दुनिया में सबसे बड़े और सबसे प्रभावशाली फिल्म उद्योगों में से एक के रूप में, इस बिज़नेस का भारत और उसके बाहर बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव है जिसका सबसे बड़ा कारण सात सुरो से तैयार होने वाला म्यूजिक अर्थात संगीत है । हालांकि, हाल के दशकों में, इस बिज़नेस फिल्मों और इसके सितारों द्वारा नैतिकता और भारत की संस्कृति का मजाक बनाने के बारे में भी चिंता बढ़ रही है।
यहां कुछ कारण हो सकते है जो इंटरनेट से अन्य अन्य स्रोतों के माध्यम से मिलती है। –
भाई-भतीजावाद और पक्षपात (Nepotism) :
इस बिज़नेस की सबसे आम आलोचनाओं में से एक यह है कि इसमें मुट्ठी भर शक्तिशाली परिवारों का वर्चस्व है, जो अन्य प्रतिभाशाली अभिनेताओं और फिल्म निर्माताओं के बजाय अपने बच्चों और रिश्तेदारों को बढ़ावा देने के लिए अपने कनेक्शन का उपयोग करते हैं। इससे नई प्रतिभाओं के लिए विविधता और अवसरों की कमी हुई है, साथ ही इस बिज़नेस में माना जाता है कि योग्यता के बजाय स्टार का बच्चा होना महत्वपूर्ण है।
महिलाओं से द्वेष और वस्तुकरण (#MeToo) :
कई फिल्मों और गीतों में महिलाओं के समस्याग्रस्त चित्रण, हानिकारक रूढ़िवादिता को बनाए रखना और महिलाओं के खिलाफ वस्तुकरण और हिंसा को बढ़ावा देना शामिल है। यह हाल के वर्षों में #MeToo आंदोलन में कई प्रमुख इस बिज़नेस के हस्तियों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले उजागर हुए है।
सामाजिक हिंसा को बढ़ावा देना Promoting Social Violence:
महिलाओं के समस्याग्रस्त चित्रण के साथ-साथ, कई फिल्में भी जहरीली मर्दानगी को बढ़ावा देती हैं, पुरुषों और समाज में उनकी भूमिका के बारे में हानिकारक रूढ़िवादिता को बढ़ावा देती हैं। इसमें हिंसा करने वालो का महिमामंडन करना, समस्याओं को हल करने के साधन के रूप में आक्रामकता को बढ़ावा देना और पुलिस, कोर्ट पर प्रश्न चिन्ह लगाना शामिल है।
राजनीतिक पूर्वाग्रह और प्रचार Political Bias and Propaganda:
इस बिज़नेस के बारे में एक और चिंता राजनीतिक दलों से इसके घनिष्ठ संबंध और कुछ राजनीतिक विचारधाराओं या एजेंडों को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका है। इसने फिल्मों और अन्य मीडिया में सेंसरशिप, पूर्वाग्रह और प्रचार के आरोपों को जन्म दिया है। इन आरोपों में इस बिज़नेस के कुछ सितारों का देशद्रोही नारे लगाने वालो के साथ सहानुभूति दिखाना, या उनके साथ खड़े होना, राजनीतिक प्रचार में शामिल होना ।
तुष्टिकरण (appeasement) –
धर्म विशेष के ईश्वरीय शक्तियों या चरित्रों का अपमान करना । उसी धर्म विशेष की जातियों में ऊंच नीच दिखाकर वैमनष्य पैदा करना, उसी धर्म विशेष के व्यक्तियों को बलात्कारी, चोर, अत्याचार करने वाला दिखाना। इस धर्म के लोगो की सहनशीलता इस बात से समझी जा सकती है कि अब नेता भी उनकी ईश्वरीय किताबे फाड़कर प्रदर्शन करते है, लेकिन उसके खिलाफ भी रोड पर नहीं निकले।
विदेशी विचारधारा से ग्रसित होने के कारण इस इंडस्ट्री के कुछ लोग अपने ही देश की संस्कृति और धर्म या जाति पर कटाक्ष करते रहते है।
जवाबदेही और पारदर्शिता की कमी Lack of Accountability and Transparency:
कई लोग उद्योग में जवाबदेही और पारदर्शिता की कमी के कारण इस बिज़नेस के बहिष्कार का आह्वान कर रहे हैं। भ्रष्टाचार, नशा और अन्य अनैतिक प्रथाओं के कई हाई-प्रोफाइल मामले सामने आए हैं, जैसे की – बिना शादी के सम्बन्ध बनाना (Living Relationship), पत्नियों की अदला बदली जैसे कुछ आचरण भी सुनने को मिले है। (wife swapping), ड्रग्स या गांजे या नशे का इस्तेमाल, देर रात नशे की पार्टी आयोजित करना, एक धर्म विशेष की महिलाओं से शादी करके उन्हें तलाक़ देकर छोड़ देना, इत्यादि, इस कारण से अभी हाल में दिल्ली में सुनने को आया था कि व्हाट्सप्प ग्रुप के जरिये Wife स्वैपिंग जैसा घिनोना कृत्य भी जनता के बीच उतर आया है।
मुगलों की वाहवाही में व्यस्त –
आज डिजिटल युग में हर भारतीय को पता है मुग़ल अत्याचारी थे क्युकी उनकी स्वयं के ऊपर लिखी हुयी किताबो में ही लिखा है की औरंगजेब हर रोज सवा मन जनेऊ जलाने के बाद ही भोजन करता था।” कहीं-कहीं सवा मन के बजाय, ढाई मन तक बताया गया है। वे जो धर्म परिवर्तन स्वीकार या अस्वीकार करते थे। ये लोग यह नहीं बताते कि मुगलों के अत्याचार से ही परदा या घूँघट प्रथा और सती प्रथा का जन्म हुआ था।यह समझना मुश्किल होता है कि अगर आक्रमणकारी चाहे कोई भी, क्यों न हो,
अगर वे अपने धर्म का प्रचार प्रसार करने आये थे, तो देश के ज्यादातर मंदिर खंडित कैसे हो गए?
