समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का अर्थ किसी भी देश के सभी निवासियों के लिए समान कानून या नियम होता है। चाहे उनका धर्म, जातीय या समुदाय कोई भी हो। यह एक प्रस्तावित क़ानूनी ढांचा है जिसका उद्देश्य विभिन्न व्यक्तिगत कानूनी दिशानिर्देशों को समाप्त करके सभी के लिए समानता के साथ नियम लागु करना है जो वर्तमान में कई देशों में मौजूद हैं।

सही मायने में धर्म निरपेक्षता को अगर परिभाषित किया जाए, तो समानता का अधिकार के द्वारा ही किया जा सकता है। तुष्टिकरण को धर्म निरपेक्षता कदापि नहीं कहा जा सकता ।

विभिन्न देशो द्वारा समान नागरिक संहिता लागू करने का लक्ष्य सभी नागरिकों के बीच समानता, न्याय और सद्भाव सुनिश्चित करना है, चाहे उनका धार्मिक या सांस्कृतिक ऐतिहासिक अतीत कुछ भी हो। यह उन असमानताओं और विसंगतियों को दूर करने का प्रयास करता है जो विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने, जमीन का मालिकाना अधिकार, और संरक्षण सहित अस्तित्व के विभिन्न घटकों में होती हैं।

यह बात अब किसी से छुपी नहीं रही है कि कुछ विसंगतियों को नेताओ द्वारा अपने एक वर्ग को खुश करने के लिए भी पैदा की जाती रही है।

कुछ स्थानों में जहां आध्यात्मिक या समुदाय-विशेष के लिए निजी कानून मौजूद हैं, उसके लिए विशिष्ट धार्मिक या जातीय समूह निजी विषयों के लिए कुछ नियमों और नीतियों के अद्भुत सेट बनाकर उनका पालन कर सकते हैं। ये कानून नियमित रूप से आध्यात्मिक ग्रंथों, परंपराओं और सामान्य प्रथाओं पर आधारित हो सकते है ।

समान नागरिक संहिता के समर्थकों का तर्क है कि यह सुनिश्चित करके लैंगिक समानता, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक एकता को बढ़ावा दिया जा सकता है।  कि सभी निवासियों को समान कानूनी सिद्धांत और अधिकार प्राप्त होते है । वे इस बात को सच मानते हैं कि कानूनों का एक समान सेट (UCC ) भेदभावपूर्ण प्रथाओं को दूर कर सकता है और सभी लोगों के लिए, उनकी धार्मिक मान्यताओं के बावजूद, एक समान क्षेत्र प्रदान कर सकता है।

हालाँकि, समान नागरिक संहिता का कार्यान्वयन एक जटिल और विवादास्पद कठिनाई हो सकती है, क्योंकि इसमें विविध सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण पर सावधानीपूर्वक ध्यान देने की आवश्यकता है। इस अवधारणा के आलोचक अक्सर तर्क देते हैं कि गैर-सार्वजनिक कानून, धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं और उनका सम्मान किया जाना चाहिए। वे आध्यात्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक सीमा के रखरखाव के महत्व पर प्रकाश डालते हैं।

समान नागरिक संहिता को लेकर विभिन्न देशों में बहस चल रही है, जिसमें चरित्र, अधिकारों, धार्मिक स्वतंत्रता और सभी नागरिकों पर लागू होने वाले सामंजस्यपूर्ण और न्यायसंगत कानूनी ढांचे की आवश्यकता के बीच स्थिरता पर चर्चा होती रही है। व्यक्तिगत कानूनी दिशानिर्देशों को लागू करने या संपादित करने की तकनीक अलग-अलग न्यायालयों में भिन्न होती है.

