सोशल मीडिया के दुरुपयोग का मतलब है, वे गलत तरीके से सोशल मीडिया का उपयोग करना जो अन्य लोगों को नुकसान पहुंचा सकता है। यह दुर्भावनापूर्ण हो सकता है या निर्दयी हो सकता है, और अक्सर लोगों की गोपनीयता और सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है।

सोशल मीडिया न केवल एक संचार माध्यम है, बल्कि एक सामाजिक विज्ञान भी है, जो लोगों को दुनिया में एक साथ जोड़ता है। इसका उपयोग अधिकतर लोग संवेदनशील, नाजुक या स्थानांतरित लोगों से संपर्क बनाए रखने के लिए करते हैं।

सोशल मीडिया अच्छा है या बुरा?

इसलिए, सोशल मीडिया अच्छा या बुरा होता है इस बात पर निर्भर करता है कि लोग इसे कैसे उपयोग करते हैं। अगर सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के साथ ज़िम्मेदारी से उपयोग किया जाए तो यह एक बहुत अच्छा संचार माध्यम हो सकता है, जो संवेदनशीलता, सामाजिक संबंधों, ज्ञान और विचारों को बढ़ावा देता है।

इसके साथ ही, सोशल मीडिया आज के समय में एक महत्वपूर्ण साधन है जो समाज को एक साथ जोड़ता है। इसके द्वारा लोग दूरस्थ संबंधों को बनाए रख सकते हैं, साथ ही राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर विचार-विमर्श कर सकते हैं। इसके अलावा, सोशल मीडिया अभिवृद्धि के अधिकांश क्षेत्रों में लोगों के लिए नौकरी और व्यवसाय के अवसर उपलब्ध करवाता है।

सोशल मीडिया के दुरुपयोग क्या हैं?

सोशल मीडिया के दुरुपयोग कुछ निम्नलिखित हो सकते हैं:

  • खुले बोलने वालों के नियंत्रण के अभाव से साइबर बुलिंग या ऑनलाइन हिंसा का शिकार होना।
  • व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग, जैसे आईडी चोरी या आपत्तिजनक उपयोग।
  • सोशल मीडिया पर खुली टिप्पणियों और संदेशों का बदला लेना या इनका दुरुपयोग करना।
  • दुर्भावनापूर्ण टिप्पणियों करना या इनका समर्थन करना।
  • धोखाधड़ी या फ़रेबी खबरों या झूठी खबरों को साझा करना।
  • आपत्तिजनक वीडियो या फ़ोटोग्राफ शेयर करना।
  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों का उपयोग अनैतिक या गैरकानूनी कार्यों के लिए, जैसे विपणन फ़्रॉड, संगठित अपराध और आतंकवाद आदि।
  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बुलिंग एक आम समस्या है, जो अन्य लोगों को उनकी मानसिक तबाही और सामाजिक अलगाव के साथ छोड़ सकती है।
  • आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जाता है जो विशेष रूप से युवाओं को प्रभावित करता है।
  • सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को अक्सर उनके लाइफस्टाइल, उपलब्धियों और सामाजिक दृष्टिकोण के आधार पर आश्चर्य जनक होने के लिए प्रेरित करता है।

सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव क्या है?

सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव निम्नलिखित हो सकते हैं:

समय की बर्बादी –

सोशल मीडिया एक बहुत बड़ा समय चोर हो सकता है। लोग अपना समय सोशल मीडिया पर बिताने के बाद अक्सर अपने कामों को नजरअंदाज करते हैं।

स्वास्थ्य समस्याएं –

सोशल मीडिया ने लोगों को बैठे रहने और उन्हें फिजिकल एक्टिविटी से दूर ले जाने का दुष्प्रभाव डाला है। इससे अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे नींद की कमी और नकारात्मक भावनाओं का सामना करना।

व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग –

सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत जानकारी को अनधिकृत तरीके से उपयोग किया जा सकता है, जो लोगों को अपनी गोपनीयता की चिंता करने पर मजबूर करता है।