पाकिस्तान / बांग्लादेश प्रेम –
- एक तरफ जहाँ पाकिस्तान के सैनिक भारतीय सैनिको का शरीर धोखे से क्षत विक्षत कर रहे थे – Source
- पाकिस्तानी जिहादी हाथ में कलावा (सनातन रक्षासूत्र ) बांधकर बम फोड़ रहे थे – Source
- तो वही इस बिज़नेस के कलाकार देशभक्ति को सिर्फ फ़िल्मी नाटक कहते थे। इनके अनुसार कलाकारों का कोई बॉर्डर नहीं होता – Source
- इसलिए वे पाकिस्तानी एक्टर, एक्ट्रेस और गायको को प्राथमिकता देते आये है। वे भूल जाते है कि कलाकार भी भारतीय होता है। ये लोग उनके साथ खड़े दिखाई दिए जो कहते है – Source
- कि भारतीय सेना बॉर्डर पर अत्याचार करती है। – Source
अर्थात इनका विरोध इस बिज़नेस के भीष्म टाइप के लोग भी स्वार्थ के कारण नहीं कर पाए।
नैतिकता में गिरावट? morality declined?
एक दर्शक या उपभोक्ताओं के रूप में, हमारे पास इस बिज़नेस से जवाबदेही और पारदर्शिता की मांग करने और विविधता, समानता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने वाली वैकल्पिक आवाज़ों और मीडिया का समर्थन करने का साहस पैदा करना है।
बच्चो को इस बिज़नेस के बुरे सम्मोहन में फसने से रोकना होगा। क्युकी अब मनोरंजन के विकल्प के रूप में यूट्यूब के माध्यम से आम जनता द्वारा तैयार किया गया कंटेंट, देश की अन्य भाषाओं का मनोरंजन का हिंदी में उपलब्ध होना, OTT इत्यादि उपलब्ध है।
इस बिज़नेस का काम लोगो का मनोरंजन करना है चाहे वह टीवी सीरियल हो, संगीत हो या फिल्मे हो। उसके बदले में वो पैसे कमाते है, फिर चाहे advertisement के द्वारा कमाते हो, या paid सब्सक्रिप्शन लेकर या ऑडियो कैसेट, CD/डीवीडी इत्यादि खरीदकर।
कस्टमर की भावनाओं का सम्मान हर बिज़नेस करता है। यह बिज़नेस एक इंडस्ट्री है अर्थात बिज़नेस है, आपको खुद नैतिकता का ध्यान रखना चाहिए या नहीं।
ये आपको सोचना है, लेकिन देश के युवाओ को ड्रग्स, शराब, अफीम की नाईट पार्टी, इत्यादि की लत लगाना उचित नहीं। यह भारतीय संस्कृति नहीं है। देश को अपनी पहचान नहीं खोनी चाहिए।
स्वयंभू अहंकार –
शायद कुछ एक्ट्रेस को लगता है विदेशो में उनकी फिल्मे एक्टिंग से ही चलती है। जबकि सात सुरों से बना संगीत की इन्हे कद्र नहीं। सात सुरों से बना संगीत सिर्फ भारत के पास है। विदेशो में लोग आपके संगीत को भी उतना ही पसंद करते है जितना भारतीय रहन सहन। चूँकि अब वो कमी इंटरनेट ने पूरी कर दी है। तो अहंकार हो सकता है आगे न चले।
अंत में, जबकि यह बिज़नेस एक लोकप्रिय और प्रभावशाली उद्योग बना हुआ है, इसकी नैतिकता, मूल्यों और समाज पर प्रभाव के कारण अभिभावकों में में वैध चिंताएँ भी हैं।
इस बिज़नेस तरक्की में भी ही देश की तरक्की है। No Doubt ! लेकिन अपने देश के कल्चर या संस्कृति को नष्ट करना, क्या ये देशभक्ति है ?
Disclaimer –
लेखक का तात्पर्य
- किसी के जाति, धर्म, बिज़नेस या राजनीति से नहीं बल्कि उनके भ्रष्ट या नीच आचरणों से है। भ्रष्ट या नीच आचरण वाले व्यक्ति समाज के हीरो कैसे हो सकते है? (व्यक्ति कर्म नीच से होता है, जाति से नहीं )
- यह जानकारी पब्लिक डोमेन में उपलब्ध जानकारियों के माध्यम से है।
- इसे एक कस्टमर का किसी बिज़नेस के प्रति रिव्यु मात्र है। क्युकी अपनी-अपनी व्यक्तिगत अनुभूति है,
- व्यक्तिगत अनुभूति परस्पर विरोधी हो सकती है। क्या कारण है? में अपने बच्चो के साथ हिंदी फिल्मे देखने में असहज हो जाता हूँ, लेकिन दक्षिण भारत की फिल्मे पूरा परिवार आनंद से देखता है।
- इस ब्लॉग पोस्ट का उदेश्य किसी भी बिज़नेस या उसके बिज़नेसमेन या व्यापारी को नुकसान पहुंचाने का नहीं था। अगर फिर भी किसी को कोई समस्या अनुभव होती है तो कमेंट में अपना आदेश दे कि क्या क्या शब्द हटाने है।
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