इसलिए आज भी समान नागरिक संहिता को अपनाने का विकल्प महत्वपूर्ण विचार-विमर्श और सार्वजनिक चर्चा का विषय बना हुआ है।

समान नागरिक संहिता के लाभ –

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के कार्यान्वयन से संभवतः समाज को कई लाभ हो सकते हैं। यहां कुछ सामान्य से लाभ प्रतीत होते है –

समानता और गैर-भेदभाव –

UCC गारंटी देता है कि प्रत्येक निवासी को उनके धार्मिक या सांस्कृतिक इतिहास की परवाह किए बिना, समान कानूनों के तहत न्याय दिया जायेगा । यह समानता और गैर-भेदभाव के मानकों को बढ़ावा देता है, कानून सभी लोगों को समान मानता है। यह असमानताओं को दूर करता है और यह सुनिश्चित करता है कि मौलिक अधिकार बिल्कुल सभी के लिए समान रूप से प्रासंगिक है।

लैंगिक समानता –

मुख्य रूप से धार्मिक या समुदाय-विशिष्ट रीति-रिवाजों पर आधारित व्यक्तिगत कानूनों में अक्सर ऐसे प्रावधान शामिल होते हैं जो विवाह, तलाक, विरासत और संपत्ति के अधिकार जैसे क्षेत्रों में लड़कियों के साथ भेदभाव करते हैं, जो बीते हुए कालखंड की समस्याओं के समाधान के रूप में पैदा हुए थे। यूसीसी इन असमानताओं को दूर करने और लड़कियों को समान अधिकार और सुरक्षा प्रदान करके लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।

धर्मनिरपेक्षता –

यूसीसी नागरिक कानूनों से धार्मिक प्रथाओं को अलग करके धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को कायम रखता है। यह सुनिश्चित करता है कि सरकार सभी के लिए तटस्थ रहे और सभी निवासियों के साथ समान व्यवहार करे, चाहे उनकी आध्यात्मिक आस्था कुछ भी हो। यह विभिन्न समाजों के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बनाए रखने में सक्षम बनाता है।

उदाहरण के लिए यदि किसी देश की सरकार मस्जिद के चंदे पर सरकारी कब्ज़ा करके, उस धन में से अन्य धर्मो के चर्च या मंदिरो के पुजारियों या पादरियों को सैलरी अर्थात धन वितरित करती है तो यह धर्मनिरपेक्षता कदापि नहीं हो सकती।

सामाजिक एकजुटता –

सभी निवासियों के लिए कानूनी दिशानिर्देशों के एक सामान्य सेट को बढ़ावा देकर, Uniform Civil Code सामाजिक भाईचारे के प्यार और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दे सकता है। यह धार्मिक या धर्म-विशेष के आधार पर विभाजन को कम करते हुए साझा मूल्यों और अपनेपन की भावना पर जोर देता है।

कानूनी स्पष्टता –

देखने में आया है कि गैर-सार्वजनिक कानूनी दिशानिर्देश, कानूनी जटिलताओं, विसंगतियों और परस्पर विरोधी निर्णयों को जन्म दे सकते हैं। इसलिए Uniform Civil Code कानूनी ढांचे को सुव्यवस्थित करने और अस्पष्टता को कम करके जनता को स्पष्टता प्रदान करता है। हर धर्म, वर्ग और जाति के लोगो को क़ानूनी स्पष्टता होती है।

व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा –

एक समान नागरिक संहिता एक व्यापक ढांचे की स्थापना करके अधिकारों की सुरक्षा को बढ़ा सकता है जो विवाह, तलाक, गोद लेने, विरासत और रखरखाव सहित व्यक्तिगत अस्तित्व के विभिन्न तत्वों को कवर करता है। यह लोगों के अधिकारों और उनके जीवन की रक्षा कर सकता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि उनका जीवन ईमानदारी से चल रहा है।

सरलीकरण और दक्षता –

सभी निवासियों पर लागू कानूनी दिशानिर्देशों का एक सेट होने से आपराधिक प्रक्रियाओं से निपटने के समान, सरल और कड़े कानूनों को बनाया जा सकता है, इससे प्रशासनिक बोझ कम किया जा सकता है, इसके परिणामस्वरूप अधिक सुव्यवस्थित प्रक्रियाएं, अधिकारों का आसान प्रवर्तन और विवादों का त्वरित समाधान हो सकता है।

समान नागरिक संहिता के नुकसान –

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के कार्यान्वयन से सकारात्मक मांग वाली स्थितियां उत्पन्न होने से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। यहां कुछ आम तौर पर चर्चित कमियां दी गई हैं, जो पब्लिक डोमेन में कुछ लोगो के विचारो के आधार पर है –

