जोगेंद्र नाथ मंडल भारत और पाकिस्तान और बांग्लादेश के विभाजन से पहले के दौर में एक प्रमुख नेता थे। उनका जन्म 29 जनवरी, 1904 को बरिसाल, पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) में हुआ था।

जोगेंद्र नाथ मंडल पेशे से वकील थे और ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में मुसलमानों के अधिकारों के लिए लड़ने वाली एक राजनीतिक पार्टी ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के प्रमुख सदस्य बने। उन्होंने 1940 के लाहौर प्रस्ताव में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने भारतीय उपमहाद्वीप में एक अलग मुस्लिम राज्य (पाकिस्तान) के निर्माण का आह्वान किया। इसे मंटो पार्क (अब इकबाल पार्क), लाहौर में आयोजित किया गया था

1947 में भारत के टुकड़े होने के बाद, जोगेंद्र नाथ मंडल पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री बने और देश के संविधान का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अर्थात पाकिस्तान और हिंदुस्तान दोनों जगह दलित अधिकारों को ध्यान में रखते हुए सविंधान का निर्माण हुआ। हालांकि, उन्होंने पाकिस्तान में हिन्दू और सिक्खों अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव का हवाला देते हुए 1950 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद वे लाखों, करोड़ों अल्पसंख्यकों को उनके हाल पर छोड़कर पुनः भारत लौट आए और 5 अक्टूबर, 1968 को उनका निधन हो गया।

जोगिंदर नाथ मंडल कितने लोगों के साथ पाकिस्तान गए थे?

जोगेंद्र नाथ मंडल बड़ी संख्या में लोगों के साथ पाकिस्तान गए, अनुमानित रूप से लगभग 50,000 से 1 लाख या उससे अधिक दलित और भारत के भिन्न क्षेत्र से आदिवासी थे, जिन्होंने पाकिस्तान के बटवारें का समर्थन जोगेंद्र नाथ मंडल के साथ किया था।

जोगेंद्र नाथ मंडल भारत और पाकिस्तान और बांग्लादेश के विभाजन से पहले के दौर में एक प्रमुख नेता थे। उनका जन्म 29 जनवरी, 1904 को बरिसाल, पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) में हुआ था। जोगेंद्र नाथ मंडल पेशे से वकील थे और ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में मुसलमानों के अधिकारों के लिए लड़ने वाली एक राजनीतिक पार्टी ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के प्रमुख सदस्य बने। उन्होंने 1940 के लाहौर प्रस्ताव में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने भारतीय उपमहाद्वीप में एक अलग मुस्लिम राज्य (पाकिस्तान) के निर्माण का आह्वान किया। इसे मंटो पार्क (अब इकबाल पार्क), लाहौर में आयोजित किया गया था।

1947 में भारत के टुकड़े होने के बाद, जोगेंद्र नाथ मंडल पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री बने और देश के संविधान का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अर्थात पाकिस्तान और हिंदुस्तान दोनों जगह दलित अधिकारों को ध्यान में रखते हुए सविंधान का निर्माण हुआ। हालांकि, उन्होंने पाकिस्तान में हिन्दू और सिक्खों अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव व् अत्याचार का हवाला देते हुए 1950 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। क्युकी पाकिस्तान की सरकार से लेकर लोग तक उन्हें काफिर समझते थे। इसके बाद वे लाखों, करोड़ों अल्पसंख्यकों को उनके हाल पर छोड़कर पुनः भारत लौट आए।

आखिर दलित और आदिवासी उनके साथ क्यों गए थे?

जोगिंदर नाथ मंडल ने लोगो को बताया कि उनके साथ छुआछूत हो रही है। क्युकी ब्राह्मण और मंदिर जाने वाले लोग कुछ लोगो से दूरी बनाते थे।

वैसे देखे जाए तो ये छुआछूत आज भी हर घर में जारी है,

खैर, इसे आज के परिपेक्ष्य में एक उदाहरण द्वारा समझ सकते है –

मान लीजिये आप शौंचालय जाते है, अंडा या मांस खाकर आते है, शराब पीकर आते है तो आपकी मां आप पर नहाने का दबाब डालती है। ऐसे में कोई पडोसी आये और कहे आपकी मां तो आपके साथ छुआछूत या भेदभाव करती है, मेरे घर पर देखो मेरी माँ साथ में अंडा खाती है, फिर छुआछूत की बात ही कहाँ। आप अपनी मां के खिलाफ होकर आप उस पडोसी की बातों में आकरअपने बीबी बच्चे लेकर भाग जाते है।

