बबूल का पेड़ (Vachellia nilotica (Gum arabic tree)) गांव तथा जंगलो में आसानी से देखने को मिल जाता है| बबूल का पेड़ कांटेदार होने के साथ बड़ा और घना होता है| इसके पत्ते अन्य पेड़ के पत्तों की अपेक्षा काफी छोटे और घने होते है| बबूल के पेड़ का तना मोटा ,छाल खुरदरी और भूरे या काले रंग की होती है| इसके फूल पीले रंग के गोल आकर वाले होते है| और इसमें सफेद रंग की लम्बी-लम्बी फलिया लगती है जिसमे चपटे-चपटे गोल आकर के बीज निकलते है| इसके तने से सफेद रंग का चिपचिपा और गाढ़ा पदार्थ निकलता है जिसे गोंद कहते है|
इसकी लकड़ी ईंधन के रूप में भी काम में आती है| वैसे ये साधारण सा दिखने वाला बबूल का पेड़ बहुत लाभकारी होता है| इस पेड़ के फल ,फूल पत्ते ,तने ,छाल ,टहनी और लकड़ी सभी हमारे लिए बहुत उपयोगी होते है| इस पेड़ के हम केवल 2 या 4 गुणों को ही जानते है जैसे इसकी गोंद बहुत लाभदायक होती है ,इसकी लकड़ी और इसकी लकड़ी से बनने वाला कोयला दोनों ही उपयोगी होते है| और इसकी दान्तोन से दांत साफ हो जाते है| लेकिन इन सब के अलावा भी बबूल में बहुत सारे आयुर्वेदिक गुण होते है| जो इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे है.
बबूल के विभिन्न नाम -: बबूर ,कीकर ,बाबूल ,नेला ,तुम्मा ,बाबला ,कारुबेला ,उम्मूछिला आदि|
Babul ke Ped ke Fayde –
- बबूल की नरम टहनियों की दातून करने से दांतो से संबंधित सभी रोग ठीक हो जाते है|
- अगर बबूल की कच्ची फली धूप में सुखा ले ,और मिश्री के साथ मिलाकर खाए तो वीर्य रोग ठीक हो जाता है|
- बबूल की पत्तियों को घाव पर पीसकर कर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है|
- अगर आप के बाल अधिक मात्रा में टूट रहे है तो बबूल की पत्तियों को पीसकर उसका लेप अपने सिर पर लगाये तो बाल टूटना बंद हो जायेंगे|
- बबूल के पेड़ की छाल एक्जिमा के इलाज में उपयोगी होती है| इसके लिए बबूल के पेड़ की छाल और आम के पेड़ की छाल को पानी में उबाल ले और उसकी भाप से प्रभावित अंग को सेंके तो जल्द आराम मिलता है|
- आँखों के आने पर बबूल के पत्ते का लेप बनाकर ,रात को सोते समय आँख बंद करके पलकों पर लगाने से दर्द और लालिमा कम हो जाती है|
- बबूल की छाल को पानी में उबाल के उसका काढ़ा बना ले और इस काढ़े से वे महिलाये अपनी योनि साफ करे जिन्हें सफेद पानी आता है| तो उनकी यह समस्या दूर हो जाएगी|
- बबूल की पत्तियों को पानी में उबलकर उस पानी को दिन में 3 या 4 बार पीने से खांसी और सीने का दर्द ठीक हो जाता है|
- बबूल की छाल का काढ़ा बनाकर दिन में 2 बार पीने से प्रदर रोग दूर हो जाता है|
- बबूल के पत्तों के रस में मिश्री और शहद मिलाकर पीने से दस्त ठीक हो जाता है|
- बबूल की छाल को पानी में उबालकर ,इस पानी से गरारे करने से गले की सुजन कम हो जाती है|
- बबूल की गोंद को पानी में घोलकर पीने से पेट और आंतो के घाव ठीक हो जाते है|
- बबूल की फलियों का चूर्ण बनाकर ,उसे सुबह-शाम नियमित रूप से लेने से टूटी हड्डी जुड़ जाती है|
- बबूल के फूल को सरसों के तेल में अच्छे से पका ले और इसे ठंडा करके छान ले ,और इस तेल की 2 बूंद को कान में डाले तो कान में से मवाद बहना बंद हो जाता है|
- पीलिया होने पर बबूल के फूलों को मिश्री के साथ पीसकर चूर्ण बना ले और इसका सेवन नियमित रूप से करे तो पीलिया रोग ठीक हो जाता है|
- बबूल की गोंद से बने पकवान खाने से महिलाओं को शक्ति मिलती है और कमर दर्द भी ठीक हो जाता है| तभी तो बच्चा होने पर महिलाओं को गोंद के लड्डू बनाकर खिलाये जाते है|
- बबूल की छाल से बने काढ़े से गरारे करने पर पायरिया रोग ठीक हो जाता है|
- बबूल की गोंद को मुंह में रखकर चूसने से मुंह और जीभ का सूखापन खत्म हो जाता है|
बबूल से होने वाले नुकसान (Babool ke Nuksan) -:
- बबूल का अधिक मात्रा में सेवन करने से लीवर प्रभावित हो सकता है|
- बबूल का कांटा अगर लग जाये और उसे सही समय पर निकाला न जाये तो उस जगह पर मवाद पड़ सकती है|
- जिसे कब्ज की बीमारी है उसे बबूल का सेवन नहीं करना चाहिए|
- जिसे गोंद से एलर्जी हो ,उसे इसका सेवन नहीं करना चाहिए|
जब भी हम बबूल के पेड़ की किसी भी चीज का सेवन करे तो उसके बारे में सारी जानकारी अच्छे से प्राप्त कर ले| और उसका उचित मात्रा में ही सेवन करे
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आपके प्रश्न –
बबूल की फली खाने से क्या लाभ होता है?
बबूल की फली कच्ची तो कड़वी होती है लेकिन सुखाकर पीसकर नियमित मात्रा में लेने पर पेट का दर्द, पेट गैस का उपाय है।
दांतो के दर्द में इसका मंजन बनाकर इस्तेमाल करे।
बबूल की फली का सेवन कैसे करें?
सुखाकर पीसकर इस्तेमाल करे। पशुओं को कच्चा खिला सकते है।
देसी बबूल के क्या क्या फायदे?
बबूल की पत्तियाँ और सेंगरी पेट और दांतो के दर्द के लिए, बबूल की छाल फोड़े फुंसी के लिए लाभदायक है। तो वही इसकी लकड़ी से घर के सामान इत्यादि बनाने में होता है।
देसी बबूल की पत्ती खाने से क्या होता है?
बबूल की छाल चबाने से मसूडो से आने वाला खून बंद हो जाता है और साथ ही मसूडे मजबूत भी होते हैं।
बबूल की लकड़ी से क्या बनता है?
दैनिक जीवन में उपयोग की जाने वाली कागज और फर्नीचर इत्यादि बनाने के लिए किया जाता है।
बबूल का पेड़ घर में लगाने से क्या होता है?
घर के बुज़ुर्गो के हिसाब से बबूल का वृक्ष घर में या आस-पास होना शुभ नहीं माना जाता. कांटेदार पौधे लगाने से घर में अशांति के साथ दरिद्रता आती है. बच्चे घायल हो सकते है।
बबूल किसका प्रतीक है?
दंतुरित मुसकान कविता में ‘बाँस और बबूल’ कठोर और निष्ठुर हृदय वाले लोगों का प्रतीक है।
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