जानिये संस्कृत भाषा का उद्भव, महत्व और संस्कृत की उत्पत्ति, विद्यार्थी इसे निवंध या जानकारी के रूप में भी पढ़ सकते है।

संस्कृत भाषा विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है जिसे देववाणी या देवभाषा भी कहते है क्योंकि यह देवों द्वारा बोली जाती थी| यह भाषा सबसे शुद्ध व सटीक है| बहुत सारे ग्रन्थ है जो सबसे पहले संस्कृत भाषा में लिखे गये थे लेकिन बाद में उन्हें अन्य भाषाओं में लिखा गया| प्राचीनकाल में ऋषि-मुनि संस्कृत भाषा ही बोलते थे तथा गुरुकुलों में इस भाषा को पढ़ाया जाता था| इतना ही नहीं हमारे भारत का सबसे प्राचीन ग्रन्थ ऋग्वेद भी संस्कृत भाषा है, जिसे भगवान की वाणी कहा जाता है| इस भाषा से ही अन्य भाषाओं का जन्म भी हुआ है| अत: यह भाषा प्रत्येक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है|

लेकिन क्या आप जानते है कि इस भाषा की उत्पत्ति कैसे और कब हुई? इसे किसके द्वारा उत्पन्न किया गया? इस भाषा का क्या महत्व है और यह कितनी भाषाओं की जननी है? ऐसे बहुत से सवाल है जो हमारे दिमाग में कभी न कभी आते जरुर होगे| तो चलिए –

इन सभी सवालों के जवाव हम आपको इस लेख के माध्यम से विस्तार से देने जा रहे है ताकि आप इस भाषा के बारे में अधिक से अधिक जान सके और इसके महत्व को भी समझ सके|

संस्कृत भाषा की उत्पत्ति कैसे हुई?

संस्कृत भाषा की उत्पत्ति (Sanskrit Bhasha ki Utpatti) –

संस्कृत की उत्पत्ति के पीछे एक कथा प्रचलित है कहा जाता है कि जो इस भाषा के प्रणेता है महर्षि पाणिनी| वे शंकर भगवान के परमभक्त थे| एक बार वे शंकर भगवान का ध्यान कर रहे थे ,उसी समय भगवान ने 14 बार डमरू बजाया| हर बार डमरू बजने पर एक नया शब्द उत्पन्न हुआ ,जिसे महर्षि पाणिनी ने बहुत ध्यान से सुना और उसे लिपिबद्ध तरीके से अपने दिमाग में बैठा लिया| इन 14 शब्दों को उन्होंने महेश्वर सूत्र नाम दिया क्योंकि इनकी उत्पत्ति महेश्वर से हुई थी|

बाद में इन्ही महेश्वर सूत्र से उन्होंने सबसे पहले संस्कृत व्याकरण की रचना की और उसके बाद व्याकरण से संस्कृत भाषा की उत्पत्ति हुई| इस प्रकार दुनिया में संस्कृत भाषा का जन्म हुआ और इसके जन्मदाता महर्षि पाणिनी बने| इसके बाद संस्कृत से ही अन्य भाषाओं का जन्म हुआ|

संस्कृत भाषा से उत्पन्न होने वाली अन्य भाषाएँ (Sanskrit ki puri jankari)–

हिंदी, नेपाली, ब्रजभाषा, अवधी, मराठी, बंगाली, राजस्थानी, गुजरती, भोजपुरी, पंजाबी, उर्दू , उड़िया , मैथली , कश्मीरी , कोंकणी , जर्मनी, लैटिन, रोमन, सिंधी आदि|

संस्कृत भाषा की विशेषताएं व महत्व (Sanskrit bhasha ka mahatva) –

  • संस्कृत संसार की सबसे प्राचीन भाषा होने के साथ-साथ सब भाषाओं की जननी है|
  • यह सबसे शुद्ध भाषा है|
  • इस भाषा में एक शब्द के 25 रूप होते है जबकि अन्य भाषाओं में एक शब्द के एक या दो रूप ही होते है|
  • इस भाषा में एकवचन ,द्विवचन व बहुवचन होते है जबकि अन्य भाषाओं में केवल एकवचन व बहुवचन ही होते है|
  • संस्कृत के वाक्यों में शब्दों को किसी भी क्रम में रखा जा सकता है क्योंकि सभी शब्द विभक्ति व वचन के अनुसार होते है इसलिए इनका क्रम बदलने पर वाक्य का अर्थ नहीं बदलता है|
  • यह संसार की सबसे पूर्ण व तर्कसम्मत भाषा है|
  • इस भाषा को भारतीय संविधान की आठवी अनुसूची में शामिल किया गया है|
  • संस्कृत उत्तराखंड की आधिकारिक राज्यभाषा है|
  • संस्कृत भाषा में कोई भी वाक्य बिना अनुस्वार व विसर्ग के नहीं होता है|
  • इस भाषा में जब जो शब्द पास आते है तो वहाँ संधि होने से स्वरूप तथा उच्चारण बदल जाता है|
  • कंप्यूटर के लिए यह सबसे उपयुक्त भाषा है|
  • यह स्मरण शक्ति बढ़ाने के साथ-साथ जीभ को लचीला भी बनाती है|

संस्कृत भाषा की प्रकृति क्या है?

