ऐसा कौन सा मंदिर है जो दिन में दो बार गायब हो जाता है? बिलकुल सही सुना आपने, वाकई एक मंदिर ऐसा भी है भारत में जो रोज़ समुंदर की लहरों में गायब हो जाता है और फिर दिखने लगता है. यह घटना प्रतिदिन सुबह और शाम को घटित होती है। यह मंदिर गुजरात के बड़ोदरा से 85 किलोमीटर दूर भरुच जिले की जम्बूसर तहसील में गाँव ‘कावी’ में स्थित है। भोले बाबा का यह रूप ‘स्तंभेश्वर महादेव’ (Shree Stambheshwar Mahadev) के रूप में जाना जाता है। वैसे यहाँ के स्थानीय भक्तों के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं पर सुदूर के पर्यटकों के लिए खासा रोमांचकारी अनुभव होता है।

समुद्र के इस किनारे पर दो बार ज्वार-भाटा आता है। ज्वार के समय समुद्र का पानी Shree Stambheshwar Mahadev मंदिर के अंदर आता है और शिवलिंग का अभिषेक दो बार कर वापस लौट जाता है। यहां समुद्र देवता स्वयं भगवान शंकर का जलाभिषेक करते हैं। लहरों के समय शिवलिंग पूरी तरह से जलमग्न हो जाता है और यह परंपरा सदियों से सतत चली आ रही है।

ऐसा समुद्री ज्वार-भाटे (Tidel) के कारण ऐसा होता है :

Shree Stambheshwar Mahadev मंदिर अरब सागर में खंभात की खाड़ी के किनारे स्थित है। समुद्र के बीच में स्थित होने की वजह से इसकी खूबसूरती देखने लायक है। समुद्र के बीच स्थित होने के कारण न केवल इस मंदिर का सौंदर्य बढ़ता है बल्कि एक अनोखी घटना भी देखने को मिलती है। ज्वार के समय समुद्र का पानी मंदिर के अंदर आता है और शिवलिंग का अभिषेक कर वापस लौट जाता है। इस मंदिर के दर्शन केवल कम ज्वार (लहरों) के समय ही किए जा सकते है। ऊंची ज्वार (लहरों) के समय यह मंदिर डूब जाता है। पानी में डूब जाने के कारण यह मंदिर दिखाई नहीं देता, इसलिए ही इसे गायब मंदिर कहा जाता है। ऊंची लहरें खत्म होने पर मंदिर के ऊपर से धीरे-धीरे पानी उतरता है और मंदिर दिखने लगता है।

ज्वार से कुछ मिनट पूर्व मंदिर परिसर को करा दिया जाता है खाली :

स्थानीय पुजारियों और श्रद्धालुओं के मुताबिक़ स्तंभेश्वर मंदिर / Shree Stambheshwar Mahadev में विराजमान भगवान नीलकंठेश्वर का जलाभिषेक करने के लिए स्वयं समुद्र देवता पधारते हैं। ज्वार के समय शिवलिंग पूरी तरह से जलमग्न हो जाता है। उस समय वहां किसी के भी प्रवेश की अनुमति नहीं है। यहां दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खासतौर से पर्चे बांटे जाते हैं, जिसमें ज्वार-भाटा आने का समय लिखा होता है, ताकि उस वक्त मंदिर में कोई प्रवेश न करे।

 

स्कन्द पुराण वर्णित है यह तीर्थ (Hindu Skanda Purana it is described Shrine):

इस मंदिर की खोज लगभग 150 सालों पहले हुई थी। स्कन्द पुराण में इस मंदिर के निर्माण के संबंध में विस्तार से चर्चा की गयी है।

स्कन्द पुराण के अनुसार ताड़कासुर ने अपनी कठोर तपस्या से भोले शिव को प्रसन्न कर लिया था। जब शिव उसके सामने प्रकट हुए तो उसने वरदान मांगा कि उसे कोई मार न सके, इस पर शिव ने कहा यह तो असंभव है। इस पर असुर ने वर मांगा की उसे सिर्फ शिव पुत्र ही मार सकता है और वह भी छह दिन की आयु का। शिव ने उसे यह वरदान सहर्ष दे दिया। वरदान मिलते ही ताड़कासुर ने तीनों लोकों में हाहाकार मचाना शुरू कर दिया। देवतागण और बाकी ऋषि-मुनि आतंक से त्रस्त होकर अंतत: महादेव की शरण में पहुंचे। शिव-शक्ति से श्वेत पर्वत के कुंड में उत्पन्न हुए भगवान कार्तिकेय के जन्म से ही 6 मस्तिष्क, चार आंख एवं बारह हाथ थे। और महज 6 दिन की अवस्था में कार्तिकेय ने ताड़कासुर का वध कर दिया।

