पितृपक्ष क्या होता है? (Pitru Paksha kya hai) –
हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद उनका श्राद्ध (Pitrapaksh) जरुर करना चाहिए| क्योंकि उनका श्राद्ध करने से वे मोक्ष को प्राप्त करते है और उनका उध्दार होता है| श्राद्ध के दिनों को हम पितृपक्ष कहते है| पितृपक्ष के 15 दिन होते है| इन दिनों हर घर में अपने मृत माता-पिता व पूर्वजों का श्राद्ध उनके पुत्र या पौत्र द्वारा किया जाता है| जिस तिथि को व्यक्ति की मृत्यु होती है उसी तिथि के दिन पितृपक्ष में उनका श्राद्ध किया जाता है|
शास्त्रों में कहा गया है कि मनुष्य पर तीन प्रकार के ऋण होते है|
पहला – पितृ ऋण, दूसरा – देव ऋण, तीसरा – ऋषि ऋण
इन सब में से पितृ ऋण को सबसे बड़ा माना गया है| इस ऋण के अंतर्गत माता-पिता व पूर्वज सभी आते है अर्थात हमारे माता-पिता हमें जन्म देकर हमारा पालन-पोषण करते है| जिसका ऋण हम कभी नहीं चूका सकते है| लेकिन माता-पिता के मरने के बाद उनका पिंडदान करके व श्राद्ध करके हम उनके इस ऋण से मुक्त हो सकते है| इसलिए सभी व्यक्ति अपने मृत परिजन का श्राद्ध जरुर करते है ताकि वे पितृ ऋण से मुक्त हो सके|
कनागत क्यों कहते हैं (Kanagat Kya Hai?) –
अश्विन मास के कृष्ण पक्ष के समय सूर्य कन्या राशि में स्थित होता है और सूर्य के कन्यागत होने से ही इन 16 दिनों को कनागत कहा जाता है।
श्राद्ध क्या है? (Shradh kya hai?)
अपने पूर्वजों की आत्मा की मुक्ति के लिए श्रध्दापूर्वक जो उन्हें अर्पित किया जाता है वह श्राद्ध कहलाता है| अर्थात अपने मृतक परिजन के लिए श्रध्दा से किया गया पिंडदान और तर्पण ही श्राद्ध होता है|
पितृपक्ष के इन 15 दिनों तक लोग अपने पूर्वजों को जल देते है फिर उनकी मृत्युतिथि पर उनका श्राद्ध करते है| जिससे उनकी आत्मा को मुक्ति मिल सके और वे अपनी संतान की सदैव रक्षा करे|
Shradh Kab आते है?
श्राद्ध का पर्व प्रतिवर्ष आश्विन कृष्णपक्ष प्रतिपद से लेकर अमावस्या तक मनाया जाता है| इस प्रकार श्राद्ध 15 दिनों के होते है और इन 15 दिनों को पितृपक्ष कहते है|
Shradh की Pooja कैसे करे?
श्राद्ध कर्म विधि (Shradh Vidhi) –
चाहे पूजा किसी देवी-देवता की हो या फिर हमारे पूर्वजों की| अगर विधि-विधान व पूरे नियम धर्म से न की जाये तो उसका फल हमें प्राप्त नहीं होता है| इसलिए अपने मृतक परिजनों का श्राद्ध करते समय हमें निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए जैसे –
- जो श्राद्ध कर रहा है वो सबसे पहले प्रातःकल उठकर स्नान करे और अपने पूर्वजों को जल अर्पण करे|
- उसके बाद घर की महिलाएं स्नान करके अपने घर-आंगन को रंगोली से सजाए|
- पूर्वजों को भोग लगाने के लिए शुद्ध भोजन पकाए जैसे सब्जी ,खीर ,पुड़ी आदि|
- अगर हो सके तो खीर गाय के दूध की ही बनाना चाहिए|
- जो चीज मृतक परिजन को सबसे अधिक पसंद थी ,वह भोजन में जरुर बनाए|
- जिस स्थान पर श्राद्ध की पूजा होनी है उस स्थान को गाय के गोबर से लीप ले और आटा व हल्दी मिलाकर चौक बना दे|
- चौकी या पटा रखकर ,उस पर सफेद कपडा डाले|
- उसके बाद उस व्यक्ति की फोटो रखे जिसका श्राद्ध आप कर रहे है|
- पंडित को बुलाकर पूरे विधि-विधान से श्राद्ध की पूजा कराए|
- गाय ,कौआ व कुत्ते को भोजन निकालकर खिलाए|