संस्कृत भाषा की प्रकृति –

संस्कृत भाषा शरीर की प्रकृति सुधारने वाली भाषा है जैसे कि संस्कृत भाषा प्रयोग करने के लिए आप अपने मुंह के हर एक हिस्से को उपयोग में लाना ही पड़ता है। जैसे कुछ संस्कृत शब्द कंठ की मदद से बोले जाते तो कुछ संस्कृत शब्द दांत की मदद से बोले जाते कुछ संस्कृत शब्द होठों की मदद से बोले जाते कुछ संस्कृत शब्द तालव्य‌ की मदद से बोले जाते हैं। और यह करने से मुंह की तरह से कसरत भी होती है और शरीर की प्रकृति भी सुधरती रहती है यह एक तरह से नाडीओ और ग्रंथियों के योगासन समान ही है।

वर्तमान समय में संस्कृत भाषा की स्थिति –

जैसा कि अपने ऊपर देखा ,संस्कृत भाषा कितनी प्राचीन और महत्वपूर्ण है| हमारे चारों वेद ऋग्वेद, सामवेद, अथर्ववेद और यजुर्वेद संस्कृत भाषा में है| इसके अलावा प्रसिध धार्मिक ग्रन्थ महाभारत व रामायण भी संस्कृत भाषा में लिखे गए थे| इस भाषा ने बहुत सी भाषाओं को जन्म भी दिया है| कंप्यूटर के निर्माण में भी इसी भाषा का उपयोग किया गया है|

संस्कृत भाषा हमारी प्राचीन संस्कृति व सभ्यता से इतनी जुड़ी हुई है लेकिन फिर भी वर्तमान समय में यह विलुप्त होने की कगार पर है| जिस भाषा को आधार मानकर आधुनिक तकनीकी का आविष्कार किया जा रहा है| आज के समय में लोग उस भाषा को पढ़ना तो चाहते है, ताकि वेदों के ज्ञान से खोज कर सके, लेकिन कुछ सरकार सनातन धर्म और उसके चिन्हों को पूरी तरह से समाप्त करने में प्रयत्नशील रही है, जिसके कारण इसे स्कूल से गायब कर दिया गया।

पहले तो संस्कृत भाषा स्कूलों में पढाई जाती थी लेकिन आजकल के इंगलिश मीडियम स्कूलों में संस्कृत भाषा को पढाना बंद कर दिया गया है| बच्चे भी इस भाषा को पढ़ने में किसी प्रकार की रूचि नहीं लेते है क्योंकि उन्हें इस भाषा के महत्व के बारे में शुरू से बताया ही नहीं जाता है|

हिंदी, इंग्लिश, विज्ञान, गणित आदि भाषाओं को पढ़ाने के लिए बहुत सारे शिक्षक होते है परन्तु इस भाषा को पढ़ाने वाले शिक्षक भी नहीं मिलते है| क्योंकि लोग इस भाषा को पढ़ना जरुरी नहीं समझते है|

देश की सरकारे भी संस्कृत भाषा के अध्ययन पर कोई ध्यान नहीं देती है, उसे प्रोत्साहित नहीं करती है| इस भाषा से संबंधित अधिक नौकरियां उपलब्ध नहीं कराती है जिसके कारण बच्चे इस भाषा को ज्यादा अनिवार्यता नहीं देते है| सरकार को संस्कृत भाषा को विलुप्त होने से बचाने के लिए, इसे स्कूलों में अनिवार्य रूप से पढ़ाये जाने पर जोर देना चाहिए और इसके लिए शिक्षक भी उपलब्ध कराना चाहिए| जिससे बच्चे इस विषय की जरूरत को समझ सके और अपनी संस्कृति से जुड़े रहे|

इसलिए हमारा आप सभी लोगों से अनुरोध है कि अपने बच्चों को शुरू से ही इस भाषा का अध्ययन जरुर कराए ताकि इस भाषा को विलुप्त होने से बचाया जा सके|

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ऐसी जानकारियों या Hindi me Advice के लिए Hindi Hai वेबसाइट पर समय समय पर आते रहे।

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