हिन्दू धर्म नाम का अर्थ – आज जिसे आप हिन्दू धर्म कहते है वह सनातन धर्म है।
सनातन का अर्थ है – शाश्वत अर्थात ‘सदा बना रहने वाला’
अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त अर्थात ब्रह्मांड के समान

सनातन धर्म को विदेशी आक्रांताओ ने हिंदूकश पर्वत माला के उस पार रहने वाले लोगो को हिन्दू कहा और उनके विज्ञान को हिन्दू धर्म कहा गया ।

हिन्दू धर्म इस धरती का सबसे प्रथम या प्राचीन धर्म है। इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार है –

1. हिंदी कैलेंडर जिसके हिसाब से दुनियाँ अभी 2080 में जी रही है, जिसमे सं को विक्रम संवत कहा जाता है। यह अपने आप में पुरातन होने का प्रमाण देता है।
2 – ईसा पूर्व – इतिहास मे ईसा के जन्म के पूर्व के समय को ईसा पूर्व या Before Christ (BC) कहते है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हिन्दू धर्म 9000 ईसा पूर्व से भी प्राचीन बताया जाता है ।
3 – सन् 2019 में प्राप्त श्रीराम के 6000 वर्ष प्राचीन दीवारों और पत्थरों पर चित्र ईराक में मिले। – Source
4 – कल्प विग्रह नामक शिव प्रतिमा जिसकी कार्बन डेटिंग आयु 28,450 (2019 में ) वर्ष आंकी गई थी। – Source

ये कुछ प्रमाण हिन्दू समुदाय को कहीं अधिक प्राचीन बताते हैं।

यह सबसे पुराना और सबसे विस्तृत धर्म है। –

  1. रामायण के अनुसार – मनुष्य के आचरण कैसा होना चाहिए यह बताया गया है। और महाभारत के अनुसार – मनुष्य को क्या नहीं करना चाहिए।
  2. हिन्दू धर्म में भगवान् के साकार और निराकार दोनों रूप बताये है। ध्यान केंद्रित करने के लिए मनुष्य को प्रभु का साकार-रूप ही अपने निराकार रूप से मिलवाने में सहायता करता है। इसीलिए भगवान ने भी श्रीमदभगवद गीता में कहा है कि वे अपने भक्तो के दास है।
  3. उपनिषद गुरु के समान है जो मनुष्य को वेदों को इशारे में समझाते है क्युकी वेद श्री हरि की वाणी है।
  4. हिन्दू धर्म के मूल में रीढ़ की हड्डी के रूप में सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा, दान और जीवन के सभी पहलुओं का समावेश होता है। हिन्दू धर्म के मूल तत्वों में से एक विश्वास है कि ईश्वर हर जीव के अंदर होता है। हिन्दुओं के लिए प्रभु हर जीव, प्रकृति के कण कण में है, कुए, तालाव, पेड़, पक्षी, जानवर यहाँ तक कि धरती और गाय को माँ की तरह सम्मान देते है।
  5. आत्मा अर्थात ऊर्जा, ऊर्जा अर्थात शक्ति, और वर्तमान का विज्ञान भी यही कहता है कि ऊर्जा को न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है, लेकिन इसे एक दूसरे में परिवर्तित किया जा सकता है। इसे ऊर्जा संरक्षण का नियम कहते हैं।

प्रमाण तो अनंत है जब व्यक्ति को अनुभव होता है तो वह सत्य या ज्ञान जो व्यक्तिगत तत्वज्ञान या अनुभव से प्राप्त होता है। अनुभव से हमें अपने आसपास के जीवन का सत्य पता चलता है और इसे आध्यात्मिक जीवन के साथ जोड़ा जाता है।

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