- ब्राह्मण को भोजन कराकर श्रध्दा अनुसार दान-दक्षिणा दे|
- तुलसी का प्रयोग सर्वाधिक करें। तुलसी की सुगंध पितरों के लिए शांतिदायक होती है।
- पितृ पक्ष में भोजन करने वाले ब्राह्मण के लिए भी नियम है कि श्राद्ध का अन्न ग्रहण करने के बाद कुछ न खाएं।
- अगर आप चाहे तो अपने परिवार के लोगों या फिर रिश्तेदारों को भी श्राद्ध के दिन भोजन करा सकते है|
Shradh का Mahatva –
हिन्दू धर्म में श्राद्ध का बहुत ही महत्व माना गया है| कहा जाता है कि जो लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध व पिंडदान करते है उनके पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है| उनकी आत्मा को शांति मिलती है|
जो व्यक्ति श्राद्ध करता है वह अपने पूर्वजों या पितरों के आशीर्वाद से दीर्घायु ,पुत्र ,धन-संपति ,सुख आदि प्राप्त करता है| उसके पूर्वज उन्हें हर विपदा से बचते है और उसकी रक्षा करते है|
जो लोग अपने मृतक परिजनों का श्राद्ध नहीं करते है उनके पूर्वज इधर-उधर भटकते रहते है| उन्हें मुक्ति नहीं मिलती है| वे अपने परिवार को कष्ट देते है ,संतान प्राप्ति में बाधा उत्पन्न करते है ,घर की सुख-शांति भी नष्ट कर देते है|
श्राद्ध के दिनों में किन-किन बातों का ध्यान रखे? (Pitra Paksh ki Jankari -)
(What should be kept in mind during the days of Shraddha / Pitrapaksh / kanagat?)
- श्राद्ध के दिनों में पुरुष को दाढ़ी नहीं बनाना चाहिए|
- इन दिनों में मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए|
- अपने बालों व नाख़ून को नहीं काटना चाहिए|
- लहसुन-प्याज से परहेज करना चाहिए अर्थात बिना लहसुन-प्याज की सब्जी का सेवन करना चाहिए|
- जो श्राद्ध कर रहा है उसकी पत्नी को इन दिनों में सिर नहीं धोना चाहिए|
- श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को रोज सुबह उठाकर स्नान करके पूरे 15 दिनों तक अपने पूर्वजों को जल अर्पित करना चाहिए|
- नये वस्त्र ,नया वाहन या फिर नया घर कुछ भी नहीं खरीदना चाहिए क्योंकि इन दिनों में कोई भी शुभ कम नहीं किया जाता है|
संबंधित प्रश्न –
श्राद्ध में जल से तर्पण (jal tarpan) क्यों किया जाता है?
श्राद्ध में जल से तर्पण करने से पितरों की प्यास बुझती है अन्यथा पितृ प्यासे ही रहते है|
Shraddha 15 दिन Days के क्यों होते है?
पंचांग के अनुसार 15 तिथि होती है और किसी भी मनुष्य की मृत्यु इन 15 तिथियों के अन्दर ही होती है इसलिए श्राद्ध 15 दिन के ही होते है| ताकि मनुष्य जिस तिथि को भी मरे उसका श्राद्ध उस तिथि को मनाया जा सके|
Sharad Kaun Kar सकता है?
माता-पिता व पूर्वजों का श्राद्ध बड़ा या सबसे छोटा बेटा या नाती कर सकता है|
किस Samay Sharad न करे?
शाम और रात्रि के समय श्राद्ध नहीं करना चाहिए|
Sharad में कैसा Bhojan बनाए?
श्राद्ध में हमेशा शुध्द व शाकाहारी तथा बिना लहसुन-प्याज का भोजन बनाना चाहिए| अर्थात तामसिक भोजन से बचना चाहिए।
Sharad करते समय Kauwa को भोजन क्यों निकाला जाता है?
कौआ को पितरों का दूत माना जाता है इसलिए इसे भोजन निकाला जाता है| कहते है अगर कौआ ने आपके भोजन को ग्रहण कर लिया इसका मतलब पितरों ने ग्रहण कर लिया|
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