एक समय था यूरिया लेने के लिए किसानो को रात में 1 बजे घर से निकलकर मंडी में यूरिया केन्द्रो के सामने सोना पड़ता था लेकिन अब भारत ने इसके विकल्प के रूप में नैनो यूरिया की खोज की है। यह प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत का दुनियां के किसानो के लिए एक उपहार है। इसे IFFCO द्वारा विकसित किया गया है।

नैनो यूरिया की खोज –

नैनो यूरिया का विकास Indian Council of Agricultural Research भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और Indian Institute of Technology इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) दिल्ली द्वारा किया गया था। नैनो यूरिया के विकास के पीछे का मुख्य उद्देश्य यह था कि इससे खेती में उपयोग होने वाले यूरिया की मात्रा को कम किया जा सके और फसलों के उत्पादकता को बढ़ाया जा सके।

नैनो यूरिया क्या है?

नैनो यूरिया एक fertilizer है जो खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसे नानो-यूरिया, nano-urea या यूरिया ग्रेन्यूल्स के नाम से भी जाना जाता है। यह यूरिया के छोटे ग्रेन्यूल्स होते हैं, जिनका आकार लगभग 1-2 मिलीमीटर होता है। नैनो यूरिया खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है, जो पौधों को अधिक संभावित रूप से खाद से लाभ प्राप्त करने में मदद करता है। इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के फसलों में किया जाता है जैसे चावल, गेहूँ, दलहनी, मक्का आदि। यह एक तरल उर्वरक होता है, लिक्विड नैनो यूरिया को सीधे पत्तियों पर छिड़का जाता है और पौधे द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है।

कमाल की बात तो ये है कि इस नैनो फर्टिलाइजर / यूरिया को घर बैठे आर्डर भी कर सकते है और इसकी शॉपिंग वेबसाइट से ख़रीदे गए सामान की तरह डिलीवरी भी हो जाती है। ये उन युवाओ के लिए एक चमत्कारी उर्वरक के रूप में काम करेगा जो विदेशी फसलें,ऐसी फसल जिसकी विदेशो में मांग रहती है इत्यादि करने की सोच रहे थे क्युकी नैना यूरिया का उपयोग बोरी वाली यूरिया की तुलना में आसान है।

जिन कृषि केन्द्रो के आगे पीछे जानवर घूमते दिखाई देते थे वहां आज कई लोग खेती की नई तकनीक, तौर तरीके, मिटटी की जाँच, और भी पता नहीं क्या क्या सीखने में युवाओ का रुझान बड़ा है। आप चाहे तो यूट्यूब पर ऐसी लाखो लोगो को देख सकते है जो फसलों को बढे ही वैज्ञानिक ढंग से कर रहे है, यह देखकर आँखों को भरोसा नहीं होता कि इस देश में ऐसा भी हो सकता है।

नैनो यूरिया के फायदे –

  1. सबसे बड़ी बात इससे कालाबाज़ारी ख़त्म होगी, किसान नैनो यूरिया का इस्तेमाल करेगा तो बोरी वाले यूरिया के चक्कर में कौन पड़ेगा।
  2. यूरिया विदेशो से भारत में आती है अर्थात भारत को अपने किसानो के लिए डॉलर खर्च करने पड़ते है।
  3. जबकि नैनो यूरिया देशी तकनीक या देशी खोज से बना नाइट्रोजन उर्वरक है। अर्थात इसके इस्तेमाल से डॉलर बचेंगे और यदि अन्य देशो के किसान भी खरीदेंगे तो उनको एक विकल्प मिलेगा क्युकी इसकी उपलव्धता 80 प्रतिशत तक है।
  4. लिक्विड नैनो यूरिया को सीधे किसी भी पौधे की पत्तियों पर छिड़का जाता है और पौधे द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है।
  5. नैनो यूरिया की एक बोतल, साधारण यूरिया के कम-से-कम एक बोरी की मात्रा के बराबर प्रभावी होती है।

नैनो यूरिया के नुक़सान –

नैनो यूरिया के नुक़सान जानने के लिए आपको IFFCO की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाकर अन्य किसानो के review पढ़ना चाहिए।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 5 / 5. Vote count: 1

No votes so far! Be the first to rate this post.