसल को जैसे तैसे लाद कर मंडी ले जाते है।
- मंडी सुबह 9-10 बजे खुलती है। जाते ही नंबर लगाने की हड़वड़ी रहती है। अगर किस्मत से नंबर लग गया तब तो ठीक, फिर ये फसल MSP पर बिक जाएगी। लेकिन अगर शाम तक नंबर नहीं आया। या साहब नहीं आये, या कुछ भी सरकारी चक्कर हुआ तो क्या होगा? सोचिये अगर आप ट्रेक्टर में फसल लाद कर ट्रॉली को भरकर मंडी ले गए और फसल बिकी नहीं तो क्या करेंगे?
यहाँ सिर्फ दो ऑप्शन सामने निकलकर आते है। - पहला अपनी भरी हुयी ट्राली को जो भी दाम मिल रहा है उसी दाम पर मंडी में बैठे व्यापारियों को बेंच दो। जिससे ट्रेक्टर का भाड़ा और अगले दिन की मेहनत बचेगी। लेकिन कभी कभी इन व्यापारियों या आढ़तियों की मंडी के बाबुओं से सांठ गांठ होती है, ये लोग फसल खरीदने में आनाकानी करते है। फसल ख़राब बतायेगे। कागज कम बतायेगे, या टेस्ट रिपोर्ट मांगेगे आदि आदि बहाने होते है। ताकि किसान अपनी फसल इन मंडी के व्यापारियों को कम दाम (Below MSP) में बेंच दे।
- दूसरा वो ट्रैक्टर वापस ले जाए या मंडी में ही सो जाये अगले दिन का इन्तजार करे। और ट्रैक्टर का भाड़ा फिर से दे।
तो यहाँ तक तो थी समस्या। अब समाधान Krishi Bill 2020 in Hindi / kisan bill 2020 kya hai in hindi की बात करेंगे। जो की केंद्र सरकार द्वारा तीन कानून में बदलाव करके दिया है।
कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन व सरलीकरण) कानून-2020
कृषि सुधार बिल 2020 में सुधार –
किसानों और व्यापारियों को राज्यों में स्थित कृषि उत्पाद बाजार समिति से बाहर भी उत्पादों की खरीद-बिक्री की छूट प्रदान की गई है। इसका उद्देश्य व्यापार व परिवहन लागत को कम करके किसानों के उत्पाद को अधिक मूल्य दिलवाना तथा ई-ट्रेडिंग के लिए सुविधाजनक तंत्र विकसित करना है।
कृषि सुधार बिल 2020 में मनगंढत दावे या आशंकाएं :
किसान अगर सरकारी मंडियों के बाहर उत्पाद बेचेंगे तो राज्यों को राजस्व का नुकसान होगा। कमीशन एजेंट बेरोजगार हो जाएंगे। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) आधारित खरीद प्रणाली खत्म हो जाएगी। फसलों की सरकारी खरीद के साथ-साथ ई-ट्रेडिंग बंद हो जाएगी।
इन आशंकाओं में किसानो को फायदा है नुकसान नहीं। इन राज्य और व्यापारियों जो धरना दे रहे है और जो भी आशंकाए है उनका भी सबूत नहीं है। जोर जोर से झूट झूट चिल्लाने से क्या वह सत्य में परिवर्तित हो जाता है? नहीं न
कृषि सुधार अध्यादेश की हक़ीक़त –
केंद्र सरकार तीनों कानूनों को संसद में पेश करते ही स्पष्ट कर चुकी है कि न तो मंडियां बंद होंगी, न ही एमएसपी प्रणाली खत्म होने जा रही है। इस कानून के जरिये पुरानी व्यवस्था के साथ-साथ किसानों को नए विकल्प उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यह उनके लिए फायदेमंद है। और तो और इस साल 2020 में सरकार ने सबसे ज्यादा फसल MSP के द्वारा खरीदी है।
कृषि अध्यादेश 2020 से फायदे –
किसानों के पास फसल की बिक्री के लिए ज्यादा विकल्प उपलब्ध होंगे। बिचौलियों का रास्ता बंद हो जाएगा। प्रतिस्पर्धी डिजिटल व्यापार को बढ़ावा मिलेगा और किसानों को उत्पादों की बेहतर कीमत मिल पाएगी।
आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून-2020
कृषि कानून का नया प्रावधान in kisan bill 2020 –
अनाज, दलहन, तिलहन, प्याज व आलू आदि को आवश्यक वस्तु की सूची से हटाना। युद्ध, महामारी जैसी अपवाद स्थितियों को छोड़कर इन उत्पादों के संग्रह की सीमा तय नहीं की जाएगी।