सामाजिक तनाव –

सोशल मीडिया पर लोगों को जल्दी और आसानी से संचार करने की अनुमति मिलती है, लेकिन यह सामाजिक तनाव और चिंता का कारण बन सकता है। इससे लोग अक्सर आत्महत्या, बदला लेने जैसे कृत्य भी कर डालते है।

सोशल मीडिया समाज के लिए हानिकारक? –

सोशल मीडिया समाज के लिए हानिकारक हो सकते हैं, लेकिन इसका विश्वास भी नहीं किया जा सकता है। इसका उपयोग करने के तरीके और इसका प्रभाव सामाजिक संदर्भों पर भी निर्भर करता है।

सोशल मीडिया का अधिक उपयोग व्यक्तियों को असामाजिक बना सकता है, जो उनकी व्यक्तिगत जिंदगी, परिवार और समाज से दूर कर सकता है। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर नकारात्मक विचारों और नफरत भावनाओं का प्रचार हो सकता है, जो सामाजिक संबंधों पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।

क्या? सोशल मीडिया से देश को तोड़ा जा सकता है?

सोशल मीडिया पर भ्रष्टाचार और अस्पष्ट अभिप्रायों का प्रचार हो सकता है जो समाज को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह सोशल मीडिया के अनुचित उपयोग के कारण हो सकता है, लेकिन सोशल मीडिया की वजह से देश टूटने का कोई संभवना नहीं है। फिर भी कुछ नेता सोशल मीडिया पर जनता को भड़काने के लिए इसका अनुचित उपयोग कर सकते हैं। वे अपनी राजनीतिक दल और अपने विरोधियों के खिलाफ भीड़ भड़काने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं।

इस तरह के प्रयोग से, वे लोगों को अपने विचारों के पक्ष में ले आते हैं, उन्हें अपनी दल का समर्थक बनाने की कोशिश करते हैं। इस प्रकार के भड़काऊ प्रयोग से, नेता जनता के मन में असंतोष और असंतुलन का माहौल बनाते हैं और उन्हें अपने विरोधियों के खिलाफ खड़ा करने के लिए प्रेरित करते हैं।

इसलिए, जनता को समझना चाहिए कि नेताओं का सोशल मीडिया पर इस तरह का अनुचित उपयोग करना उनकी राजनीतिक अभिव्यक्ति को बढ़ाने के बजाय, उन्हें उनके समाज के अंदर दो टुकड़ों में बाँटने का काम करता है। जनता को स्वयं सोचकर अपने विचारों और अभिप्रायों का निर्णय लेना चाहिए।

सोशल मीडिया के दुरुपयोग का उदाहरण –

किसान आंदोलन के समय कुछ ग्रुपों में जो महान नेताओ, धर्म और जाति के नाम से बनाये गए थे उनमे अचानक लाइव करके उस ग्रुप के लोगो को इकठ्ठा होने के लिए कह रहे थे। इन्होने चेहरे को ढका हुआ था और नारे लगा रहे थे, की अमुक नेता हमारी जाति का है, हमारे समाज का है, इत्यादि । इनमे कुछ लोग पढ़े लिखे, समझदार भी थे लेकिन ये लोग अपने नेता के नैतिक और अनैतिक कार्यो को बिना समझे, सरकार के खिलाफ हो चुके थे। सरकार से ज्यादा इन्हे ग्रुप एडमिन के आवाहन पर विश्वास था।

सरकार के खिलाफ अर्थात —

सरकार के खिलाफ का तात्पर्य सोशल मीडिया के ग्रुपों के माध्यम से कुछ सीधे साधे लोगो को उसी जाति और धर्म के नाम पर एकत्रित किया जाता है, जिस पर उन्हें भरोसा न करने को बोला जाता है। फिर इन्हे हर सरकारी संस्था के खिलाफ भड़काया जाता है। जैसे –

  • पुलिस पर विश्वास न करना
  • आर्मी पर विश्वास न करना
  • वकीलों पर विश्वास न करना
  • देश के व्यापारियों पर विश्वास न करना
  • डॉक्टरों पर विश्वास न करना
  • संसद पर विश्वास न करना
  • मीडिया पर विश्वास न करना
  • CBI पर विश्वास न करना
  • ED पर विश्वास न करना
  • इत्यादि प्रकार का अविश्वास पैदा करना

