संस्कृत कवि – संस्कृत हमारी सबसे प्राचीन भाषा होने के साथ-साथ देवभाषा (देवताओं द्वारा बोली जाने वाली भाषा) भी है| हिन्दूओं के जितने भी धार्मिक ग्रन्थ है वे पहले सभी संस्कृत भाषा में ही लिखे गये थे जैसे – चारों वेद, रामायण, महाभारत आदि| इसके अलावा संस्कृत सभी भाषाओं की जननी भी है| हम जितनी भाषाएँ बोलते है उन सभी की उत्पत्ति संस्कृत भाषा से ही हुई है| आज हम उन्ही में से कुछ प्रमुख संस्कृत कवि या संस्कृत के लेखक के बारे बताएँगे ताकि आप ज्ञान कमा या ज्ञान अर्जित कर सके।
संस्कृत साहित्य के कवि और उनकी रचनाएँ –
Famous sanskrit kavi – प्राचीनकाल में बहुत सारे sanskrit sahitya ke kavi हुआ करते थे, वे सभी अपनी कवितायेँ संस्कृत भाषा में ही लिखा करते थे| क्योंकि उस समय गुरुकुल में शिष्यों को संस्कृत भाषा ही पढाई जाती थी| इसलिए जितने भी ग्रन्थ ,साहित्य और कवितायेँ होती थी वे सभी संस्कृत में ही होती थी| हालाँकि भारत में आधुनिक संस्कृत कवि भी हुए है लेकिन हम यहाँ प्राचीन संस्कृत कवियो के बारे में जानते है।
लेकिन धीरे-धीरे यह भाषा विलुप्त होने लगी इसकी जगह अन्य भाषाओं ने ले ली| ऐसा लगता है कि अब यह भाषा कही इतिहास बनकर ही न रह जाए| क्योंकि आजकल के बच्चे इस भाषा को न तो पढ़ते है और न पढ़ना चाहते है|
लेकिन हमें अपनी संस्कृति को कभी भूलना नहीं चाहिए ,इसलिए आज हम आपको sanskrit ke kaviyon ka parichay कराने जा रहे है| जिन्होंने संस्कृत में अनेक ग्रन्थ व रचनाएँ लिखी|
तो चलिए जानते है उन कवियों के जीवन से संबंधित विशेष बातों को ,ताकि जब आपसे कोई sanskrit ke kavi ke naam पूछे तो आप बता सको|
Sanskrit ke kavi aur unki rachnayen –
वैसे तो sanskrit bhasha ke kavi बहुत सारे है लेकिन हम आपको 10 sanskrit ke mahan kavi ke naam संस्कृत के महापुरुष बताने जा रहे है| जिन्होंने संस्कृत भाषा में बहुत सारी रचनाएँ लिखी| यहाँ उन संस्कृत साहित्यकारों / संस्कृत के महापुरुषों के नाम इस प्रकार है, 10 sanskrit kavi names –
- देवर्षि रमानाथ शास्त्री : यह sanskrit ke prasidh kavi है| इनका जन्म सन 1878 राजस्थान के जयपुर में देवर्षि परिवार में हुआ था| रमानाथ शास्त्री के पिता का नाम द्वारकानाथ तथा माता का नाम जानकी देवी था| रमानाथ शास्त्री को संस्कृत भाषा में बहुत रूचि थी इसलिए वे बचपन से ही संस्कृत में कविता लिखने लगे थे| वे श्रीमद्भागवत के विद्वान तथा कथावाचक थे| वे sanskrit में दिल को छु जाने वाले श्लोक लिखते थे| इसके अलावा हिंदी व ब्रजभाषा में भी उनकी बहुत सी रचनाएँ है| उनकी मृत्यु सन 1943 में नाथद्वारा में हुई थी|
Devarshi Ramanath Shastri की प्रमुख रचनाएँ – स्तुतिपारिजातम ,दर्शनादर्श: ,छंदोंग्योपनिषद भाष्यं ,दु:खिनीबाला आदि|
- अश्वघोष – अश्वघोष बोद्धधर्म के कट्टर अनुयायी और संस्कृत भाषा के महाकवि थे| उनका जन्म अयोध्या के साकेत में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था| ब्राह्मण होते हुए भी उन्होंने बौद्ध धर्म की शिक्षा ली थी| उन्हें अनेक उपाधि जैसे – महाकवि ,महाराज ,महापंडित ,महावादी ,आर्यभदन्त आदि प्राप्त की थी| वे महाभारत, रामायण और वैदिक साहित्य के ज्ञाता थे|
अश्वघोष की प्रमुख रचनाएँ – शारिपुत्रप्रकरणम ,बुद्धचरितम ,सौन्दरानंदकाव्यम ,गंडीस्त्रोतगाथा आदि|
- जल्हण – इनका पूरा नाम जल्हणदेव राव था| यह संस्कृत भाषा के राजस्थानी कवि थे| इसके पिता नाम चंदबरदाई राव था और वे ब्रजभाषा के महाकवि थे| जल्हण ने वैसे तो बहुत से ग्रन्थ लिखे है लेकिन इनका ‘सोमपाल विलास’ ग्रंथ ऐतिहासिक महाकाव्य है|
जल्हण की प्रमुख रचनाएँ – सुक्तिमुक्तावली ,सोमपाल विलास ,मुग्धोपदेश ,सुभाषित मुक्तावली ,सप्तशती छाया आदि|