वधोपरांत कार्तिकेय को ज्ञात हुआ कि ताड़कासुर उनके पिता भोलेनाथ का परम भक्त था। इससे उनका मन ग्लानि से भर उठा। तब विष्णु जी ने कार्तिकेय स्वामी से कहा कि आप वधस्थल पर शिवालय बनवायें, इससे ही आपका मन शांत हो सकेगा। कार्तिकेय स्वामी ने ऐसा ही किया। समस्त देवगणों ने एकत्र होकर महिसागर संगम तीर्थ पर ‘विश्वनंदक’ स्तंभ की स्थापना की। पश्चिम भाग में स्थापित स्तंभ में भगवान शंकर स्वयं आकर विराजमान हुए।

तब से ही इस तीर्थ को स्तंभेश्वर कहते हैं। यहाँ पर महिसागर नदी का सागर से संगम होता है, इस मंदिर की यात्रा के लिए पूरे एक दिन-रात का समय रखना चाहिए। ताकि यहां होने वाले चमत्कारी दृश्य को देखा जा सके।

सामान्यतः सुबह के समय ज्वार का प्रभाव कम रहता है, तो उस समय मंदिर के अंदर जाकर शिवलिंग के दर्शन किए जा सकते है। शाम से रात के समय में ज्वार का प्रभाव अधिक रहता है, जिसकी वजह से मंदिर को पानी में डूबते हुए देखा जा सकता है। स्तंभेश्वर महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि और हर अमावस्या पर मेला लगता है। प्रदोष, पूनम और ग्यारस को पूरी रात यहाँ चारों प्रहर पूजा-अर्चना होती है। दूर-दूर से श्रद्धालु दरिया द्वारा शिवशंभु के जलाभिषेक का अलौकिक दृश्य देखने यहाँ आते हैं।

How To Reach –

Travelling – महिसागर संगम तीर्थ स्तंभेश्वर महादेव Kavi Kamboi पहुंचने के लिये Vadodara से 53 किमी. बस, कार के द्वारा Jambusar होकर पहुंच सकते हैं । Jambusar से 30 किमी. दूरी पर यह स्थान है ।

प्रभु के इस चमत्कारी रूप के दर्शन से पहले आपको Stambheshwar Mahadev Temple की History, Timings, How To Reach इत्यादि के बारे में पता करने के लिए आपको www.stambheshwarmahadev.com वेबसाइट को अवश्य देखना चाहिए।

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FAQs-

गुजरात में समुद्र में कौन सा मंदिर है?

गुजरात में समुद्र में स्तंभेश्वर मंदिर है?

ऐसा कौन सा मंदिर है जो समुद्र के अंदर है?

गुजरात के भरूच में भगवान शिव का स्तंभेश्वर महादेव मंदिर है. यह मंदिर दिन में दो बार समुद्र में डूब जाता है.

ऐसा कौन सा मंदिर है जो दिन में दो बार गायब हो जाता है?

गुजरात के भरूच में स्थित बड़ा ही अनोखा स्तंभेश्वर मंदिर है. ये मंदिर सुबह और शाम में लगभग दो बार पलक झपकते गायब हो जाता है.

एक रात में कौन सा मंदिर बना था?

मध्य प्रदेश के भिंड शहर में भगवान् शिव का वनखंडेश्वर महादेव का मंदिर है, जो तांत्रिक विधि से बना है, मंदिर के दरवाजे पर द्वारपाल और उनके गण विराजमान है। कहते है, यह मंदिर भगवान् शिव के भूतगण और प्रेतगणो द्वारा बनाया गया था।

क्या कामाख्या मंदिर में पुरुष जा सकते हैं?

हाँ, लेकिन कुछ विशेष दिनों पर जाना निषेध है। बाकि दिनों में विवाहित स्त्री या विवाहित पुरुष ही जा सकते है।

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