यहाँ तक कि फिर इन ग्रुपों के लोग देश के सविंधान, संसद, और न्यायपालिका पर ही शक करने लगते है। इन लोगो को इतना भड़काया जाता है की फिर ये हिन्दू धर्म छोड़कर अन्य धर्म तक अपना लेते है, धर्म बदलने से लोगो का जीवन बदला है कि नहीं ये तो नहीं पता। पर इतना अवश्य पता चला इनके आचरण पहले की तुलना में ज्यादा गड़बड़ प्रतीत होते है। धर्म बदलने के बाद भी इन ग्रुपों के लोग अपने पुराने धर्म की पुस्तक, मंदिर, साधु, पुजारी, ब्राह्मण, देवी देवताओ के चित्र इत्यादि का या तो मजाक बनाते है या उनको खंडित करने का प्रयास करते है।

अर्थात समझ में आया की धर्म बदलने से प्रवृति नहीं बदलती है। मेरा विचार है कि ऐसे लोगो को स्वयं को खोजने की आवश्यकता होगी, क्युकी इनकी सहायता इनकी आत्मा ही कर सकती है। आत्म-विश्वास ही किसी व्यक्ति को किसी भ्रमजाल से बचा सकता है।

तो बताइये, इन्हे आप क्या कहेगे? – देशभक्त, देश विरोधी, अंधभक्त या टुकड़े टुकड़े गैंग?

इस घटना का भविष्य पर असर –

इन्ही में से कोई एक इस घटना पर किताब लिखेगा जिसमे बिल्कुल सत्य घटना या सरकार का जनता पर अत्याचार के रूप में दिखाया जायेगा। चूँकि आज लोग इस किताब को नहीं पढ़ेंगे क्युकी ज्यादातर सत्य जानते है, उस लेखक का नाम भी नहीं ज्यादा प्रचारित किया जायेगा लेकिन आज से 30-40 साल बाद वही किताब देश के छात्रों को इतिहास के रूप में पढ़ाई जाएगी, तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।

ये इस बात को सिद्द करेगा की सोशल मीडिया किसी देश की जनता को तोड़ने के लिए क्या नहीं कर सकता है। इसलिए पढ़े लिखे लोगो को ऐसे सोशल मीडिया ग्रूप से सावधान रहना चाहिए जो राजनीति, जाति, धर्म, स्वार्थ, इत्यादि से सम्बंधित पोस्ट करते है। ये आपको क्षणिक सुख देते है लेकिन भविष्य में गुलामी, भ्रस्टाचार, गरीबी का कारण बनते है।

 


इसे आप सोशल मीडिया पर निबंध के रूप में ले सकते है और खुद अपने ज्ञान से समझे सोशल मीडिया के उपयोग, सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव, सोशल मीडिया का युवा पर प्रभाव, सोशल मीडिया के नुकसान, सोशल मीडिया के प्रभाव और सोशल मीडिया के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव।

नोट – यहाँ महान नेताओ, धर्म और जाति नाम के इस्तेमाल करके बने सभी सोशल मीडिया GROUPS ऐसा कार्य नहीं करते, हम उनका सम्मान करते है, लेकिन हंसो के बीच में बगुलों की तरह कुछ ग्रुप ऐसा जरूर करते है, इसलिए 15 दिन ऐसे ग्रुप ज्वाइन करके चुपचाप इनकी पोस्ट पढ़े और खुद समझे। उसके बाद अपने आप को ग्रुप से हटाना न भूले, क्युकी रस्सी की रगड़ पत्थर को भी काट सकती है।

Disclaimer – सोशल मीडिया के दुरुपयोगका उदाहरण लेखक के स्वयं के अनुभव से उपजे विचार मात्र है, अगर आपने ऐसे किसी ग्रुप को ज्वाइन कर रखा है और जहाँ राजनीति, जाति, धर्म, मूल निवासी इत्यादि विचार भी पोस्ट होते है तो सिर्फ ज्ञानदृष्टि से इस उदाहरण को वास्तविक रूप में समझ सकते है। हालाँकि ये ग्रुप, ज्ञान के खिलाफ ही भड़काते है, इसलिए कृपया अन्यथा न ले।

 

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