- बाणभट्ट – इनका जन्म सोन नदी के तट पर स्थित प्रीतिकूट ग्राम में हुआ था| इनके पिता का नाम चित्रभानु और माता का नाम राज्यदेवी था| बाणभट्ट एकमात्र ऐसे संस्कृत कवि है जिनके जीवन के बारे में पर्याप्त जानकारी मिलती है| वे सातवीं शताब्दी के प्रसिद्ध कवि थे| कहते है जब बाणभट्ट ‘कादम्बरी’ लिख रहे थे तभी उनका निधन हो गया था तो उनके पुत्र भूषणभट्ट ने ‘कादंबरी’ को पूर्ण किया|
बाणभट्ट की प्रमुख रचनाएँ – हर्षचरितम ,कादंबरी आदि|
- अप्पय दीक्षित – यह संस्कृत के काव्यशास्त्री और व्याख्याकार थे| इनका जन्म तमिलनाडु में हुआ था| दीक्षित ‘अव्दैतवादी’ थे लेकिन फिर भी उनका ‘शैवमत’ के प्रति विशेष लगाव था| वैसे तो इन्होने लगभग 400 ग्रंथों की रचना की है लेकिन कुवलयानन्द और चित्रमीमांसी ग्रन्थ सबसे प्रसिध्द है|
अप्पय दीक्षित की प्रमुख रचनाएँ – चित्रमीमांसी ,वृत्तिवार्तिकम , कुवलयानन्द ,लक्षणरत्नावली आदि|
- क्षेमेन्द्र – यह संस्कृत भाषा के कश्मीरी महाकवि थे| इनका जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था तथा इनके पिता का नाम प्रकाशेन्द्र था| इन्होने अनेक महाकाव्यों जैसे –रामायण ,महाभारत आदि का संक्षिप्त में वर्णन किया है| कहते है इनके जैसा संस्कृत का परिहास कथा लेखक कोई नहीं है|
Kshemendra की प्रमुख रचनाएँ – रामायणमंजरी, भारतमंजरी, ब्रह्त्कथामंजरी, समयमात्रिका, दशावतारचरित आदि|
- राजशेखर – यह संस्कृत भाषा के प्रसिद्ध कवि और नाटककार थे ,लेकिन नाटक से ज्यादा कविताओं में उन्हें रूचि थी| इनका जन्म महाराष्ट्र में हुआ था लेकिन जीवनकाल बंगाल में बीता| इनके पिता का नाम दुहिक और माता का नाम शिलावती था| वे राजा महेन्द्रपाल के मंत्री और उनके बेटे महिपाल के गुरु थे|
Rajasekhara की प्रमुख रचनाएँ – बाल रामायण , काव्यमीमांसी ,बाल भारत ,कर्पूरमंजरी आदि|
- गोस्वामी हरिकृष्ण शास्त्री – इनका जन्म सन 1904 में जयपुर के महापुरा में हुआ था| इनके पिता का नाम गोपीकृष्ण गोस्वामी और माता का नाम एनादेवी था| वे संस्कृत के कवि होने के साथ-साथ साहित्य ,न्याय शास्त्र और वेदांत दर्शन के ज्ञाता थे| इन्होने अपने ग्राम महापुरा में बच्चों को संस्कृत का ज्ञान देने के लिए ‘संस्कृत पाठशाला’ खोली| उन्होंने अपने जीवनकाल में संस्कृत में बहुत सारी रचनाएँ की और सन 1979 में उनका निधन हो गया|
Goswami Harikrishna Shastri की प्रमुख रचनाएँ – दिव्यलोक, कल्पलता, वंशप्रशस्ति आदि|
- कालिदास – कालिदास के जन्म के बारे में किसी को सही जानकारी नहीं है लेकिन कहते है कि कालिदास को उज्जैन से बहुत लगाव था इसलिए उनकी जन्मभूमि वही होगी| वे राजा विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नों में से एक थे| वे संस्कृत भाषा के महान कवि थे| उन्होंने अपने जीवनकाल में बहुत सारे महाकाव्य और खंडकाव्य की रचनाएँ की थी| कालिदास अपनी रचनाओं में मधुर और सरल भाषा ,अलंकार युक्त शब्द ,श्रंगार रस का उपयोग करते थे|
Kālidāsa की प्रमुख रचनाएँ – रघुवंशम ,कुमारसंभवम ,मेघदूत ,ऋतूसंहारम ,श्रुतबोधम ,सेतुकाव्यम ,श्यामा दण्डकम आदि|
- मंखक – इनका जन्म 1100 ईसवी के आसपास प्रवरपुर (कश्मीर में सिंधु व वितस्ता के संगम) नामक ग्राम में हुआ था| वे संस्कृत भाषा के महान कवि और ज्ञानी थे| उन्होंने अपने गुरु आचार्य रुय्यक से व्याकरण ,साहित्य ,ज्योतिष और अन्य ग्रंथों का ज्ञान प्राप्त किया था|
Kavi Mankhaka की प्रमुख संस्कृत में रचनाएँ –
- मंखकोश
- श्रीकंठचरित महाकाव्य
डिस्क्लेमर – हालाँकि ये sanskrit kaviyon ke naam जानकारी ओपनसोर्स पब्लिक डोमेन से प्राप्त जानकारी के अनुसार है, कृपया अपनी पुस्तकों से अवश्य मिलान करे।
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