मच्छर के अंडे – मच्छरों के बारे में रोचक तथ्य – क्या आपने मच्छर को अंडे देते देखा है? क मच्छर 1 दिन में कितने अंडे देता है? or मच्छर कैसे पैदा होते हैं हो सकता है आपने अभी तक किसी मच्छर को अंडे देखा हो?
अगर नहीं देखा तो आज आप देखेंगे कि कैसे मादा मच्छर अंडे देती। है. आपने देखा होगा की जैसे ही बरसात ख़त्म होती है वैसे ही मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण बारिश के बाद जगह जगह पानी का जमाव होना फिर उसमे मच्छर अंडे देकर प्रजनन करते है। मच्छरों के दांत नहीं होते एक पैनी सूंड होती है,जिससे वे खून चूसते हैं। मच्छर अपने से तीन गुना खून चूस सकते हैं। मादा मच्छर एक बार खून चूसने के बाद दो दिन तक आराम करने चली जाती है। अंडे से निकलने के बाद मच्छर दस दिन पानी में ही बिताते हैं।
यह वीडियो Rebecca Herbert के द्वारा ट्विटर पर शेयर किया गया है। जिसमे आप एक मच्छर को अंडे देते देख सकते है।
This mosquito laying eggs.#TiredEarth pic.twitter.com/TVxorCe29N
— Rebecca Herbert (@RebeccaH2030) September 22, 2021
दुनिया भर में मच्छरों की करीब 3 हजार 500 प्रजातियां पाई जाती हैं। लेकिन इनमें से ज़्यादातर नस्लें इसानों को बिल्कुल परेशान नहीं करतीं। ये वो मच्छर हैं जो सिर्फ फलों, हरी घास और पौधों के रस पर जिंदा रहते हैं।
कितनी होती है मच्छर की आयु –
वैसे तो मच्छर 2 महीने से ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रह पाते हैं। वहीं मादा मच्छर, नर मच्छर के मुकाबले काफी ज्यादा दिनों तक जीती है। मादा मच्छर 6 से 8 हफ्तों तक जिंदा रहता है। जबकि नर मच्छर की उम्र केवल 10 -12 दिन तक होती है। पर सबसे बड़ी बात यह है की मादा मच्छर हर तीन दिन में 400-500 अंडे देती है।
कौन से मच्छरों से है खतरा?
इंसानों को सबसे ज्यादा खतरा है तो मादा मच्छरों से हैं, क्योंकि मादा मच्छर ही इंसान का खून चूसते हैं। तो वहीं नर मच्छर तो फलों, हरी घास, कचड़े या कीचड पर बैठ कर भी भोजन प्राप्त कर लेते है।
Yellow fever mosquito (एडीज इजिप्टी) –
इस मच्छर से ज़ीका, यलो फ़ीवर और डेंगू जैसी बीमारियां फैलती हैं. यह मच्छर सबसे पहले अफ़्रीका में जन्मा था. मच्छरों की ये प्रजाति आज दुनिया के तमाम गर्म देशों में पाई जाती है.
एडीस एल्बोपिक्टस (Asian tiger mosquito) –
इस मच्छर से यलो फ़ीवर, डेंगू और वेस्ट नील वायरस फैलते हैं. यह खतरनाक मच्छर पहले-पहल दक्षिणी पूर्वी एशिया में पैदा हुआ था. मगर अब ये दुनिया के तमाम गर्म देशों में पाया जाता है.
एनोफ़िलिस गैम्बियाई (Anopheles gambiae) –
इसे अफ़्रीकी मलेरिया मच्छर भी कहते हैं. मच्छर की ये नस्ल बीमारियां फैलाने में सबसे अब्बल है
कुछ मच्छरों से ज़ीका वायरस भी फैलता है.
मच्छरों का न होना भी इंसानों के लिए ख़तरनाक क्यों?
वैज्ञानिको ने ऐसे कई कारण बताये है की अगर मच्छर ख़त्म हो गए तो दुनियां को बुरे परिणाम भी मिल सकते है। जैसे की लोग अभी जंगलो में नहीं बसते है मच्छर ख़त्म होने से लोग जंगल में भी रह सकते है। इससे जंगल खत्म हो जायेगे।मच्छरों के अंडो से मेढक और मछलियों को खाना मिलता है तो इससे उनकी फ़ूड सप्लाई प्रभावित होगी।
ऐसी जानकारियों या Hindi me Advice के लिए Hindi Hai वेबसाइट पर समय समय पर आते रहे।
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