भारत में कई तरह की बीमारियो का इलाज देशी नुस्खों और आयुर्वेदिक तरीको से किया जाता रहा है। देशी नुस्खों में भारतीय परम्परा के प्राचीन वैध प्रणाली एवं मुगलो के आक्रमण के बाद हक़ीम के नुस्खे भी देशी दवाईयों में शामिल हो गए। जिनसे तिल्ली पीलिया मिर्गी का अचूक इलाज किया जाता रहा है। तो वही भारतीय वैध आयुर्वेदिक औषधि या दवा के साथ साथ मंत्र का उपयोग उपचार के लिए करते रहे है।

हक़ीम भी तिल्ली पीलिया मिर्गी का कारगर इलाज देने की बात करते रहे है तो वही भारतीय वैध भी तिल्ली पीलिया मिर्गी का सफल इलाज व् स्थाई इलाज करने की बात करते रहे है।

आज उन्ही वैध और हक़ीम के तरीको को भी मिर्गी को ख़त्म करने में इस्तेमाल करके देख सकते है।

मिरगी रोग –

मिरगी के दौड़ा के लक्षण क्या है?

लक्षण :- चक्कर से गिरकर बेहोश हो जाना और मुँह से झाग आना, शरीर अकड़ना।

Mirgi दौड़ा के रोग का ilaaj कैसा करे ?

मिरगी दौड़ा का इलाज –

1. अकरकरा 100 ग्राम पुराना सिरका 100 ग्राम और शहद। पहले अकरकरा को सिरके में खूब घोटें बाद में शहद मिला दे। 5 ग्राम दवा प्रतिदिन प्रात:काल चटाये। मिरगी दौड़ा का रोग दूर होगा।
2. बच का चूर्ण एक ग्राम प्रीतिदिन शहद के साथ चटाये ऊपर से दूध पिलाये। बहुत पुरानी और घोर मिरगी का दौड़ा भी दूर हो जाता है।

पीलिया रोग –

ये तो ज्यादातर को पता ही होता है की पीलिया रोग कैसे होता है, इसलिए जैसे ही पीलिया के शुरुआती लक्षण आपको दिखाई देने लगे तो आप पीलिया के लक्षण के अनुसार और उसका बचाव भी देशी तरीको से कर सकते है।
लेकिन शुरूआती तौर पर ये पहचानना मुश्किल होता है की आपको सफेद पीलिया है या काला पीलिया। फिर भी आप इन दिए तरीको को आज़मा सकते है।

Piliya रोग के लक्षण क्या है ?

पीलिया रोग के लक्षण :-इसमें सारे शरीर का रंग पीला पड़ जाता है। तथा आँख और नाख़ून भी पिले पड़ जाते है।

Piliya रोग का ilaj कैसे करे ?

पीलिया रोग ka ilaj –

1. पांच तोला मूली के पत्ते का अर्क निचोड़कर एक तोला मिश्री मिला ले और बासी मुँह पिये। यह पीलिया के लिए रामबाण औषधि है। इससे एक हफ्ते के अन्दर पीलिया रोग दूर हो जाता है, किन्तु दो माह तक हल्दी और दूध नहीं खाना चाहिए।
2. जहां तक हो सके कच्चे पपीते की बिना मिर्च मसाले की सब्जी तथा पका हुआ पपीता खाये इससे पीलिया रोग में लाभ होगा।

तिल्ली रोग –

इस रोग में मनुष्य दिन दिन दुबला होता जाता है, उसका मुँह सुखा रहता है और पेट निकल आता है । मानव में तिल्ली पेट में स्थित रहता है। यह पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने का कार्य करता है तिल्ली बढ़ने का इलाज भी हकीमो और वैध द्वारा दिए गए है। तिल्ली बढ़ने का आयुर्वेदिक इलाज आज भी गांव में किया जाता है। बस आपको तिल्ली और लीवर के रोग मे परहेज रखना जरुरी होता है।

तिल्ली रोग Pleeha के लक्षण क्या है ?

लक्षण :- हाथ पैर सूख जाते है तथा पेट की उल्टी तरफ सूजन आ जाती है और कड़ा हो जाता है।

तिल्ली रोग का इलाज कैसे करे?

तिल्ली रोग का इलाज –

1. घीववार का पत्ता चीरकर उस पर 10 ग्राम नौशादर पीसकर लगाकर धूप में लटका दे। नीचे बर्तन रख दे। उसमे से जो रस निकलेगा उसे शीशी में भर ले। आधा – आधा चम्मच दिन में दो बार 2 चम्मच पानी में मिलाकर 20 दिन ले।
2. बथुए का साग बनाकर जिसमे मिर्च – मसाला न पड़ा हो, एक हफ्ते तक इस्तेमाल करने से तिल्ली के लिए लाभदायक है।
3. खाली पेट मूली पत्ती सहित तथा काला नमक खाना तिल्ली के लिए लाभदायक है।

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