कृषि कानून 2020 झूठी आशंकाएं –
असामान्य परिस्थितियों के लिए तय की गई कीमत की सीमा इतनी अधिक होगी कि उसे हासिल करना आम आदमी के वश में नहीं होगा। बड़ी कंपनियां आवश्यक वस्तुओं का भंडारण करेंगी। यानी कंपनियां किसानों पर शर्तें थोपेंगी, जिससे उत्पादकों को कम कीमत मिलेगी।
कृषि कानून की सच्चाई –
कोल्ड स्टोर व खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में निवेश बढ़ेगा, क्योंकि वे अपनी क्षमता के अनुरूप उत्पादों का भंडारण कर सकेंगे। इससे किसानों की फसल बर्बाद नहीं होगी। फसलों को लेकर किसानों की अनिश्चितता खत्म हो जाएगी। व्यापारी आलू व प्याज जैसी फसलों की भी ज्यादा खरीद करके उनका कोल्ड स्टोर में भंडारण कर सकेंगे। इससे फसलों की खरीद के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और किसानों को उनके उत्पादों की उचित कीमत मिल पाएगी।
किसान को जहाँ ज्यादा फायदा होगा वहाँ अपनी फसल बेचेगा। पहले किसान व्यापारी के पास जाता था अब व्यापारी किसान के पास जायेगे। किसान चाहे तो किसी कंपनी से डील करके उसे डायरेक्ट फसल दे सकता है जिसके लिए उसे एडवांस भी मिलेगा। फसल ख़राब होने की स्थिति में नुक्सान भी आधा आधा, (जैसा एग्रीमेंट बनवाये).
और रही बात दाम का कम होना और बढ़ना वो सरकार के हाथ में है, व्यापारी के हाथ में नहीं। इससे वस्तुओं को भंडार अच्छे से होने लगेगा। अगर वस्तु की कीमत या मांग घट जाती है तो विदेशो में बेंचा जा सकेगा, और कीमत या मांग बढ़ने की स्थिति सरकार पहले की तरह विदेशो से खरीद कर व्यापारी को देगी। कीमत पर कण्ट्रोल करेगी लेकिन उसके लिए भंडार भी तो होने चाहिए।
नए कृषि कानून 2020 से किसानो को लाभ:
कृषि क्षेत्र में निजी व प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा। कोल्ड स्टोर व खद्यान्न आपूर्ति शृंखला के आधुनिकीकरण में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। किसानों की फसल बर्बाद नहीं होगी, जैसे की पहले वो कीमत कम होने पर रोड पर फेकते थे या मंडी से उठाते ही नहीं थे, की उन्हें समुचित कीमत मिलेगी। जब सब्जियों की कीमत दोगुनी हो जाएगी या खराब न होने वाले अनाज का मूल्य 50 फीसद बढ़ जाएगा तो सरकार भंडारण की सीमा तय कर देगी। इस प्रकार किसान व खरीदार दोनोेंं को फायदा होगा।
जैसे की प्याज की MSP Rs.30 है लेकिन आज के कानून में इसका दाम कभी-कभी 200 से 300 प्रतिशत बढ़ जाता है। क्युकी इसके भण्डार की व्यवस्था नहीं है। और भंडार भी क्यों करे क्युकी इसके दाम सरकार से ज्यादा व्यापारी अपने फायदे के लिए ऊपर नीचे करते है।
कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून –
Krishi Bill 2020 में नया प्रावधान या समाधान –
किसानों को कृषि कारोबार करने वाली कंपनियों, प्रसंस्करण इकाइयों, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों व संगठित खुदरा विक्रेताओं से सीधे जोड़ना। कृषि उत्पादों का पूर् में ही दाम तय करके कारोबारियों के साथ करार की सुविधा प्रदान करना। पांच हेक्टेयर से कम भूमि वाले सीमांत व छोटे किसानों को समूह व अनुबंधित कृषि का लाभ देना। देश के 86 फीसद किसानों के पास पांच हेक्टेयर से कम जमीन है।
Krishi Bill 2020 झूठी आशंकाएं या दावे –
