भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बुधवार को एक बार फिर से इतिहास रचा. इसरो ने कार्टोसैट-3 के साथ अमेरिका के 13 नैनो सैटेलाइट की एक साथ लॉन्चिंग की. श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के सेकंड लॉन्च पैड से ठीक सुबह 9:28 बजे ये लॉन्चिंग हुई. जो जमीन से 509 किलोमीटर ऊपर चक्कर लगाएगा और 97.5 डिग्री के झुकाव के साथ कक्षा में स्थापित किया जाएगा. इस सेटेलाइट को आसमान में भारत की आंख माना जाता है इसीलिए ये सेना के साथ-साथ सुरक्षा एजेंसियों के लिए बहुत मददगार साबित होगा. कार्टोसैट-3 सैटेलाइट सेना के लिए बेहद मददगार साबित होने वाला है. इसरो ने बताया कि इसके साथ हीअमेरिका के सभी 13 छोटे सैटेलाइट को उड़ान भरने के 26 मिनट और 56 सेकंड बाद कक्षा में स्थापित कर दिया गया.

कार्टोसैट क्या है? (Cartosat-3 Satellite Kya hai?)

कार्टोसेट-3 (Cartosat-3) भारत द्वारा निर्मित एक प्रकार की स्वदेशी पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों की शृंखला है। अब तक 5 कार्टोसेट उपग्रह इसरो द्वारा लांच किए जा चुके हैं। कार्टोसेट उपग्रह शृंखला भारतीय रिमोट सेंसिंग कार्यक्रम का एक हिस्सा है। वे विशेष रूप से पृथ्वी के संसाधन प्रबंधन और निगरानी के लिए शुरू किये गए हैं। पहला कार्टोसेट उपग्रह कार्टोसैट-1 जो श्रीहरिकोटा में नव निर्मित दूसरा लॉन्च पैड से 5 मई 2005 में पीएसएलवी-सी6 द्वारा लांच किया गया था। अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार ने इससे पहले पृथ्वी के संसाधन प्रबंधन और निगरानी के लिए उपग्रहों की एक शृंखला लांच की थी। इन उपग्रहों को विभिन्न पैमाने में डाटा उपलब्ध कराने में बहुत सफल रहा है।

कार्टोसैट-3 उपग्रह कार्टोसैट सीरीज का नौवां उपग्रह है जो अंतरिक्ष से भारत की सरहदों की निगरानी के लिए प्रक्षेपित किया गया है. सीमा निगरानी के लिए इसरो कार्टोसैट-3 के बाद दो और उपग्रह रीसैट-2 बीआर1 और रीसैट 2 बीआर 2 को PSLV C-48 और PSLV C-49 की मदद से श्रीहरिकोटा से अगले महीने लॉन्च किया जाएगा.

PSLV-C-47 की यह 49वीं उड़ान है, इसे ले जाने वाले राकेट पीएसएलवी से अमेरिका के 13 छोटे उपग्रह भी भेजे गए हैं.. कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि वह अंतरिक्ष से जमीन पर 1 फीट से भी कम (9.84 इंच) की ऊंचाई तक की तस्वीर ले सकेगा. इस कैमरे के जरिए बेहद बारीक चीजों को भी स्पष्ट तौर पर देखा जा सकेगा.

इसरो ने कार्टोसैट के साथ ही अमेरिका के 13 छोटे उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक उनकी कक्षाओं में स्थापित कर दिया है. हाल ही में बनाई गई व्यावसायिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड ने पहले ही 13 अमेरिकी नैनोसैटलाइट प्रक्षेपित करने के लिए समझौता किया था. कार्टोसैट-3 दुश्मन की हर गतिविधि पर पैनी नजर रखेगा. इसके पहले इसरो कार्टोसेट सीरीज के आठ उपग्रह भेज चुका है. कार्टोसेट-3 पांच साल तक काम करेगा.

CARTOSAT-3 की लॉन्चिंग के बाद इसरो चीफ डॉ. के सिवान ने कहा, ‘मैं बहुत खुश हूं क्योंकि पीएसएलवी-सी47 ने कार्टोसैट-3 और 13 अमेरिकी सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है. यह सबसे ताकतवर कैमरे वाला सिविल सैटेलाइट है. मैं पूरी टीम को सैटेलाइट टीम को बधाई देना चाहता हूं, क्योंकि यह देश का अब तक सबसे बेहतरीन अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट है. अब हम मार्च तक 13 सैटेलाइट और छोड़ेंगे. हमारा यह टारगेट है और इसे जरूर पूरा करेंगे.

भविष्य के अभियानों के बारे में इसरो प्रमुख के सिवान ने कहा, ‘हमारे पास बहुत काम हैं’. मार्च 2020 तक 13 मिशन पूरे करने हैं. इनमें 6 प्रक्षेपण यान मिशन (Launch vehicle mission) और 6 सैटेलाइट मिशन शामिल हैं.

Cartosat-3 के Features –

कार्टोसैट-3 तीसरी पीढ़ी का बेहद चुस्त और उन्नत सैटेलाइट है, जिसमें हाई रिजोल्यूशन तस्वीर लेने की क्षमता है. कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि वह अंतरिक्ष से जमीन पर 1 फीट से भी कम (9.84 इंच) की ऊंचाई तक की तस्वीर ले सकेगा.

इसका भार 1,625 किलोग्राम है और यह बड़े पैमाने पर शहरी नियोजन, ग्रामीण संसाधन और बुनियादी ढांचे के विकास, तटीय भूमि के उपयोग और भूमि कवर के लिए उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग को पूरा करेगा.

इसरो ने कहा है कि पीएसएलवी-सी47 ‘एक्सएल’ कनफिगरेशन में पीएसएलवी की 21वीं उड़ान है.

रक्षा विशेषज्ञों का दावा है कि अभी तक इतनी सटीकता वाला सैटेलाइट कैमरा किसी देश ने लॉन्च नहीं किया है. अमेरिका की निजी स्पेस कंपनी डिजिटल ग्लोब का जियोआई-1 सैटेलाइट 16.14 इंच की ऊंचाई तक की तस्वीरें ले सकता है.

इसकी तस्वीर इतनी साफ होगी कि किसी व्यक्ति के हाथ में बंधी घड़ी के समय को भी साफ देखा जा सकेगा. मुख्य रूप से इसका काम अंतरिक्ष से भारत की जमीन और सीमा पर पैनी निगरानी करना है.

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