सांस्कृतिक और धार्मिक संवेदनशीलताएँ –

व्यक्तिगत कानूनी दिशानिर्देश गैर-धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक परंपराओं में गहराई से निहित हैं, और ये लोग अक्सर विशेष समूहों के मूल्यों और प्रथाओं को प्रतिबिंबित करते हैं। समान कानूनी दिशानिर्देश लागू करना कुछ समूहों की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्वायत्तता के लिए खतरे के रूप में देखा जा सकता है। कुछ आलोचकों का तर्क है कि Uniform Civil Code असाधारण धर्मों और समुदायों से संबंधित विशिष्ट रीति-रिवाजों और प्रथाओं को खत्म करने से समाज की विविधता और बहुलवाद को नुकसान हो सकता है।

प्रतिरोध और विरोध –

समान नागरिक संहिता की शुरूआत को गैर-धर्मनिरपेक्ष और सामुदायिक नेताओं से मजबूत प्रतिरोध और प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है, जो इसे अपने आध्यात्मिक अधिकारों और स्वतंत्रता पर अतिक्रमण के रूप में भी समझ सकते हैं। इससे सामाजिक और राजनीतिक तनाव पैदा हो सकता है, संभवतः एक समान कानूनी ढांचे के कार्यान्वयन में बाधा आ सकती है। लेकिन यह बाधा तभी तक हो सकती है जब तक वे स्वतंत्र, निस्वार्थ और ईमानदार होकर किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचते है।

कानूनी जटिलता और परिवर्तन –

पहले के निजी कानूनी दिशानिर्देशों को नए समान नागरिक संहिता से बदलना एक जटिल और कठिन मार्ग हो सकता है। क्युकी इसमें कानूनी पेचीदगियों, क्षमता, और
संघर्षों के उपायों की आवश्यकता पर सावधानीपूर्वक ध्यान देने की आवश्यकता है। वर्तमान कानूनी दिशानिर्देशों को सुसंगत बनाने और असाधारण आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रथाओं को समायोजित करने से बड़ी कानूनी और तार्किक मांग वाली विषम स्थितियां पैदा हो सकती हैं। लेकिन यह तभी तक होता है जब तक कि सरकार निस्वार्थ रूप से कार्य नहीं करती है।

आम सहमति का अभाव –

Uniform Civil Code के सफल कार्यान्वयन के लिए आम सहमति बनाना महत्वपूर्ण है। कभी कभी , विभिन्न गैर-धर्मनिरपेक्ष, सांस्कृतिक और सामाजिक संगठनों के बीच समझौता करना कठिन हो सकता है। विचारों और गतिविधियों में अंतर एक सामान्य ढांचे के निर्माण और अपनाने में बाधा बन सकता है, जिसके परिणामस्वरूप लंबी बहस और गतिरोध हो सकता है। लेकिन जब जनता Uniform Civil Code को अपने आने वाली पीढ़ी अर्थात भविष्य के लिए स्वीकार करती है, महिलाएं सुरक्षित जीवन जीना चाहती है, समाज के लोग जातिवाद, भेदभाव ख़त्म करना चाहते है, इत्यादि तो आम सहमति का अभाव समाप्त होना मामूली बात है। जैसे तीन तलाक़ के कानून पर देश के लोगो ने स्वागत किया था।

डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर का सपना –

डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर ने भी संविधान में समान नागरिक संहिता को लागू करना अनुच्‍छेद 44 के तहत राज्‍य की जिम्‍मेदारी बताया गया था (सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना सरकार का दायित्व है), यह समय है जब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और हिन्दू पर्सनल लॉ (1. हिन्दू मैरिज एक्ट, 2. हिन्दू सक्सेशन एक्ट, 3. हिन्दू एडॉप्शन एंड मैंटेनेंस एक्ट और 4. हिन्दू माइनोरिटी एंड गार्जियनशिप एक्ट) को समाप्त किया जाए। क्युकि एक तरफ भारत में समान नागरिक संहिता को लेकर बड़ी बहस चल रही है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान और इजिप्ट जैसे कई देश UCC को लागू कर चुके हैं।

समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य वैसे तो गोवा है लेकिन कैबिनेट के द्वारा UCC को लागु करने वाला उत्तराखंड राज्य होगा। भारत में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता कई दशकों से है लेकिन किसी भी सरकार में इतनी हिम्मत नहीं हुयी कि इस मुद्दे पर कोई बातचीत भी कर सके।

तो आपको समान नागरिक संहिता के बारे में कुछ जानकारी कैसी लगी, आपके क्या विचार है, हमें कमेंट में अवश्य बताये।

 

नोट

  1. दी गयी जानकारी लेखक के अपने विचार, पब्लिक डोमेन में उपलब्ध जानकारी, और अन्य देशो में समान नागरिक संहिता के बारे में समझने मात्र से दी है। अन्यथा न ले, अपने विवेक का इस्तेमाल करे।
  2. जानकारी सही और अच्छी लगी तो शेयर करे, अगर असहमत है तो हमें कमेंट के माध्यम से बताकर हमें सही करे। आप चाहे तो समान नागरिक संहिता के खिलाफ तर्क या समान नागरिक संहिता के नुकसान हमें बता सकते है ताकि हम उन विषयों के बारे में भी सोच सके। 

 

My Recommendation –

UCC के बारे में ज्यादा जानकारी सरकार के द्वारा जल्दी ही दी जाएगी। आपको इस न्यूज़ को अवश्य देखना चाहिए।

Source – TimesNow NavBharat official youtube channel.

 


 

FAQs –

आर्टिकल 44 क्या बताता है?

Article 44 of Indian Constitution के अनुसार सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना सरकार का दायित्व है

समान नागरिक संहिता बिल क्या है?

हर धर्म का पर्सनल लॉ है, जिसमें शादी, तलाक और संपत्तियो के लिए अपने-अपने कानून हैं. UCC के लागू होने से सभी धर्मों में रहने वालों लोगों के मामले सिविल नियमों से ही निपटाए जाएंगे. इससे न्याय प्रक्रिया बुलेट की रफ़्तार से चलेगी।

सिविल कोड का मतलब क्या होता है?

यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है कि हर धर्म, जाति, संप्रदाय, वर्ग के लिए पूरे देश में एक ही कानून, एक देश एक विधान।

समान नागरिक संहिता क्यों?

फिलहाल भारत में कई निजी कानून धर्म के आधार पर तय हैं. समान नागरिक संहिता अर्थात सभी नागरिकों को समान रूप से मानने होते हैं।

क्या भारत में समान नागरिक संहिता लागू है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में राज्य को पूरे भारत में नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करने का प्रयास करने का आदेश दिया गया है। लेकिन किसी भी सरकार ने ऐसा करने की हिम्मत नहीं दिखाई।

समान नागरिक संहिता से क्या लाभ है?

सभी नागरिकों के लिए, चाहे उनकी धार्मिक संबद्धता कुछ भी हो, विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले कानूनों का एक सामान्य सेट होना चाहिए। इससे नागरिको में न्याय के प्रति तेजी से मिलने की आशा जाग्रत होगी।

UCC का मतलब क्या है?

समान नागरिक संहिता अर्थात (Uniform Civil Code, यूनिफॉर्म सिविल कोड; UCC)

भारत में यूसीसी क्यों संभव नहीं है?

यूसीसी बिलकुल संभव है, और यह Article 44 का देश की सरकारों को प्रयास करने का आदेश है। कोई राष्ट्रवादी सरकार ही ये काम कर सकती है।

समान नागरिक संहिता के नुकसान क्या हैं?

देश में वोटबैंक की राजनीति ख़त्म हो सकती है। जो धार्मिक मामलों को बचाने या धार्मिक या जातिगत मामलों के माध्यम से भेदभाव को पैदा करके होती रही है।

भारत में यूसीसी क्यों महत्वपूर्ण है?

सभी नागरिकों को उनके धर्म, वर्ग, जाति, लिंग आदि की परवाह किए बिना समान दर्जा प्रदान करने के लिए UCC आवश्यक है। यही सही मायने में धर्म निरपेक्षता कही जा सकेगी।

समान नागरिक संहिता किस राज्य में लागू है?

गोवा में पहले से लागु है लेकिन संसद के द्वारा उत्तराखंड में लागू हुआ इसलिए उत्तराखंड पहला राज्य है।

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