उसके घर पहुंचने पर आपको खाने को, लेग पीस के साथ चावल मिलते है । फिर आप उसके बगल में घर बना लेते है, आप छुआछूत और पूजा पाठ से स्वतंत्र हो चुके होते है। पूजा पाठ न करने से आपका स्वभाव चिढ़ा हुआ सा हो जाता है। आप छोटी छोटी चीज़ो पर पर लोगों से गाली गलोज करने लगते है। देशभक्ति , नैतिकता, ईमानदारी, सत्य जैसे शब्दों को आप हास्यपद और झूठा समझते है। आपकी नज़र में ज्यादातर डॉक्टर, पुलिस, वकील भ्रष्टाचारी लगते है। आप लोगो को, सरकार, पुलिस को धोखा देने लगते है। कानून तोड़ने को ही अपना सम्मान समझते है। क्युकी समाज के अन्य लोग आपका सम्मान करते नहीं है, यहाँ तक की घर के बच्चे भी आपको “तू” करके पुकारते है। आप गांजा, शराब, अफीम के धंधे करने लगते है। आपके पास पैसा बहुत हो जाता है लेकिन उस पैसे के भोग का समय नहीं मिल मिलता है क्युकी ज्यादातर समय नशे में धुत, जेल में, या लड़ाई झगड़े में चला जाता है।

साथ ही साथ इधर –

आपके काम पर जाने के बाद घर की औरत पर का वही पडोसी फायदा उठाने लगता है। समाज में आप अकेले होने के कारण होते है उसका विरोध नहीं कर पाते है। फिर लड़की को उसी पडोसी के लड़को द्वारा जबरजस्ती उठा लिया जाता है और उसका धर्म परिवर्तन करके शादी कर ली जाती है। इधर आपकी पत्नी का शोषण चलता रहता है। आपका घर लूट लिया जाता है। लूट का सबूत न बचे इसलिए घर को आग लगा दी जाती है।

तो आप समझे की मां का घर छोड़ने अर्थात धर्म छोड़ने पर ये हाल 99% होता है। आप इसका उदाहरण भारत के ऐसे राज्यों से ले सकते है जहाँ हिन्दू अब अल्पसंख्यक है।

तो अब आप समझ गए होंगे कि राजेंद्रनाथ मंडल / करोड़ो लोगो के साथ क्या हुआ होगा,जो अपनी भारत मां को छोड़कर चले गए थे, बदले में, अपने ही लोगो का बलात्कार,आगजनी,हिंसा, और धर्म परिवर्तन जैसी खबरे पाकिस्तान और बांग्लादेश से आती रहती है। जिनकी सहायता के लिए ही मोदी सरकार CAA एक्ट (नागरिकता संसोधन अधिनियम) लेकर आयी है ताकि भूले हुए लोग जिनके साथ क्रूर व्यवहार हो रहा है वे अपनी मां के घर वापसी कर सके।

जोगेंद्र नाथ मंडल ने पाकिस्तान क्यों छोड़ा?

अपने लोगों पर अत्याचार करने वाले दंगाइयों के खिलाफ पाकिस्तानी प्रशासन की निष्क्रियता का हवाला देते हुए, जोगेंद्र नाथ मंडल ने पाकिस्तान छोड़ा, और वापस अपनी भारत मां के घर आ गए। लेकिन वापसी करने के बाद भी शायद उन्होंने अपना स्वार्थी स्वाभाव नहीं छोड़ा, सबको अकेला छोड़ आये, कोई और स्वाभिमानी व्यक्ति होता तो अपने लोगो के लिए आखिरी साँस तक लड़ता क्युकी वे लोग इन पर भरोसा करके उनके साथ पाकिस्तान गए थे। वे अपने लोगो की ज़िम्मेदारी से भागकर वापस आ गए। 5 अक्टूबर, 1968 को उनका निधन हो गया। वे पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री थे। जिन्हे बटवारें के तुरंत बाद ही काफ़िर कहा जाने लगा, शासन और जनता भी उनको शक की नज़र से देखते थे।

खुद तो वापस आ गए, लेकिन उन्होंने भारत मां के हज़ारो बेटों को अलग कर दिया, जिनमे कुछ आज भी दिल्ली के फ्लाईओवर के नीचे पुरखों के कर्मो की सजा भुगत रहे है, जिनमे कुछ यातना सह-सहकर भाग कर आ गए पाकिस्तान से।
तो वही दूसरी तरफ देश में ऐसे भी कुछ लोग रुक गए। जिन्होंने बटवारा भी करवा दिया, अपना हिस्सा भी ले लिया और उसके बाद भी भारतीय रेलवे इत्यादि की जमीन पर कब्ज़ा करने में लगे पड़े है,

और आश्चर्य की बात ये है कि इनका बचाव वे करते है जो जोगिन्दर नाथ मंडल के साथ जा नहीं पाए थे। लेकिन धन्य है उस महा मानव के रूप में श्री नरेंद्र मोदी का जिन्होंने उनके बारे में सोचा (CAA) जिनके बारे में शायद भगवान् ने भी सोचना बंद कर दिया था।

क्युकी भगवान्, सिर्फ धर्म के पक्ष में रहते है। अधर्म के नहीं।

 

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