मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग दुसरे नंबर का ज्योर्तिलिंग है| कोटिरुद्र्संहिता में मल्लिकार्जुन का अर्थ (मल्लिका का मतलब पार्वती तथा अर्जुन का मतलब शिव) पार्वती-शिव बताया गया है| कहा जाता है कि इस ज्योर्तिलिंग के दर्शन करने वालों के सभी कष्ट दूर हो जाते है और उन्हें अश्वमेध यज्ञ का पूण्य मिलता है| इस ज्योर्तिलिंग की पूजा-अर्चना करने वाले लोगों को शिव के साथ-साथ माँ पार्वती का भी आशीर्वाद मिलता है|
Mallikarjun Jyotirling कहां पर है या कहाँ स्थित है
मल्लिकार्जुन ज्योर्तिलिंग आंध्रप्रदेश में कृष्णा नदी के किनारे श्रीशैलम पर्वत पर स्थिर है| यह दक्षिण दिशा में स्थित है इसलिए इसे दक्षिण का कैलाश भी कहते है|
Mallikarjun Jyotirling का Itihas –
मल्लिकार्जुन ज्योर्तिलिंग से जुड़ी एक पौराणिक कथा है – एक बार महादेव व पार्वती के पुत्र गणेश तथा कार्तिकेय एक दुसरे से लड़ रहे थे कि पहले विवाह किसका होना चाहिए| दोनों ही पहले अपना विवाह करना चाहते थे लेकिन जब इस बात का पता शिव-पार्वती को चला तो उन्होंने कहा – जो भी सबसे पहले पृथ्वी की सात बार परिक्रमा करके वापस आयेगा| उसका विवाह ही सबसे पहले होगा| माता-पिता की इस बात को सुनकर कार्तिकेय पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए निकल पड़े ,लेकिन गणेश ने अपनी बुध्दि का प्रयोग किया| उन्होंने सोचा की एक पुत्र के लिए तो उसकी सारी दुनिया उसके माता-पिता ही होते है इसलिए मुझे उनकी ही परिक्रमा करना चाहिए| गणेश शिव-पार्वती के पास गये और उन्हें एक साथ बैठकर उनकी परिक्रमा करने लगे| जब उनकी सात बार की परिक्रमा पूरी हो गई तो गणेश ने अपने माता-पिता को हाथ जोड़कर प्रणाम किया और कहा -मैंने कार्तिकेय से पहले अपनी परिक्रमा पूरी कर ली है और मै विजयी हो गया हूँ| इसलिए आप मेरा विवाह करा दीजिए| गणेश की बुध्दिमत्ता देखकर शिव-पार्वती बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने गणेश का विवाह रिध्दि-सिध्दि के साथ करा दिया| लेकिन जब इस बात का पता कार्तिकेय को चला तो वे बहुत क्रोधित हुए और क्रौंच पर्वत पर चले गये| कार्तिकेय को मनाने के लिए शिव-पार्वती ने नारदजी को भेजा लेकिन वे नहीं माने ,तो माता पार्वती ने वह पर स्वयं जाने का फैसला किया| कार्तिकेय को जब इस बात की सूचना मिली कि उनके माता-पिता आ रहे है ,तो वे क्रौंच पर्वत से ओर दूर चले गये| कार्तिकेय के वहा से चले जाने पर शिव भगवान ज्योर्तिलिंग के रूप में क्रौंच पर्वत पर ही माता पार्वती के साथ स्थापित हो गये| इसी कारण इस ज्योर्तिलिंग का नाम मल्लिकार्जुन ज्योर्तिलिंग पड़ गया| क्रौंच पर्वत को शैलम पर्वत भी कहते है| मल्लिकार्जुन ज्योर्तिलिंग से संबंधित ओर भी अन्य कथाएँ प्रचलित है|
Mallikarjun Jyotirling Temple का Mahatv –
- शिवरात्रि पर यहा बहुत बड़ा मेला लगता है|
- शिवरात्रि के दिन शिव-पार्वती के विवाह का उत्सव भी बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है|
- यह पर माता सती की ग्रीवा गिरी थी इसलिए इसे भ्रामराम्बा शक्तिपीठ भी कहाँ जाता है|
- यहाँ पर स्थित श्रीशैलम शक्तिपीठ बहुत ही पवित्र माना जाता है|
- यहाँ पर स्थित त्रिवेणी संगम पर स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है|
- इस ज्योर्तिलिंग के दर्शन करने वाले लोगों को अश्वमेधयज्ञ का पूण्य मिलता है|
जाने मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग जाने का रास्ता :
हैदराबाद से श्रीशैलम तक पहुँचने के लिए साधन (Know how to reach mallikarjuna jyotirlinga?)
अगर आप हवाई जहाज से जा रहे तो श्रीसैलम से 230 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैदराबाद का राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है। और हैदराबाद से 210 किमी दूर पर करनूल जिले के नल्ला-मल्ला नामक घने जंगलों के मध्य श्रीशैलम पर्वत पर श्री मल्लिकार्जुन ज्योर्तिलिंग स्थित है. हैदराबाद से श्री शैलम के लिए सरकारी एवं निजी बसें उपलब्ध है. आप चाहे तो हैदराबाद से प्राइवेट टैक्सी भी बुक कर सकते है, इसके लिए आप ओला / उबेर या नजदीकी किसी टूर एंड ट्रेवल्स के ऑफिस में संपर्क कर सकते है। नजदीकी रेलवे स्टेशन मर्कापुर रोड है।
Mallikarjun Jyotirling मंदिर समय सारणी :
मंदिर सुबह 4:30 से लेकर दोपहर 3:30 तक फिर शाम 4:30 से रात्रि 10 बजे तक खुला रहता है।
आरती समय : सुबह 6 बजे और शाम को 5:30 बजे
दर्शन समय : सुबह 6:30 बजे से दोपहर 3:30 तक और शाम 6 बजे रात्रि 10 बजे तक
भगवान शिव की कितनी ज्योतिर्लिंग है? –
- Shree Bhimashankar Jyotirlinga, in Maharashtra
- Shree Mahakaleshwar Jyotirlinga, in Ujjain, Madhya Pradesh
- Shree Kedarnath Jyotirlinga, in Rudraprayag, Uttarakhand
- Shree Mallikarjuna Jyotirlinga, Srisailam, Andhra Pradesh
- Shree Somnath Jyotirlinga, Gir, Gujarat
- Omkareshwar Jyotirlinga in Khanda, Madhya Pradesh
- Baidyanath Jyotirlinga in Deoghar, Jharkhand
- Ramanathaswamy Jyotirlinga in Rameshwaram, Tamil Nadu
- Nageshwar Jyotirlinga in Dwarka, Gujarat
- Kashi Vishwanath Jyotirlinga in Varanasi, Uttar Pradesh
- Trimbakeshwar Jyotirlinga in Nasik, Maharashtra
- Ghrishneshwar Jyotirlinga in Aurangabad, Maharashtra
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