The Ministry of Consumer Affairs (MCA) ने राइट टू रिपेयर फ्रेमवर्क के साथ आने के लिए एक समिति का गठन किया है। यह ढांचा देश के लोगो के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उपभोक्ताओं को नए Products को पूरी तरह से खरीदने के बजाय कम से कम लागत पर अपने Products की मरम्मत करने का मौका देगा। इस ढांचे के शुरुआती चरण में फोकस के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र कृषि उपकरण, स्मार्टफोन फोन और टैबलेट, टिकाऊ Electronics or other वस्तुएं, ऑटोमोबाइल और ऑटोमोबाइल उपकरण इत्यादि हैं।
इस ढांचे के तहत, manufacturer के लिए अपने Product details को ग्राहकों के साथ साझा करना अनिवार्य होगा ताकि वे main manufacturer पर निर्भर रहने के बजाय या तो स्वयं या तीसरे पक्ष द्वारा उसकी Repair करा सकें। इस ढांचे का उद्देश्य original equipment manufacturers (OEMs), third party के खरीदारों और विक्रेताओं के बीच व्यापार को सुसंगत बनाने में मदद करना है। इससे Repair के क्षेत्र में नई नौकरियां और Repair के धंधे पैदा होंगे ।
यह electronics Component कचरे के विशाल पहाड़ को कम करने में मदद करेगा जो हर साल इस महाद्वीप पर इकठ्ठा हो जाता है और छोटी मरम्मत की दुकानों के लिए business को बढ़ावा देता है, जो local अर्थव्यवस्थाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
यह उपभोक्ताओं के पैसे बचाएगा और उपकरणों के जीवन काल, रखरखाव, पुन: उपयोग, Maintaince, reuse और Waste Management में सुधार करके Circular अर्थव्यवस्था के उद्देश्यों में Contribute करेगा।
ब्रांडों में Customer Care Details की जानकारी –
भारत सरकार के इस पोर्टल की Brand लिस्ट में all major consumer product manufacturers या Brands की consumer care contact details को तुरंत देख सकते है।
वारंटी और रिपेयर की जानकारी मिलेगी –
इस Portal पर कंपनियों के नाम या Products के नाम को खोजने के लिए इस वेबसाइट का उपयोग करें। यहाँ अलग अलग ब्रांड के प्रोडक्ट्स और उनकी Product Service, Warrantee, नियम और शर्तें आदि से संबंधित सभी सार्वजनिक जानकारी इस righttorepairindia.gov.in पोर्टल पर एकत्रित की जाती है।
ब्रांडों के Servicing और Network से लिंक –
ब्रांडों के अपने और Third-Party Service Providers के Authorized सर्विस Network को देख सकते है साथ ही साथ आप वास्तविक पुर्जों और उस संबंधित ब्रांडों की उपभोग्य सामग्रियों की वारंटी और कीमतों को भी देख सकते है ।
Right to Repair के बारे में हमें क्या जानने की आवश्यकता है?
अभी तक आपने Right to Food, Right to health इत्यादि जैसी योजनाओं के नाम सुने होंगे लेकिन वास्तव में Right to Repair की जानकारी होना उससे भी ज्यादा आवश्यक प्रतीत होती है।
इसकी जरुरत क्यों पड़ी?
- ज्यादातर manufacturers पुराने प्रोडक्ट का सपोर्ट देना बंद कर देते है। वे कहते है पुराने वाला का तो पार्ट ही आना बंद हो गया है, इससे ग्राहक का वो प्रोडक्ट बेकार हो जाता है और उसे उसी या उसके जैसी अन्य कंपनी से उस product को दुबारा खरीदना पड़ता है। इससे वे कम्पनियाँ फिर से बिज़नेस कर लेती है।
- आम तौर ज्यादातर Manufactures अपने Parts और अपने Product के डिजाइन सहित स्पेयर पार्ट्स पर मालिकाना नियंत्रण बनाए रखते हैं, इस तरह का एकाधिकार ग्राहक के “चुनने के अधिकार” का उल्लंघन करता है।
- कई Product के वारंटी कार्ड में ऐसा लिखा होता है कि उन्हें Manufactures द्वारा मान्यता प्राप्त Service Center से ही Repair करवाने पर Warrantee Continue रहेगी।
- कंपनियां Product के Manual के देने से भी बचती हैं जो उपयोगकर्ताओं को आसानी से Repair करने में मदद कर सकती हैं।
- कंपनियां अपने ग्राहकों को Technical Service, Product का Manual, और सॉफ्टवेयर अपडेट के बारे में पूरी जानकारी प्रदान नहीं करते हैं।
- कुछ ब्रांड्स या कंपनियां ऐसा प्रोडक्ट बनाती है जो एक विशेष समय तक ही चलता है और उस विशेष अवधि के बाद उसे अनिवार्य रूप से बदलना पड़ता है। क्युकी वे उसका सपोर्ट या पार्ट्स कुछ भी देने से सीधा सीधा मना कर देते है।
- सीधे-सीधे कहे तो manufacturers या ब्रांड्स के ये गोरखधंधे बंद पड़ जाएंगे। क्युकी अब ज्यादातर ब्रांडों को Product बेचने के साथ ही उसी कस्टमर को Product खराब होने पर उसकी मरम्मत के उपाय भी बताने पड़ेंगे और साथ ही साथ उसके पार्ट भी उपलब्ध करवाने पड़ेंगे। यही होगा कस्टमर का ‘राइट टू रिपेयर’ .