अनुबंधित या ठेके पर कृषि समझौते में किसानों का पक्ष कमजोर होगा। वे मोलभाव नहीं कर पाएंगे। प्रायोजक शायद छोटे व सीमांत किसानों की बड़ी संख्या को देखते हुए उनसे परहेज करें। बड़ी कंपनियां, निर्यातक, थोक विक्रेता व प्रसंस्करण इकाइयां किसी भी प्रकार के विवाद का लाभ उठाना चाहेंगी। कृषि क्षेत्र भी पूंजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा।
Krishi Bill 2020 का सच –
सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि इस कानून का लाभ देश के 86 फीसद किसानों को मिलेगा। किसान जब चाहें अनुबंध / ठेका / एग्रीमेंट तोड़ सकते हैं, लेकिन कंपनियां अनुबंध तोड़ती हैं तो उन्हें जुर्माना अदा करना होगा। तय समय सीमा में विवादों का निपटारा होगा। खेत और फसल दोनों का मालिक हर स्थिति में किसान ही रहेगा।
Krishi Bill 2020 से लाभ –
कृषि क्षेत्र में शोध व विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा मिलेगा। जैसे की आर्गेनिक खेती, या विदेशी फसलों पर रिसर्च। गांव के लड़के शहर में नौकरी ढूढ़ने की बजाय फसलों पर रिसर्च और तैयार करेंगे और बड़ी बड़ी कंपनियों को बेंचेगे। ये वे खुद ऑनलाइन बेंच सकते है।
अनुबंधित किसानों को सभी प्रकार के आधुनिक कृषि उपकरण मिल पाएंगे। उत्पाद बेचने के लिए मंडियों या व्यापारियों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। खेत में ही उपज की गुणवत्ता जांच, ग्रेडिंग, बैगिंग व परिवहन जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। किसान को नियमित और समय पर भुगतान मिल सकेगा।
पहले भी होती थी अनुबंध कृषि या ठेके पर खेती, लेकिन पहले अनुबंध कृषि का स्वरूप अलिखित था। तब निर्यात होने लायक आलू, गन्ना, कपास, चाय, कॉफी व फूलों के उत्पादन के लिए ही अनुबंध किया जाता था। कुछ राज्यों ने पहले के कृषि कानून के तहत अनुबंध कृषि के लिए भी कुछ नियम बनाए थे।
तो फिर ये आंदोलन किस लिए?
आपको ये तो समझ में आ गया की किसान को इससे कोई नुक्सान नहीं है। नुक्सान सिर्फ उन राज्यों को है जो खेती के राजस्व पर ही चलते है। और इसमें मंडी में बैठने वाले व्यापारी भी शामिल है क्युकी अब उन्हें किसान के पास जाना होगा। मंडी में भ्रस्टाचार कम होगा। किसान आत्महत्या के लिए मजबूर नहीं होंगे।
इस समय देश का प्राइवेट मीडिया भी लोगो को समझाने की बजाय वहां का लाइव प्रसारण दिखा रहा है। जिसका मतलब सपोर्ट कर रहा है। अगर बात गलत है तो उसका सपोर्ट नहीं होना चाहिए, क्युकी गलत बात कभी न्यूज़ नहीं हो सकती, बल्कि ये उस बात को बढ़ावा देना होता है।
किसानो की आय बढ़ाने के लिए सरकार और कर ही क्या सकती है, उन्हें सिर्फ आज़ादी के विकल्प दिए है। तो व्यापरियों की खीझ तो बढ़ेगी ही। आशा है आपको समझ आ गया होगा की krishi kanoon kya hai
यहाँ दी हुयी जानकारी काफी रिसर्च और ढूढ़ कर लिखी है। फिर भी कोई त्रुटि हो तो कृपया प्रूफ देकर उसे सही करवा सकते है। फिर भी आप इस जानकारी को भारत सरकार की वेबसाइट से जरूर मिलान कर ले। Krishi Bill 2020 Details by Download pdf from official website.
किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए इस लेख से सम्बंधित कोई भी गारंटी वारंटी या जिम्मेदारी नहीं लेता हु। आप पढ़े लिखे है कृपया खुद ऊपर दी हुए वेबसाइट से देखकर पता करे। हमें आपके कमेंट का इन्तजार रहेगा।
किसानो के हितो की रक्षा के लिए ही मोदी सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना और किसान रथ एप्लीकेशन की योजना भी शुरू की थी। कृषि से सम्बंधित अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारे स्पेशल सेक्शन जरूर देखे।
Comments