- ज्यादातर ब्रांडो का रिपेयर में अपना ही धंधा होता है अर्थात ये अपने पार्ट्स लोकल बाजार में न तो बेंचते है और न ही किसी को इसकी रिपेयरिंग सिखाते है इसलिए कस्टमर को मजबूरी में ज्यादा से ज्यादा पैसा इन्हे रिपेरिंग में देना पड़ जाता है।
- यह आईडिया मुख्य रूप से USA / अमेरिका में लागू किया गया ताकि वाहन रखने वालो को अपने ब्रांड के पार्ट्स और रिपेरिंग लोकल मार्किट में मिल सके।
कुछ अन्य फायदे –
- आप Main Manufacturer पर निर्भर रहने की बजाय या तो स्वयं या Repair करने वाले से रिपेयर करवा सकते है।
- कस्टमर उस प्रोडक्ट को बिना कूरियर से भेजे या बिना सर्विस सेंटर पर भेजे लोकल के लोगो से रिपेयर करवा सकता है।
- Manufacturer को Product के parts की जानकारी और रिपेयर के तरीके को बताना होगा ताकि कोई भी Repair करने वाला ये काम कर सके, अगर किसी को रिपेयरिंग आती है तो वह ये काम स्वयं कर सके।
- इससे रिपेरिंग के क्षेत्र में Business बढ़ेगा। रोजगार बढ़ेगा।
- इससे e-Waste में कमी आएगी और Motherboard या Electronics Component का Reuse हो सकेगा। क्युकी ज्यादातर लोकल रिपेयरिंग वाले लोग पुराने बोर्ड से कॉम्पोनेन्ट निकालकर भी काम चला लेते है।
- Right to Repair को अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ सहित दुनिया भर के कई देशों में मान्यता दी गई है। वहां Parts के Sale Purchase का एक अलग Business बन गया है।
Source : https://righttorepairindia.gov.in/
Note: Request you to visit the source website or Right to Repair India Portal or Website to verify the information.
FAQs –
What is the right to repair in India?
The Right to Repair in India is a movement that seeks to ensure consumers’ rights to repair and maintain their electronic devices without being forced to rely on manufacturers or authorized repair centers. It aims to give individuals and independent repair shops access to the repair information, tools, and parts needed to repair electronic devices.
Is right to repair a legal right in India?
Currently, the Right to Repair is not recognized as a legal right in India. However, the movement is gaining momentum, and consumer advocacy groups and independent repair shops are advocating for legislation that would require manufacturers to provide repair information, tools, and parts to consumers and independent repair shops.
What is the right to repair IPR?
The Right to Repair IPR (Intellectual Property Rights) refers to the legal ownership and protection of the design, engineering, and software used in electronic devices. Manufacturers often use IPR laws to prevent third-party repairs or modifications of their products. However, the Right to Repair movement seeks to challenge this and provide consumers and independent repair shops with access to the information and parts needed to repair and maintain electronic devices.
भारत में मरम्मत का अधिकार क्या है?
भारत में मरम्मत का अधिकार एक आंदोलन है जो उपभोक्ताओं के अधिकारों को सुनिश्चित करता है जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मरम्मत और रखरखाव करना चाहते हैं। इस आंदोलन का उद्देश्य व्यक्तियों और स्वतंत्र मरम्मत दुकानों को मरम्मत जानकारी, उपकरण और समानों का पहुंच देना है जो उनके इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को ठीक करने के लिए आवश्यक होते हैं।
What is the purpose of right to repair?
The purpose of the Right to Repair is to provide consumers with greater control over their electronic devices and ensure that they have access to affordable repair options. It seeks to challenge the monopolistic practices of manufacturers who often limit access to repair information, tools, and parts, resulting in a dependence on the manufacturer or authorized repair centers. The movement also aims to reduce electronic waste and promote environmental sustainability by encouraging the repair and reuse of electronic devices.